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Tuesday, 9 August 2016

अजब बीमारी, इस महिला को 5 साल तक लगातार होते रहे पीरियड्स

पर्थ।  उफ! पीरियड्स के तकलीफदेह दिन! महीने के उन पांच या छह दिनों का जिक्र महिलाएं कुछ इसी अंदाज में करती हैं। सोचिए अगर किसी महिला ने इसे महीने के पांच दिन नहीं लगातार पांच साल तक इसे झेला हो।पीरियड्स के दौरान सैनिट्री नैपकिंस, पेनकिलर पर खर्च होने वाले पैसों के बारे में भूल जाएं। आइसक्रीम, मिठाई या फिर अपनी पसंद की चीजों को नहींखा पाने की मजबूरी भी भूल जाएं, लेकिन इस दौरान होने वाले दर्द की तकलीफ कैसे भूलें? पीरियड्स में दर्द और मानसिक तकलीफ सभी महिलाओं के लिए चुनौती होती है। 27 साल की ऑस्ट्रेलिया के पर्थ की रहने वालीं क्लो क्रिस्टस इस तकलीफ का हर रोज सामना कर रहीं हैं।क्रिस्टस जब 14 साल की थीं, तब उन्हें पहली बार पीरियड्स हुआ था। अगले पांच साल तक लगातार क्रिस्टस को पीरियड्स होते ही रहे। उस तकलीफ को याद करते हुए क्रिस्टस कहती हैं, 'मुझे पता था कि यहनॉर्मल नहीं है, लेकिन मैं इसे लेकर शर्मिंदगी से भरी हुई थी। उस दौरान मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करती थी।'क्रिस्टस को इस वजह से हाई स्कूल के दिनों से ही एनीमिया की गंभीर परेशानी हो गई। 19 साल की उम्र में उन्होंने साप्ताहिक स्तर पर आइरन की गोलियां लेनी शुरू कर दी। सात महीने तक आइरन की गोली लेने के बाद भी उनका आइरन लेवल काफी कम था। इसके बाद उन्होंने कई टेस्ट कराए और फिर उन्हें अपनी बीमारी के बारे में पता चला। क्रिस्टस को ब्लीडिंग की आजीवन चलने वाली बीमारी है, जिस विलेब्रैंड डिजीज कहते हैं। ब्लीडिंग डिजीज के तौर हैमोफीलिया का नाम लोगों ने सुना है, लेकिन विलेब्रैंड डिजीज की जानकारी कम लोगों को है।बीमारी की वजह से क्रिस्टस के शरीर से हर रोज आधे लीटर रक्त का स्त्राव होता है। वहीं पीरियड्स के दौरान महिलाओं का औसतन 20 से 60 मिलीलीटर रक्तस्त्राव होता है। इस वजह से उन्हें थकान और कमजोरी की भी शिकायत होती है। मेडिकल प्रफेशन में इस बीमारी को लेकर जानकारी का अभाव है। क्रिस्टस बताती हैं, 'मैं कई ऐसे मेडिकल प्रफेशनल्स से मिली हूं, जिन्हें ब्लीडिंग डिजीज और इससे होने वाली तकलीफ का अंदाजा नहीं है। बतौर आर्ट डायरेक्टर मुझे लगातार यात्रा करनी होती है। आज तक मैंने जितने भी देशों की यात्रा की है, मुझे एक न एक बार मेडिकल इमर्जेंसी रूम जरूर जाना पड़ा है।'डॉक्टरों ने क्रिस्टस को इससे बचने के लिए एक दवाईदी है जिससे 12 घंटे तक ब्लीडिंग बंद रहती है। दवाई का असर खत्म होते ही ब्लीडिंग फिर शुरू हो जाती है। इस समस्या के समाधान के लिए कुछ डॉक्टरोंने उन्हें गर्भाशय निकालने की सलाह दी, जिसे मानने से क्रिस्टस ने इनकार कर दिया। उनका कहना है, 'मैं नहीं जानती हूं कि मुझे बच्चे चाहिए या नहीं, लेकिनमैं कुछ भी ऐसा नहीं कर सकती जो औरत होने की विशेषता से जुड़ा हो।' फिलहाल क्रिस्टस इस बीमारी के बारे में जागरुकता के लिए कई कैंपेन चला रही हैं।

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