Header

Wednesday, 10 August 2016

AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के समर्थन में उतरी शिवसेना

मुंबई.शिवसेना भी एमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के समर्थन में उतर गई है. आपको बता दें कि ओवैसी ने सवाल उठाया था कि राजीव गांधी और बेअंत सिंह के हत्यारों और दूसरे आतंकियों को फांसी पर क्यों नहीं लटकाया जाता ?अब शिव सेना के मुखपत्र सामना में लिखा गया गया है कि किसी भी जाति या धर्म से ताल्लुक रखने वाले आतंकियों को फांसी की सजा दी जानी चाहिए. पार्टी ने राजीव गांधी और बेअंत सिंह के हत्यारों को फांसी दिए जाने की मांग का समर्थन किया.हालांकि, मुंबई ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी पर राजनीतिक बयानबाजी के लिए शिवसेना ने ओवैसी की आलोचना की. साथ ही, शिवसेना ने दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन को भी फांसी देने की मांग की. सामना में लिखा गया है, ‘दाऊद और टाइगर मेमन जैसे लोग जब यमलोक जाएंगे, तभी उन आत्माओं को पूर्ण शांति की प्राप्ति होगी और उन्हें मोक्ष मिलेगा.’जब ओवैसी ने न्यूज़ चैनल के ऑफिस में पत्रकार को लगायी डांटगौरतलब है कि गुरुवार सुबह नागपुर जेल में याकूब मेमन को फांसी दी गई थी. फांसी पर शिवसेना ने कहा कि याकूबकी जगह पर यदि कोई हिंदू, ईसाई या पादरी होता तो उसे भी फांसी पर लटकायाजाना चाहिए था.

इक पंडित ने लिख डाली अपने खून से कुरआन शरीफ।

हरियाणा के रोहतक जिले के निंदाना गांव के रहने वाले पंडित कर्मवीर कौशिक ने अपने खून से कुरान और गीता लिखी हैं. लगभग 7 साल में 369 पन्नोंमें कुरान और लगभग तीन साल में 186 पन्नों की श्रीमद्भगवत गीता लिख कर देश को एकता का सन्देश दिया हैं.कर्मवीर ने बताया कि उन्होंने एक मोरपंख से दोनों ग्रंथ को लिखा है. सुई चुभाकर अंगुली से खून निकालकर पीपल के पत्ते पर खून एकत्रित करके मोरपंख से कागज पर लिखकर दोनों ग्रंथ को पूरे किए. उन्होंने 30 दिसंबर 2015 को अपने जन्मदिन पर कुरान-ए-शरीफ को पूरा किया.पंडित कर्मवीर बताते हैं कि बीते वर्ष हरिद्वार में उन्हें एक अंग्रेजने उनकी पांडुलिपियों के लिए 5 करोड़ रुपए देने का ऑफर किया था, मगर वह किसीभी कीमत पर ऐसा नहीं कर सकते.उनका कहना है कि वे पैसे के लिए यह काम नहीं कर रहे हैं। समाज और धार्मिकसद्भावना के लिए उनका यह प्रयास है.  हालांकि कर्मवीर आर्थिक रुप से बहुत कमजोर है, लेकिन इसके बाद भी उन्होंनेयह पांडुलिपि नहीं बेची.

मुस्लिम उल्माओ ने भागवत से पूछा,किस तरह कहते हो मुसलमानो से देशभक्ति।

लखनऊ।आरएसएससेमुस्लिमसमुदाय की दूरी को मिटाने के लिए आज ऑल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल के सदस्यों ने संघ प्रमुखमोहन भागवतसे मुलाकात करने पहुंचे। इस मुलाकात के जरिए उलेमा काउंसिल ने संघ सेछह सवाल पूछे हैं। छह सवालों के उलेमाओं के पत्र को संघ प्रमुख ने स्वीकार कर लिया है।यूपी चुनाव से पहले फिर छिड़ा भगवा रागआरएसएस की प्रांत बैठक में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे उलेमा मोहन भागवत से तो नहीं मिल सके लेकिन उनके पत्र को स्वीकारकर लिया गया है। उलेमा काउंसिल ने संघ प्रमुख से जो अहम सवाल पूछे हैं उनमें से एक है कि क्या आरएसएस भारत को हिंदू राष्ट्र मानता है। अगर मानता है तो क्या वह हिंदू धर्म ग्रंथों के हिसाब से देश को चलायेगा।तीसरा जो सवाल उलेमा काउंसिल ने पूछा है वह है धर्म परिवर्तन पर संघ की क्या नीति है। इसके अलावा एक दिलचस्प सवाल यह पूछा है कि मुसलमानों से संघ किस प्रकार का राष्ट्र प्रेम चाहता है। इसके अलावा छठा और आखिरी सवाल उलेमा काउंसिल ने पूछा है कि संघ इस्लाम के बारे में क्या जानता है।गौरतलब है कि हाजी मोहम्मद सलिस ने करीब छह महीने पहले भी आरएसएस की अल्पसंख्यक विगं के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार से ये सवाल पूछे थे लेकिन उनका जवाब नहीं मिला था। ऐसे में देखने वाली बात है कि आरएसएस की प्रांत बैठक में सलिस को इन सवालों का जवाब मिलता है या नहीं।

