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Sunday, 28 August 2016

में अमेरिका जैसे मतलबी देश पर भरोसा नहीं करता।

हवाना: बीसवीं शताब्दी के सबसे शानदार नेताओं का अगर ज़िक्र होगा तो उसमें फ़िडेल कास्त्रो का नाम ज़रूर आएगा. एक ऐसा क्रांतिकारी जिसने अपने जज़्बे से वो काम कर दिखाया जो नामुमकिन सा लगता था. 1950 के दशकमें क्यूबा की क्रान्ति में जिस तरह उन्होंने और चे गुइवेरा ने भूमिका निभायी वोकमाल रही, इतना ही नहीं उसके बाद जब अमरीका ने क्यूबा पर “बे ऑफ़ पिग्स” के ज़रिये क़ब्ज़ा करने की कोशिश की तो उन्हें धूल चटा दी. 13 अगस्त, 1926 को पैदा हुए इस क्रांतिकारी ने क्यूबा को अपने मज़बूत कन्धों पर संभाला है. क्यूबा मिसाइल क्राइसिस के वक़्त उनका रोल एहम रहा और बाद में NAM में भी वो प्रमुख भूमिका में रहे. भारत के क़रीबी दोस्त माने जाने वाले फ़िडेल कास्त्रो ने हर मोर्चे पर भारत का साथ दिया. वो अमरीकी चालाकी को हमेशाअच्छी तरह समझते थे और अब जबकि अमरीका से उनके भाई राउल कास्त्रो ने संबंध सुधर लिए हैं तब भी वो यही कहते हैं “मैं अमरीका पे भरोसा नहीं करता”. उनके बारे में कहा जाता हैकि उन्होंने क़रीब 50 साल क्यूबा की सत्ता संभाली लेकिन उन्होंने कभी अमरीकी राष्ट्रपति से हाथ नहीं मिलाया.आज वो 90 साल के हो गए हैं लेकिन इस उम्र में भी नौजवान पीढ़ी के लिए एक हौसले और जज़्बे का नाम हैं और जो लोग मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट फ़लसफ़े के क़रीब हैं उनके लिए चे गुइवेरा और फ़िडेल कास्त्रो हीरो हैं.

सूफी संत बुल्ले शाह, जिन्होंने फिरके का विरोध कर अपने परिवार से नाता तोड़ लिया था

हज़रत सूफी सैय्यद अब्दुल्ला शाह उर्फ़ बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह, एक सूफी संत औरएक महान पंजाबी कवी, 1680 में पैदा हुए थे. इतिहासकारो की माने तो इनके जन्म स्थान में थोड़ा विवाद हैं. जबकि ज़्यादातर का मानना हैं कि सैय्यद बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह मौजूदा पाकिस्तान के बहावलपुर में पैदा हुए थे.इनके वालिद हज़रत सैय्यद शाह मुहम्मद दरवेश जो एक मस्जिद के इमाम थे. सूफी संत सैय्यद बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह ने शुरुआती इस्लामिक तालीम अपने वालिद से तस्लीम की थी जबकि आला तालीम क़सूर ज़िले में हज़रत ख़्वाजाग़ुलाम मुर्तज़ा से ली थी. बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह के परिवार वाले इस बात के खिलाफ थे.बुल्लेह शाह के परिवार वाले इसके खिलाफ थे कि बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह इनायत से सूफी शिक्षा हासिल करे, क्योकि बुल्लेह शाह पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद सल्लाहो अलह वसल्लम के वंशज में से थे जोकि सैय्यद थे. जबकि सूफी हज़रत इनायत जात से आराइन थे. लेकिन हज़रत बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह इस मुखालिफत केबावजूद हरजत शाह इनायत से जुड़े रहे. सूफी संत बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह ने अपनी कविता के ज़रिये लिखा कि जो मुझे बुलाएगा उसे दोज़ख़ (नरक) में सज़ा मिलेगी. जो मुझे आराइनकहेगा उसे बहिश्त (स्वर्ग) के सुहावने झूले मिलेंगे. सूफी बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह की वफ़ात 1757 से 1759 के दरमियान मौजूदा पाकिस्तान के शहर क़सूर में हुई थी.सूफी बुल्लेह शाह ने न सिर्फ पंजाबी में कलाम लिखे बल्कि इन्होंने हिंदी और सुधक्कड़ी में भी कालामो को लिखा. बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह ने पंजाबी में कविताएँ लिखीं जिन्हें काफ़ियाँ कहा जाता है। काफ़ियों में उन्होंने बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह तख़ल्लुस का इस्तेमाल किया है. बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह ने अपने ख्यालों व भावों को काफियों के तौर में ज़ाहिर किया है. देखते ही देखते बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह की काफ़ियाँ इतनी मशहूर होगयी के आम लोग भी काफ़ियाँ को इस तरह पढ़ते थे जैसी कि उन्होंने खुद ही इनकी रचनाये की हो. बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह लोक दिल पर इस तरह राज कर रहे थे कि उन्होंने बुल्ले शाह रहमत-उल्लाह अलेह की रचनाओं को अपना ही समझ लिया था. इनकी काफियों में अरबी फारसी के अल्फ़ाज़ और इस्लामी मजहबी ग्रंथो के मुहावरे भी मिलते हैं।