गर्मी से परेशान युवक ने सूर्य भगवान पर किया केस

गर्मी और तपन से कोई किस हद तक परेशान हो सकता है इस बात का अंदाजा नीचे वाली तस्वीर को देखकर लगायाजा सकता है। ये एक पत्र है जिसमें भगवान सूर्य के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। इसमें सूरज की तपनसे पीड़ित व्यक्ति ने अपनी व्यथा लिखित रूप में प्रकट की है।शिवपालसिंह नाम के इस शख्स ने मध्यप्रदेश के शाजापुर थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए रिपोर्ट में लिखा है कि मैं विगत एक सप्ताह से आसमान से बरसती आग के कारण मानसिक एवं शारीरिक रूपसे कष्ट सह रहा हूं। इसके जिम्मेदार श्रीमान सूर्नारायण निवासी ब्रह्मांड पर भारतीय संविधान अनुसार आवश्यक कानूनी धाराओं में कार्यवाही कर मुझे एवं जनमानस को राहत प्रदान करने का कष्ट करें।शिवपालसिंह ने आगे लिखा है कि विगत एक सप्ताह से श्रीमान सूर्यनारायण अपनी हदें तोड़कर प्रत्येक जीव का जीना दुश्वार कर रहे हैं। मुकबधीर पशु, पक्षी की दयनीय एवं पेड़-पौधों की जल जाने जैसी हालत साक्ष्य के रूप में आपके सामने है। प्रार्थी के आवेदन पर सद्भावना पूर्वक विचार कर दंड प्रकिया संहिता 1973 की धारा 154 के अंतर्गत रिपोर्ट दर्ज करने का कष्ट करें।यह रिपोर्ट 20 मई का है जिसमें शाजापुर पुलिस कोतवाली का स्टैंप लगा हुआ है।

ये था दुनिया का सबसे बदनाम गाना, 62 साल रहा बैन

गानों को लेकर आपका क्या कहना है। जाहिर है कुछ अच्छा ही होगा। गाने दिल के करीब होते ही हैं। क्या आप जानते हैं कुछ गाने ऐसे भी हैं जिसको सुनने के बाद कईयों ने आत्महत्या कर ली।हम बात कर रहे हैं Sad Sunday गाने की जिसे 1933में हंगरी के संगीतकार Rezso Seress ने बनाया था। ये दुनिया के सबसे ज्यादा पॉपुलर और मनहूस गानों में गिना जाता है।इस गाने के बोल दिल को छू लेते हैं। ये गाना एक रोमांटिक साउंड ट्रैक है। इस गाने में प्रेमी मर जाता है पर प्रेमिका बाद में भी उससे मिलने की ख्वाहिश करती है। ये गाना अपने अंदर इतने दर्द को समेटे हुए है कि हर सुनने वाले को अपना दर्द  महसूसहोने लगता है।फेमस होने के नाते 1941 में अमेरिकन जैज म्यूजिक के जादूगर माने जाने वाले Billie Holiday ने इस गाने का रीमेक बनाया। फिर भी इस गाने का नशा बरकरार रहा। लोगों के आत्महत्या करने में कोई कमी आई।यह गाना इतना बदनाम हो चुका था कि 1941 में BBC सहित कई देशों ने इस गाने पर प्रतिबंध लगा दिया और 63 वर्षों बाद 2003 में इससे बैन हटाया गया।ये थी इस गाने की कहानी जो इस दौर से गुजर चुके लोगों को अपनी सी लगती थी।

मुस्लिम महिला ने हिजाब के लिए ठुकराई नौकरी

अमूमन देखा जाता है कि नौकरी पाने के लिए लोग मालिक की ‘हा’ में ‘हा’ मिला लेते है, लेकिन न्यूज़ीलैंड के ऑकलैंड में रहने वाली इस महिला को सलाम जिसने हिजाब बंधने के लिए नौकरी छोड़ दी। ऑकलैंड में रहने वाली मोना अल्फादली ने शहर की एक जेवरात की दुकान पर नौकरी के लिए दरख्वास्त की थी लेकिन दूकान मालिक ने नौकरी पाने के लियें उनको हिजाब ना पहनने की शर्त रख दी जिसक बाद मोना ने नौकरी ही ठुकरा दी नौकरी न मिलने पर उन्होंने कहा कि उनको बहुत बुरा लग रहा है।