नमाज़ियों को मस्जिद से आर्मी वालो ने धक्के मारके बाहर निकाला,सड़क पर अदा की नमाज़।

उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित आर्मी एरिया के मस्जिद में जुमे के दिन मस्जिद में नमाज पढ़ने आएं लोगों को कुछ आर्मी के लोगों द्वारा जबरदस्ती बाहर निकालने का मामला सामने आया है जिससे वहां  जुमे के बाद की नमाज़ भी नहीं अदा हो सकीं।  जिसके चलते मजबूरन लोगों को सड़क पर नमाज़ अदा करनी पड़ी।इस इलाके की  यह मस्जिद करीब 70 साल पुरानी बताई जा रही है जहाँ सालों से  मुसलमान नमाज़ पढ़ते आ रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ नमाज करने आए मुस्लिम लोगों को यह कहकर वहां से निकल दिया गया कि यह सैना का प्रतिबंधित इलाका हैं और यहाँ  वही आदमी मस्जिद में जा सकता है जिसके पास इस इलाके में आने का अनुमति पत्र होगा । इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में रोष है । लोगों का कहना है कि पिछले कई सालों से यहाँ लगातार नमाज़ हो रही है फिर अचानक ऐसा क्यों?

मुसलमानो को झुटे केस में फसाकर भेजा जाता है जेल:मायावती

आज़मगढ़: उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्षा सुश्री मायावती ने आज आज़मगढ़ में एक रैली के दौरान कहा कि नरेंद्र मोदी ने बात तो अच्छे दिन की करी थी लेकिन वो बुरे दिन ले आये हैं. उन्होंने प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि मुसलमानों को जबरन जेल में डाल दिया जाता है और उन पर जो इलज़ाम लगाए जाते हैं वो सिवाय झूठ के कुछ नहीं होतेहैं. उनकी ये रैली एक कामयाब रैली के तौर पर देखी जा रही है जिसमें लोगों की अच्छी संख्या मायावती को सुनने के लिए आई थी.

हिन्दू मुस्लिम की राजनीती करके बच्चों के भविष्य के साथ खेल रही सरकार।

मुंबई:“अगर BMC स्कूलों में सूर्य-नमस्कार को अनिवार्य किया गया तो मुस्लिम परिवारों के बच्चे स्कूल ही नहीं जाएंगे” येऐलान किया है सपा नेता अबु आज़मी ने। बीजेपी और शिवसेना ने BMC स्कूलों में सूर्य-नमस्कार को एक साज़िश के तहत अनिवार्य किया है लेकिन हम अपने बच्चों को इस साजिश का शिकार नहीं बनने देंगे चाहे मुस्लिम बच्चों को पढ़ाई क्यों न छोड़नी पड़े। मुंबई के BMC स्कूलों में ४ लाख से ज्यादा बच्चे पढ़ते हैं जिनमें से ज्यादातर बच्चे गरीब घरों से आते हैं। इससे पहले जब BMC के स्कूलों में वन्देमातरम गाने की बात कही गई तो भी मुस्लिम नेताओं ने उसका विरोध किया था।जहाँ सूर्यनमस्कार को सीधे राजनीति से जोड़कर पूरे माहौल का फायदा उठाने में लगे अबु आजमी का कहना है कि ये नोटिस हम मुस्लिमों को कबूल नही है। हमारे बच्चे ज़ाहिल हो जाएँ पर सूर्य नमस्कार नही करेंगे।वहीँ मुस्लिम समुदाय के गरीब लोग जो अपने बच्चों को मुंबई के महँगे निजी स्कूलों में नही पढ़ा सकते हैं वो इस नए हंगामे से काफी परेशान दिख रहे हैं।