13 साल की उम्र में हुआ था रेप, अलीसिया कीकहानी, उन्हीं की ज़ुबानी

अलीसिया कोज़ीकिएविच सिर्फ़ 13 साल की थीं, जब वे पिट्सबर्ग के अपने घर से बाहर निकलीं, उस शख़्स से मिलने जिससे वे ऑनलाइन चैट किया करती थीं. उसके बाद जो कुछ हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं था.आज वे 27 साल की हैं और अपनी कहानी बता रही हैं ताकि दूसरों के साथ वैसा न हो. अलीसिया की कहानी, उन्हीं की ज़ुबानी -यह 2002 का नया साल था. मेरी मां ने पोर्क और सॉरक्रॉत का बेहद स्वादिष्ट खाना बनाया था. मेरी दादी, मां, पिता, भाई और उसकी गर्लफ्रेंड, हम सबने मिलकर खाना खाया. उसके बाद मैं बाहर निकल गई थी. मुझे अच्छी तरह याद है कि मैं सड़क पर थी, चारों तरफ़ बर्फ़ ही बर्फ़ थी. बिल्कुल सन्नाटा छाया था. मैंने अपने आप से कहा, मैं यह क्या कर रही हूँ.किसी ने मेरा नाम लेकर मुझे बुलाया. थोड़ी देर बाद मैं एक कार में बैठी थी. मेरा एक स्क्रीन नाम था और मैं अपने दोस्तों से हर तरह की बातें किया करती थी.उन्हीं में एक लड़का था, जो मेरी ही उम्र का लगता था. वो मुझसे काफ़ी बातें किया करता था. मेरी बातेंसुनता था, मुझे सलाह दिया करता था.यही वह लड़का था, जिसे मिलने मैं गई थी और जिसकी गाड़ी में बैठ गई थी. लेकिन उसने मेरा हाथ काफ़ी मज़बूती से पकड़ रखा था और गाड़ी चला रहा था. वह मुझसे बीच-बीच में कहता जा रहा था, “शांत हो जाओ, चुपचाप बैठो. मेरा कहा नहीं माना तो तुम्हें उठाकरगाड़ी की डिक्की में डाल दूंगा.”वह मुझे एक मकान के तहखाने में ले गया. उसने कुत्तेको बांधने वाला कॉलर मेरे गले में डाल दिया और बिस्तर पर ले गया. उसने मेरे साथ बलात्कार किया. उसने मुझे बिस्तर के साथ बांध दिया, मुझे बुरी तरह पीटा. मुझे तरह-तरह की यातनाएं दी और मेरे साथ बलात्कार करता रहा. मेरे साथ ऐसा चार दिन तक होता रहा. मैंने अपने आप से कहा, “शायद वह मेरी हत्या कर दे. पर मैं संघर्ष किए बग़ैर हार नहीं मानूँगी. पर मुझे लगा कि पूरी तरह टूट चुकी थी.”ऐसे में मुझे अपने माता-पिता की बहुत याद आई. मैं जानती थी कि वे मुझे ढूंढ रहे होंगे. वे मुझे यहां से निकालने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे होंगे. पर सवाल यह था कि वे मुझे ज़िंदा पाएंगे या नहीं. आज भी लोग मेरी कहानी सुनते हैं तो उन्हें काफ़ी झटका लगता है. जिस समय मेरा अपहरण हुआ, लोगों के लिए यह समझना नामुमकिन था कि मेरे साथ यह आख़िर कैसे हो गया. वे लोग तो पीड़ित पर ही दोष डाल देते हैं.मैं और मेरे परिवार के लोगों ने यह तय कर लिया कि मैं दूसरे बच्चों और उनके रिश्तेदारों को इससे बचाऊँगी. हमने यह महसूस किया कि इस तरह की घटना की मुख्य वजह यह है कि उन दिनों इंटरनेट सुरक्षा से जुड़ी शिक्षा बच्चों को नहीं दी जाती थी.मैं 14 साल की उम्र से ही सबको बताने लगी कि मेरे साथ क्या हुआ था. मैं प्रेज़ेंटेशन देती थी, अपनी कहानी लोगों को सुनाती थी. मेरा यह मिशन आज भी चल रहा है. सख़्त क़ानून न होने से दो प्रतिशत से भी कम मामलों में बच्चों के यौन शोषण की सही-सही जांच हो पाती है. नया क़ानून बनाया गया ताकि इंटरनेट के ज़रिए बच्चों के साथ होने वाले अपराध को रोकने के लिए टास्क फ़ोर्स बनाया जा सके.इस क़ानून को मेरे नाम पर ही अलीसिया लॉ कहा गया. इस नियम के तहत यौन शोषण से बच्चों को बचाने के लिएस्थायी तौर पर व्यवस्था करने का प्रावधान है. अमरीकी राज्य वर्जीनिया, कैलीफ़ोर्निया, केंटकी, टेक्सस, टेनेसी, एरिज़ोना, हवाई और वॉशिंगटन में अलीसिया क़ानून पारित हो चुका है. हम इस कोशिश में हैं कि इसे विस्कॉन्सिन, मेरीलैंड और दक्षिण कैरोलाइना में भी जल्द ही पारित कर दिया जाए.मैं फ़ोरेंसिक साइकोलॉजी में मास्टर्स डिग्री कर रही हूँ. मैंने तय कर लिया है कि उन बच्चों के लिए काम करूंगी, जिनका यौन शोषण हुआ है. मेरे मंगेतर इसमें मेरी भरपूर मदद कर रहे हैं. वे एक नेकदिल इन्सान तो हैं ही, मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी हैं. मैं यह मानती हूँ कि बलात्कार पूरी तरह ताक़त और नियंत्रण का मामला है. ऐसा प्रेम में नहीं होता. बीबीसी रिपोर्ट

नोरा जेसमीन – मुझे दुख है कि हिजाब पहनने में देरी क्यों कर दी ?