फिर हुआ सीरिया में बच्चों पर जुल्म होता वीडियो वायरल रूह कांप जायेगी देखिये

अलेप्पो: सीरिया में चल रहे ग्रह युद्ध में जिस तरह से इंसानी जान और माल का नुक़सान हो रहा है वो बहुत दुःखदायी है. हाल ही में एक विडियो आया था जिसमें एक बच्चा मलबे से निकाला गया तो उसका पूरा चेहरा मलबे से सना था और उसकी आँखों में चौंकने की हद तक ख़ामोशीथी. इंसानी दुःख को बयान करने वाला एक और विडियो सामने आया है, इस विडियो में दो बच्चेजो मलबे के ढेर से निकाले गए हैं और बुरी तरह से रो रहे हैं और रोते रोते ये कह रहे हैं कि “बड़ा भाई मर गया”. दुःख की इस घडी में जब बड़े बड़े लोग अपना होशो हवास खो बैठते हैं ऐसे मेंबच्चों के लिए ये क़हर है.

श्री श्री रविशंकर ने ट्वीट की बुरहान के पिता के साथ खिंचवाई फ़ोटो,राजनीती में हुई उथल पुथल

श्रीनगर: धर्म गुरु श्री श्री रविशंकर जो पिछले दिनों विवादों में रहे थे, ने कश्मीर में मारे गए चरमपंथी बुरहान वानी के पिता के साथ तस्वीर खिंचवाई है. ट्विटर पर उन्होंने इस तस्वीर को साझा करते हुए लिखा है कि “बुरहान वानी के पिता मुज़फ़्फ़र वानी दो दिनों से आश्रम में थे. हमने कई मुद्दों पर बात की.”चर्चित पत्रकार बरखा दत्त ने इस पर ट्वीट करते हुए कहा, “जब मैंने बुरहान वानी को स्कूल मास्टर का बेटा कहा था तो लोगों ने मुझे देशद्रोही था. अब दक्षिणपंथियों के लिएये एक हास्यास्पद दिन है.”श्री श्री रविशंकर के इस फ़ोटो-ट्वीट के बाद तो जैसे बवाल ही आ गया हो और वो जमात जो अक्सरलोगों को देशभक्त और देशविरोधी होने का सर्टिफिकेट बांटते रहते हैं कमेंट करने लगते हैं और बिना वजह की गालियाँ देने लगे.

कश्मीरियों के साथ हो रहा भेदभाव,जल्द बात चीत शुरू करे मोदी सरकार:असाउद्दीन ओवैशी

हैदराबाद। MIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को कहा कि जम्मू एवं कश्मीर के हालात सामान्य करने के लिए मोदी सरकार को तत्काल वार्ता शुरू करनी चाहिए। कश्मीर के हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए हैदराबाद सेसांसद ने कहा कि अगर अभी बातचीत की पहल शुरू नहीं की गई, तो बाद में वार्ता के लिए कोई नहीं होगा, क्योंकि राजनीतिक पार्टियां अपना महत्व खोती जा रही हैं। घाटी में शनिवार को कफ्र्यू का 50वां दिन था।ओवैसी ने संवाददाताओं से कहा, विशेषज्ञों काकहना है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) तथा नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) अपना राजनीतिक महत्व खोती जा रही हैं, जबकि अलगाववादी भी अपनी जमीन खो रहे हैं। उन्होंने कहा, हम अनिश्चितता के भंवर में प्रवेश कर रहे हैं। उन्होंने रॉ के एक पूर्व प्रमुख के हवाले से कहा कि दक्षिण कश्मीर एक स्वतंत्र क्षेत्र बनता जा रहा हैFacebook पर हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करेंओवैसी ने कहा कि वार्ता शुरू करने के लिए सरकार के पास कई तरह के तरीके और सूत्र हैं। उन्होंने कहा, यह समय सरकार को गंभीरता से सोचने का है। उन्होंने पीडीपी-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन सरकार के एजेंडे की ओर इशारा करते हुए कहा कि इसका मकसद अलगाववादियों सहित सबके साथ बातचीत करना है।

फतवा:महिलाये भी दे सकती है पुरुष को तलाक:दरगाह आला हजरत

उत्तर प्रदेश (बरेली) बीबी अपने शौहर को तलाक दे सकती है या नहीं, इस पर दरगाह आला हजरत से सय्यद इक्तेदार अली ने फतवा माँगा था , इस्लाम के अंतर्गत तलाक का हक सिर्फ पुरुष को है। महिला नहीं। पहली बार तलाक जैसे मसले पर नया मामला सामने आया है ,दरगाह आला हजरत के फतवे को माने तो अब महिला भी तलाक दे सकती है। जिसे शरीयत में तसवीज-ए-तलाक का नाम दिया गया है। फतवे के जवाब मे पहली बार नई जानकारी सामने आई है। मुफ्तियोंका कहना है कि महिला भी तलाक दे सकती है। यह कैसे मुमकिन हो सकता है, उसका तरीका भी बतायागया है। तरीके को तसवीज-ए-तलाक कहा है। मीडिया रिपोर्ट अनुसार तलाक ऐसा मुद्दा है, जिस पर लंबे समय से बहस चल रही है। उलमा पर सवाल दागे जाते रहे हैं कि जब मजहब-ए -इस्लाममहिलाओं को अधिकार दिए जाने की पैरवी करता है तो फिर तलाक का हक सिर्फ पुरुष को ही क्यों। यह हक महिलाओं को भी मिलना चाहिए था।निकाह के वक्त शौहर बीवी से यह कह दे कि मैं तुझे यह इख्तेयार देता हूं कि तू अपने आपको तलाक दे दे। इस मजमून को किसी आलिम से लिखवाया भी जा सकता है। ऐसी सूरत में बीवी ऐसे शौहर को जो उसकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरता। मसलन नशे का लती है, अपराध में लिप्त है, मारपीट करता है, घर में अमन-चैन नहीं है या किसी बड़ी बीमारी में घिरा है तो बीवी अपने आपको तलाक दे सकती है। शौहर ने निकाह केवक्त एक तलाक का इख्तेयार दिया तो एक, दो का दिया तो दो और तीन तीन का दिया तो तीन तलाक होजाएंगी।दरगाह आला हजरत के प्रवक्ता मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने कहा है कि तसवीज-ए-तलाक का जिक्र बहारे शरीयत में पेज 25 से 41 तक है। दुर्रे मुख्तार जो कि फिकाह-ए-हनफी की किताबहै, उसकी चौथी जिल्द में पेज 565 से 587 तक यह मसला बयान किया गया है। साफ हो जाता है कि महिला भी तलाक दे सकती है। उसे तलाक हो जाएगी। यही बात दारुल इफ्ता मंजरे इस्लाम में फतवा विभाग के अध्यक्ष मुफ्ती मुहम्मद सय्यद कफील हाशमी ने भी सवाल के जवाब में कही।मैनचेस्टर में रहने वाले मुहम्मद मसूद अहमद भी बेटी की शादी से पहले दरगाह से यही सवाल पूछ चुके हैं। मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी का कहना कि यूरोप में ज्यादातर मुसलमान बेटी, बहन की शादी तसवीज-ए-तलाक का हक लेकर ही करतेहैं, क्योंकि वहां शादियां जल्द टूट जाती हैं।इस मसले पर देवबंद की राय जानी गई तो जमीयत-ए-उलमा के जिला महासचिव मुफ्ती अबू जफर का कहना है कि महिला के लिए तलाक का एक रास्ता खुला यानि काजी की अदालत ही है। उसके अलावा महिला खुद को तलाक नहीं दे सकती।