मैं अपने पति के साथ पहली बार मस्जिद गई। मैं नर्वस थी क्योंकि मैं नहीं जानती थी कि मस्जिद मेंकिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और मस्जिद में किस तरह के दिशा-निर्देशों का पालन जरूरी है।  पति के कुछ बातें समझाने के बावजूद मैं असहज थी।  अल्लाह का शुक्र है कि मैंने वहां मगरिब की नमाज अदा की और वहां मैंने सुकून महसूस किया।  फिर मैं अगले कुछ हफ्ते और मस्जिद गई तो मुझे महसूस हुआ कि मस्जिद में आने वाली अन्य औरतों की तरह मुझे भी यहां हिजाब पहनकर आना चाहिए।  मुझे दिल में इस बात का मलाल हुआ कि आखिर मैंने पर्दा करने में साल भर की देरी क्यों कर दी। मेरे पति मेरे बहुत मददगार थे और उन्होंने मुझे इजाजत दे रखी थी कि इस्लाम के मामले में मुझे दिली इत्मीनान हो जाने पर ही मैं इन सब पर अमल करूं।इस्लाम अपनाने वाली नोरा जेसमीन की जुबानी………….!मेरा नाम नोरा जेसमीन है। मैं सिंगापुर से हूं और मैंने चीनी कल्चर छोड़कर इस्लाम अपनाया है। अपने कुछ करीबी दोस्त, मेरे पति, उनका परिवार, मेरा परिवार खासतौर पर मेरी मां की मदद से मैंने 11 मई 2013 को इस्लाम अपनाया। मेरी मां ने इस बात को माना कि मुझे भी इस्लाम अपना लेना चाहिए हालांकि वह खुद कठिन समय का सामना कर रही थी।मैं अपनी मां की बेहद अहसानमंद हूं कि उसने मेरी जिंदगी के इस अहम बदलाव की घड़ी में मेरा साथ दिया। अल्लाह का लाख-लाख शुक्रं है कि उसने इस्लामकी तरफ आने के मेरे सफर को आसान बनाया।जब से मुसलमान हुई तब से आज तक हिजाब न पहनने की बात मेरे दिमाग में कभी नहीं आई। हालांकि कुछ कारणों जैसे – “कुछ वक्त इंतजार  करो जब तक हमारे बच्चे नहीं हो जाते” या  “मैं अभी इसके लिए तैयार नहीं हूं।” के चलते इस्लाम अपनाने के साल भर बाद तकमैंने हिजाब नहीं पहना।हालांकि बहु-नस्लीय मुल्क सिंगापुर में रहने के कारण मेरे दिमाग में डर भी था कि मेरे इर्द-गिर्द वाले लोग मेरे पर्दे करने को स्वीकार नहीं कर पाएंगे। जब कभी मैं पर्दा करने की सोचती तो  निराश हो जाती और मेरे दिल की धड़कन बढऩे लगती।एक दिन एक अप्रेल 2014  को मैं अपने पति के साथ पहली बार मस्जिद गई। मैं नर्वस थी क्योंकि मैं नहीं जानती थी कि मस्जिद में किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और मस्जिद में किस तरह के दिशा-निर्देशों का पालन जरूरी है।पति के कुछ बातें समझाने के बावजूद मैं असहज थी। अल्लाह का शुक्र है कि मैंने वहां मगरिब की नमाज अदा की और वहां मैंने सुकून महसूस किया। फिर मैं अगले कुछ हफ्ते और मस्जिद गई तो मुझे महसूस हुआ कि मस्जिद में आने वाली अन्य औरतों की तरह मुझे भी यहां हिजाब पहनकर आना चाहिए। मुझे दिल में इस बात का मलाल हुआ कि आखिर मैंने पर्दा करने में साल भर की देरी क्यों कर दी। मेरे पति मेरे बहुत मददगार थे और उन्होंने मुझे इजाजत दे रखी थी कि इस्लाम के मामले में मुझे दिली इत्मीनान हो जाने पर ही मैं इन सब पर अमल करूं।एक दिन मैंने वल्र्ड हिजाब डे फेसबुक पेज पर “30 दिनों के लिए हिजाब की चुनौती” कैम्पेन में हिस्सा लेने का इरादा किया और सोचा कि रमजान महीनेके दौरान इस कैम्पेन में हिस्सा लेकर हिजाब पहनना दिलचस्प और उत्साहवद्र्धक रहेगा।मैंने अपनी मां, पति और अपने दोस्तों को बताया कि मैं अब हिजाब पहनना शुरू कर रही हूं। अल्लाह का शुक्र है कि पहले रोजे को पूरे दिन मैंने हिजाब पहने रखा। अल्लाह का बेहद अहसान है कि वह मुझे फिर से अपने करीब लाया।मैं पर्दे में खुद को पहले की तुलना में अधिक सुरक्षित महसूस करती हूं और पर्दे में मेरी ज्यादा इज्जत की जाती है।  मुझे मुस्लिम होने पर गर्व है।मेरे पति को बेहद आश्चर्य हुआ कि इस्लाम अपनानेके एक साल बाद ही मैंने पर्दा करना शुरू कर दिया। मुझे बेहद खुशी है कि मैंने अपनी इच्छा से इस्लाम का रास्ता अपनाया उस अल्लाह के लिए, उस एक पालनहार के लिए।मैं अपनी बहनों से कहना चाहूंगी कि अगर आप भी मेरे शुरू के एक साल की तरह दुविधा में है तो अल्लाह से मदद मांगे, दुआ करें, अल्लाह आपका रास्ताआसान फरमाएगा।अल्लाह हमें परेशानी में अकेला कभी नहीं छोड़ता बल्कि हमारी राह आसान करता है।#तक़वा इस्लामिक स्कूल

मुस्लिम औरतें ना पहने ट्राउजर, फेसबुक अकाउंट बंद कर

लंदन।अब ब्रिटेन में भी मुस्लिम औरतों के लिए पाबंदी के नियम लागू हो रहे हैं। जिसमें मुस्लिम महिलाओं को अपने फेसबुक अकाउंट बंद करने, ट्राउजर नहीं पहनने, पति और पिता के इजाजत के बगैर घर से बाहर नहीं निकलना शामिल है।'द टाइम्स' द्वारा किए अध्ययन में मस्जिदों और पूरेब्रिटेन के इस्लामी संघों के आदेशों को बताया गया है। 'द टाइम्स' में 'इस्लामिक आर्टिकल्स' शीर्षक से छपे एक खंड में मस्जिद और लंदन के इस्लामी केंद्र द्वारा प्रकाशित 'पति और पत्नी के लिए परामर्श' नामक दस्तावेजों को शामिल किया गया है।मस्जिद के मुफ्ती द्वारा लिखे प्रलेख में कहा गया है कि मुस्लिम महिलाओं को घर से बाहर निकलते समय अपने पति की परमीशन लेनी चाहिए। वहीं उत्तर पश्चिम इंग्लैंड में ब्लैकबर्न के सेंट्रल मस्जिद ने 'फेसबुक के खतरे' शीर्षक से एक वेब पोस्ट लिखा गया है, जिसमें कुरआन का हवाला देते हुए शराब को हराम बताया गया है। वहीं बर्मिंगम के ग्रीन लेन मस्जिद के अनुसार, मुसलमान महिलाओं को पति के सामने भी ट्राउजर पहनने की इजाजत नहीं है। #प्रतीकात्मक तस्वीर

फ़्रांस : पिछले 8 महीनों के दौरान 20 मस्जिदें की गयी हैं बंद

फ़्रांस में अतिवाद के ख़िलाफ़ कथित संघर्ष के तहत लगभग 20 मस्जिदों और प्रेयर हॉल को बंद कर दिया गया है। फ़्रांस के गृह मंत्री बर्नार्ड कैज़नूव ने इस देश की मुसलमानों की धार्मिक परिषद के नेताओं से मुलाक़ात के बाद सोमवार को बताया कि पिछले 8 महीनों के दौरान इन मस्जिदों को बंद किया गया है। उन्होंने दावा किया कि बंद किए गए इन धार्मिक स्थलों में अतिवादी इस्लाम की शिक्षा दी जाती थी।फ़्रांस के गृह मंत्री बर्नार्ड कैज़नूव ने इस बात का उल्लेख करते हुए, “फ़्रांस में मस्जिदों या प्रेयर हॉल में नफ़रत भड़काने वालों और कुड लोकतंत्र वादी सिद्धांतों का सम्मान न करने वालोंके लिए इस देश में कोई स्थान नहीं है।” कहा, “इसलिए हमने कुछ महीने पहले यह फ़ैसला किया कि आपात स्थिति के ज़रिए मस्जिदों को बंद कर दें। अब तक 20मस्जिदें बंद की जा चुकी है और कुछ दूसरी मस्जिदोंको भी बंद करेंगे।”पिछले हफ़्ते फ़्रांसीसी प्रधान मंत्री मैनुएल वॉल्स ने कहा कि वह उन मस्जिदों को अस्थायी रूप से बंद करने के बारे में सोच रहें जिन्हें विदेशी पैसों की मदद मिलती है।पूरे फ़्रांस और यूरोप में कुछ दूसरे स्थान पर, सऊदी अरब की ओर से पैसों की मदद पाने वाली मस्जिदों को तकफ़ीरियत और वहाबियत के प्रचार का केन्द्र समझा जाता है। तकफ़ीरियत बड़ी सीमा तक वहाबियत से प्रभावित है। इस अतिवादी विचारधारा कासऊदी अरब में बहुत प्रभाव है और सऊदी धर्मगुरु इसीविचारधारा का खुले आम प्रचार करते हैं।

ओवैसी नहीं सपा खिलाफ था मेरा बयान, जो टोपी पहन कर टोपी पहनाते ह

सऊदी अरब के इस्लामिक स्कॉलर हसन मदनी नदवी ने इफ्तार पार्टी की सख्त अल्फाज़ों में कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि इसमें केवल राजनीतिक फायदा देखा जाता है। जबकि धर्म का मजाक उड़ाया जाता है। उन्होंने आगे कहा कि वैसे भी इसमें अमीर और दूसरे धर्म के लोग ही आमंत्रित होते हैं और गरीबों को कोई नहीं पूछता। जबकि रोज़ा रखने का असल मकसद तो उनकी ही भावनाओं को समझना है और फिर उनकी मदद करना है। मगर आज राजनीतिक दल अपना उल्लू सीधा कर सीधे-साधे मुस्लिमों को मूर्ख बना रहे हैं।उन्होंने स्पष्ट किया की उनका यह बयान ओवैसी के विरोध मे नही दिया था, बल्कि समाजवाद के नाम पर साम्प्रदायिकता और साम्राज्यवाद फ़ैलाने वालो के विरोध मे दिया था, जो रमजान में टोपी पहन कर आते हेंऔर फ़िर मुसलमानो को टोपी पेहनाते हैं।

महिला के साथ 'नस्लीय दुर्व्यवहार', यूनिवर्सिटी के बाहर हिजाब खींचकर फाड़ा

नई दिल्ली।  ब्रिटेन में एक यूनिवर्सिटी की इस्लामिक सोसाइटी की मुस्लिम महिला को नस्लीय दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा। एक 'घिनौने' हमले में कैम्पस की बिल्डिंग के बाहर उसके हिजाब को खींचकर फाड़ दिया गया।पाकिस्तानी अखबार 'एक्सप्रेस ट्रिब्यून' की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बारे में एक अन्य छात्र ने फेसबुक पर भी पोस्ट किया है। जिसमें उसने बताया किकिस तरह उसकी दोस्त पर हिजाब पहनने पर किस तरह का व्यवहार का सामना करना पड़ा।बताया जा रहा है कि यह घटना तब हुई जब किंग्स कॉलेजलंदन के कैंपस के बाहर छात्रों के एक समूह ने एक स्टॉल लगाया था। जो 'डिस्कवर इस्लाम वीक' के हिस्सेके तौर पर लगाया गया था। यूनिवर्सिटी की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि दो सिक्योरिटी मैनेजर्स ने हस्तक्षेप किया। लेकिन छात्रों का कहना है कि उन्हें इसके लिए सवाल-जवाब करने और कार्रवाई करने में वक्त लगा।यूनिवर्सिटी की इस्लामिक सोसाइटी के सदस्य हरीम घानी ने बताया कि युवक महिला से पूछते रहे, "तुमने अपने चेहरे पर ये क्यों पहन रखा है।" इस घटना की पुलिस जांच कर रही है। जांच के लिए सीसीटीवी फुटेजभी सबूतों के तौर उपलब्ध कराए जाएंगे।न्यूज़ २४

इस्लाम को आतंक से जोड़ना है गलत,सामाजिक अन्याय की वजह है आतंवाद का कारन।

वासी।ईसाई धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि हिंसा के साथ इस्लाम को जोड़ना गलत है और सामाजिक अन्याय तथा पैसा आतंकवाद का प्रमुख कारण है।फ्रांसिस गत माह 26 जुलाई को फ्रांस के एक चर्च में हुये आतंकी हमले के दौरान बुजुर्ग पादरी की गला काटने वाली घटना के संदर्भ में बोल रहे थे। आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी।फ्रांसिस ने कहा,’ मुझे लगता है कि हिंसा के साथ आतंकवाद को पहचानना सही नहीं है। सभी धर्मों में कुछ शरारती समूह होते हैं। मैं इस्लामिक हिंसा के ऊपर बात नहीं करना चाहता क्योंकि रोजाना जब मैं अखबार पढ़ता हूं तो देखता हूं कि इटली में कोई अपनी प्रमेका की हत्या कर रहा है तो कोई अपनी सॉस की हत्या कर रहा है। यदि हम इस्लामिक हिंसा की बात करते हैं तो ईसार्ई हिंसा की भी बात करनी होगी। सभी मुस्लिम हिंसक नहीं होते।’उन्होंने कहा कि आतंकवाद के कई कारण है। धर्मगुरु ने कहा,’ मुझे पता है यह कहना थोड़ा कठिन होगा लेकिन आतंकवाद तभी पनपता है जब उनके पास पैसा कमाने का और कोई विकल्प नहीं बचता। यह आतंकवाद का पहला रूप है और यह सभी मानवता के खिलाफ है। हमें इस पर बात करना होगा।’ उन्होंने कहा कि आर्थिक विकल्पों के अभाव के कारण हमें यह सब देखने को मिलता है।

भारतीय मज़दूरों को राहत की साँस सऊदी किंग ने 178 करोड़ की राशि जारी की।

बेरोजगारी के चलते हजारों की तादाद में सऊदी अरब में फंसे भारतीयों की मदद के लिए खुद सऊदी बादशाह आगे आये हैं. उन्होंने भारतीय मजदूरों के बकाए को लेकर कड़े निर्देश जारी किए हैं. साथ ही न्होंने मदद के लिए दस करोड़ सऊदी रियाल (करीब 178 करोड़ रुपये) की धनराशि भी जारी कर दी हैं. साथ ही संकट में फंसे मजदूरों को एक्जिट वीजा देने का पासपोर्ट विभाग को आदेश दिया है.सुल्तान सलमान ने भारतीय मजदूरों के बकाये लेकर जारी निर्देश में कहा, ‘जब तक प्रवासी मजदूरों का बकाया नहीं दिया जाता, तब तक सरकार के साथ जुड़े कंपनियों को कोई सरकारी भुगतान नहीं होगा.श्रम मंत्रालय को निर्देश दिया गया है कि वह संबंधित देशों के प्रतिनिधियों से संपर्क कर सऊदीसरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताए. इसके अलावा किंग सलमान ने देश भर में श्रमिक विवादनिपटारा ट्रिब्यूनल की तादाद बढ़ाकर 30 करने की घोषणा भी की है.उनकी घोषणाओं के बाद सऊदी अधिकारियों ने जेद्दा स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क कर मजदूरों के लिए वैकल्पिक रोजगार तलाशने का काम तेजी से शुरू कर दिया है।

आख्रिर टीम इंडिया में युवराज सिंह की जगह कौन लेगा?

नई दिल्ली।वर्ल्ड टी 20 में युवराज सिंह की चोट ने टीम इंडिया का सिरदर्द बढ़ा दिया है। गुरूवार के मैच में युवराज के खेलने की उम्मीद न के बराबर है, तो ऐसे में उनकी जगह कौन लेगा इस पर टीम के इंडिया के अंदर जंग शुरू हो गई है।सूत्रों के मुताबिक तीन दावेदार सामने आये हैं जो भारतीय क्रिकेट टीम के तीन दिग्गजों की पसंद हैं। रवि शास्त्री रहाणे को लाना चाहते हैं तो कोहली कीपसंद मनीष पांड़े हैं जबकि धोनी चाह रहे हैं कि स्पिनर पवन नेगी मैच खेलें।युवराज सिंह के ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ आईसीसी विश्व टी 20 मैच में टखना चोटिल करने के बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ होने वाले भारत के सेमीफाइनलमुकाबले से पहले फोकस अब अंजिक्य रहाणे पर आ गया है। वहीं मनीष पांडे को कवर के तौर पर टीम से जोड़ागया है। अजिंक्या रहाणे ने अभी तक टूर्नामेंट में कोई भी मैच नहीं खेला है, अगर युवराज  सिंह 31 मार्च को होने वाले अंतिम चार के मुकाबले के लिये समय पर उबर नहीं पाते हैं तो अजिंक्या रहाणे को अपने घरेलू मैदान मुंबई में खेलने का मौका मिल सकता है।कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने छह विकेट की जीत के बाद बात करते हुए कहा था कि हालात को देखते हुए अगरप्लेइंग इलेवन में बदलाव की जरूरत होती है तो वह इसके लिए तैयार हैं। टीम प्रबंधन युवराज सिंह की चोट का आकलन कर रहा है। टखना मुड़ने के बाद युवराज दर्द से कराह रहे थे और फिजियो उन्हें देखने मैदानमें गये थे। अगर जरूरत पड़ती है तो अजिंक्या रहाणेको मैच के लिये तैयार रहना होगा और ऑस्ट्रेलिया केखिलाफ मैच से पहले ही उन्होंने आई एस बिंद्रा स्टेडियम में नेट पर ज्यादा समय बिताना शुरू कर दिया था।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर उस्मान खवाजा ने अपनी गर्लफ्रेंड को मुस्लिम बनाकर किया निकाह।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर उस्मान ख्वाजा ने यह उजागर किया कि उन्होंने पिछले दिनों गर्लफ्रेंड रचेल मैक्लेलान के साथ सगाई कर ली। इस 29 वर्षीय क्रिकेटर ने इंस्टाग्राम पर अपना तथा रचेल का पिछले दिनों न्यूयॉर्क में ब्रेक के दौरान का फोटो लगाते हुए सगाई की जानकारी दी। उस्मान ने कैप्शन लिखा - यह जानकारी देते हुए मैं बहुत खुशी महसूस कर रहा हूं।की मेने अपनी गर्लफ्रेंड से मुस्लिम बनकर निकाह करने के लिए शर्ट रखी और उसने तुरंत हा कर दिया क्योंकि वो क़ुरान को पढ़ चुकी थी और इस्लाम के बारे में काफी तहक़ीक़ की हुई थी, तब मेने
रचेल ने सगाई कर ली है। ऑस्ट्रेलियाई टीम यहां श्रीलंका के खिलाफ टेस्ट सीरीज की तैयारी में जुटी हुई है। मैक्लेलान ने कहा, 'वेस्टइंडीज में त्रिकोणीय सीरीज जीतने के बाद न्यूयॉर्क में हमने एक सप्ताह छुट्टियां मनाई। इसी दौरान उस्मान ने मुझे प्रपोज किया और मैंने तुरंत रजामंदी प्रदान कर दी। उस्मान द्वाराप्रपोज किए जाने के कारण न्यूयॉर्क इस बार बहुत खूबसूरत लगा। ख्वाजा और रचेल पिछले काफी समय से डेट कर रहे हैं। पाकिस्तान में जन्मे ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर ख्वाजा ने इस वर्ष की शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय पदार्पण किया था।

इस्लाम:अमेरिकी मुस्लिम इब्तिहाज मोहम्मद ने हिजाब पहनकर की तलवारबाजी

रियो डि जेनेरो।ओलिंपिक के तीसरे दिन कई ध्यान आकर्षित करने वाली घटनाएं हुईं। जहां रफेला सिल्वा मेजबान ब्राजील की पहली गोल्ड मेडल विजेताबनीं, वहीं अमेरिका की तलवारबाज इब्तिहाज मोहम्मद ने हिजाब पहनकर प्रतियोगिता में भाग लेकर इतिहास रचा दिया। वह हिजाब पहनकर हिस्सा लेने वाली अमेरिका की पहली महिला खिलाड़ी हो गई हैं।अमेरिका की अश्वेत मुस्लिम खिलाड़ी इब्तिहाज मोहम्मद ने महिलाओं की तलवारबाजी प्रतियोगिता में स्कार्फ पहनकर हिस्सा लिया और अपने पहले मुकाबले में जीत भी हासिल की. न्यूजर्सी की रहने वाली इस एथलीट ने तलवारबाजी शौक के रूप में शुरू की थी, क्योंकि उन्हें अपने धर्म के हिसाब से अपनी ड्रेस पहननी पड़ती थी, जो उनके लिए मुश्किल था। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और ओलिंपिक तक का सफर तय कर लिया।सोमवार रात को अमेरिका की लिली किंग ने 100 मीटर ब्रेस्टस्ट्रोक तैराकी में रूस की यूलिया एफिमोवा को पूछे छोड़ते हुए गोल्ड जीता, अमेरिका की पुरुष बास्केटबॉल टीम ने धीमा शुरुआत के बाद मैच में पकड़ बनाई और वेनेजुएला को 113-69 से हरा दिया, वहीं अमेरिकी स्टार टेनिस खिलाड़ी और पिछले ओलिंपिक टेनिस की गोल्ड मेडल विजेता सेरेना विलियम्स फ्रांस की एलीज कॉर्नेट को काफी संघर्ष के बाद 7-6 (5) और 6-2 से हारने में कामयाब हुईं।सोमवार को ही ब्राजील के स्लम एरिया में पली-बढ़ींराफेल सिल्वा ने मेजबान देश के लिए पहला गोल्ड जीता, तो उनकी आंखों में आंसू थे, सिर्फ राफेल क्यों वहां पर मौजूद ब्राज़ील के हर दर्शक की आंखोंमें आंसू थे। यह कोई छोटी जीत नहीं थी, बल्कि इस जीतने कई लोगों को छोटा कर दिया था, जो राफेल को लेकर टिप्पणी कर रहे थे। उनके रंग और समुदाय को लेकर मज़ाक उड़ा रहे थे। महज यह जीत सिर्फ एक गोल्ड मेडल की नहीं है, बल्कि यह ब्राज़ील के उस वंचित समुदाय की जीत है, जो कई सालों से संघर्ष कर रहा है. उन्होंने जूडो के 57 किग्रा वर्ग में गोल्ड हासिलकिया।इसने मेजबान ब्राजील के उस जख्म पर मरहम लगाया, जो उसकी फुटबॉल टीम के ओलिंपिक से शुरुआती दौर में हीबाहर हो जाने के बाद लगा था। हालांकि ब्राजील के फैन्स केवल अपनी फुटबॉल टीम की ही आलोचना नहीं कर रहे हैं, बल्कि वह जीका वायरस के डर से ओलिंपिक में नहीं आने वाले अमेरिकी खिलाड़ियों को लेकर भी उनका मजाक उड़ा रहे हैं।

Mim पार्टी के उत्तर परदेश के चुनाव के लिए रजिस्ट्रशन को मंजूरी मिली:शोएब आज़म

Mim समर्थको के लिए खुशखबरी अभी अभी मिली खबर के मुताबिक हमारे इक योग्य और युथ लीडर मोहम्मद शोएब आज़म ने ये खबर delhiuplive को दी है।अपनी कड़ी म्हणत के बल पर जो मुकाम ओवैशी ने बनाया है उसका रंग उत्तर परदेश के युवा वर्ग से मिल रहे mim को समर्थन में साफ़ दिखाई दे रहा है ऐसा लग रहा है जैसे उत्तर परदेश में इक नए युग का अनावरण होने जा रहा है।लोगो में ख़ुशी की लहर है और ओवैशी की 170 सीटो पर जीत की भी हाल ही में भविष्य वाणी हुई है अब देखना ये है क्या ओवैशी उत्तर परदेश के लोगो के दिलो में अपने लिए जगह बना पाये है या नहीं।


सावधान मोदी हा में गोसेवक हु जिसमे दम हो करे करवाई मुझपर:पवन पाण्डेय जिलाध्यक्ष

(जो लोग गौमाता के इस विषय पर असहमत हों वो मुझे फ़ौरन ब्लाक करें)
"लाइक कमेंट न करना, दो मिनट निकालकर पूरा पढ़ें, सभी पॉइंट्स पर सटीक जवाव लिखा है"
अगर गौसेवा करना गुंडागर्दी लगती है तो हाँ मैं गुंडा हूँ क्योंकि मैं गौसेवक हूँ !!
शर्म करो मोदी जी ! दो साल से एक बार भी कसाइयों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला, और 80% गौ सेवकों/रक्षकों को गुंडा बताते हो।
क्या कसाई तुम्हारे मेहमान है! शर्म आनी चाहिए तुम्हें गाय का क़त्ल तो बन्द नहीं करा पाये उलटे 80% गौसेवकों पर हमला करके कसाइयों की हिमाकत करते हो। यदि रात को सड़कों पर रात रात भर जाग कर और नाका बंदी करके कसाइयों से गौमाता की रक्षा करने वाले गुंडे , बदमाश हैं तो हाँ मैं भी उनमें से एक हूँ !
रही बात गौमाता को प्लास्टिक खाने से रोकने की तो सत्ता गौमाता के नाम पर और हिंदुत्व के नाम पर तुमने भीख मांग कर पायी है और प्लास्टिक पर पूर्ण बंदी करना तुम्हारा काम है गौरक्षकों का नहीं, कतलखानों से करोडो रूपये टैक्स भी वसूलोगे, लाइसेंस भी तुम दोंगे और प्लास्टिक खाने से गौभक्त रोकें ? शर्म करो शर्म !
रात रात भर यदि गौरक्षक न जागें तो ये तुम्हारे गौहत्यारे गौमाता का वंश ही नही रहने देंगे !
रही बात फर्जी गौसेवकों/रक्षकों की तो वे सारे के सारे तुमसे परिचित नेता हैं जो एयरकंडीशन आफिसों में बैठ कर गौरक्षा का दावा करते हैं और तुम्हारे बनाये गौरक्षा प्रकोष्ठों से करोड़ों रूपये डकार रहे हैं !
मैं सिर्फ विचारों और अपने भाइयों का भक्त हूँ, किसी पार्टी का नहीं। 60% से भी ज्यादा गौसेवा बजरंगदल, विश्व हिन्दू परिषद और आरएसएस से जुड़े लोग करते हैं, लगभग 10% के आस-पास इन संगठनों के अलावा भी लोग गौसेवा करते हैं, कुल मिलाकर लगभग 70% लोग सच्चे गौसेवक हैं, पर बात तो 70-80% लोगों के धंधावाज होने, अपराधी होने की है, 20-30% तो चलो नकली गौसेवकों पर कार्यवाही करोगे और बाकी बचे 50% लोग इन 70% सच्चे गौसेवकों में छांटकर इन पर कार्रवाई होगी।
हमें गर्व है कि मैं अपने साथियों सहित बजरंगदल, विहिप, आरएसएस से जुड़ा हूँ। हम हर गलत बात पर मन कर्म वचन तीनों से विरोध करेंगे। दरअसल एक ख़ास पार्टी से बहुत उम्मीदें थीं, पर उसने भी गंगा मैया बोल के गंदे नाले में कुदा दिया, बहुत आक्रोश है सब भाइयों में, इसलिए आमोद-प्रमोद और हास्य रस समझ नहीँ आ रहा है।
कृपया हम सभी भाइयों की मनोस्थिति समझने की वजाय महसूस कीजिये और आशीर्वाद दीजिये कि हमसब मिलकर "नवयुग" ला पाएंगे।।
इन गौसेवकों ने आपको गौरक्षा, राम मंदिर, धारा 370 हिंदुत्व जैसी बातों पर प्रधानमंत्री पद पर बैठाया और अब आप इन्हीं पर कार्रवाई करवाओगे।
घोर शर्मनाक।।
मोदी जी के अनुसार 70-80% गौसेवक गौसेवा के नाम पर दूकान चलाते हैं, रात में असामाजिक गतिविधियाँ करते हैं, अपराधी हैं, राज्य सरकारें गौसेवकों पर कार्रवाई की योजना बनाना शुरू करें,। हाँ मैं गौसेवा करता हूँ अगर तुममें किसी में दम हो तो आओ और कार्रवाई हम पर।।
इसलिए मोदी सावधान !
कहीं गौमाता तुम्हारा अस्तित्व ही न समाप्त कर दें !
इसलिए गौमाता और गौसेवकों/रक्षकों पर बोलने से पहले हजार बार विचार करके मुंह खोलो ।
हम गौसेवक/भक्त हैं, किसी के अंधभक्त नहीं ।
जय जय गौमाता, जय जय भारतमाता।।
वन्देमातरम, जय हिन्द।।

                  आपका अपना
           पवन पाण्डेय जनसेवक
              94 555 19 819
     जिलाध्यक्ष राष्ट्र स्वाभिमान ट्रस्ट
                       एवं
               संस्थापक सदस्य
          जलालाबाद विकास मंच
     जनपद शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश



Comments system

Disqus Shortname

My site