मोलवी और मुल्लाओ ने इस्लाम जैसे सुलझे हुए धर्म को उलझा कर रख दिया।

बॉलीवुड स्टार सलमान खान के पिता सलीम खान ने मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने वाले बंबईहाई कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला उन चीजों का समर्थन करता है जो हदीस और कुरान में कही गई हैं।गौरतलब है कि कल दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में हाई कोर्ट ने इस दरगाह में महिलाओं के प्रवेश पर रोक हटाते हुए कहा कि इस ट्रस्ट केपास पूजा के एक सार्वजनिक स्थल पर महिलाओं को जाने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है।उन्होंने कहा, “मजार और दरगाह कब्रें हैंऔर पुरुष और स्त्रियां दोनों यहां जा सकते हैं। किसी तरह का लिंग भेद नहीं है। मुल्लाओं और मौलवियों ने बेहद सुलझे हुए इस्लाम धर्म को उलझा दिया है। उन्होंने कहा कि फतवा भी वैसा फैसला नहीं है जैसा लोग सोचते हैं। यह इस्लामिक धर्म गुरुओं द्वारा दिया जाने वाला ओपिनियन हैं।”High court judgement on Haji Ali endorses what Hadees and Quran have said. To be a good muslim you have to be a good human being.— Salim Khan (@luvsalimkhan)August 27, 2016uncomplicated religion like Islam. Even Fatwa is not a verdict as people think, its an opinion given by an Islamic scholar.— Salim Khan (@luvsalimkhan)August 27, 2016Mazar & Durga are graves men & women both can visit them as there is no genderdiscrimination in Islam. Mullas & Maulvis are complicating an— Salim Khan (@luvsalimkhan)August 27, 2016इस मामले में सलीम ने ट्वीट करके कहा, “हाजी अली पर हाई कोर्ट का फैसला उन्हीं बातों का समर्थन करता है जो हदीस और कुरान में कही गई हैं। एक अच्छा मुस्लिम होने के लिए आपको एक अच्छा इंसान होना पड़ेगा।” हालांकि हाजी अली दरगाह में महिलाओं को जाने की इजाजत मुंबई हाईकोर्ट से मिल गई है, लेकिन मुस्लिम महिलाएं अब भी दरगाह में मजार वाले हिस्से तक जाने से कतरा रही हैं। महिलाएं अपने संकोच के पीछे धार्मिक कारण बताते हुए कोर्टको भी इस मामले में दखल ना देने की सलाह दे रही हैं।

तुर्की सरकार का मुस्लिम के हक़ में फैसला,अब महिलाये हिजाब पहनकर करे नोकरी।

इन्स्ताबुल: तुर्की ने देश की महिला पुलिसकर्मियों को सिर पर इस्लामिक स्कार्फ बांधकर ड्यूटी करने को लेकर एक अधिसूचना निकली है, अधिसूचना के मुताबिक महिला पुलिसकर्मी इस स्कार्फ (हिजाब) से अपने सिर को पूरी तरह ढक सकेंगी, इसका रंग भी उनकी वर्दी जैसा ही होगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है। आधिकारिक तौर पर सेक्युलर देश तुर्की की सत्तारूढ़ पार्टी जस्टिस ऐंड डिवेलपमेंट पार्टी ने महिलाओं के ड्यूटी के दौरान हेडस्कार्फ पहनने पर लगे।Facebook पर हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करेंइससे पहले 2010 में तुर्की ने यूनिवर्सिटी कैंपसों में छात्राओं के हेडस्कार्फ पहनने पर लगे बैन को हटा लिया था। सरकार ने 2013 में राजकीय संस्थानों में महिलाओं को हेडस्कार्फ पहनने की अनुमति दी थी। इसके अलावा 2014 में हाईस्कूल की छात्राओं के लिए यह छूट दी गई थी।तुर्की के राष्ट्रपति रिचप तैयब एर्दोगन के आलोचक इन फैसले को लेकर उन्हें निशाने पर लेते रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि राष्ट्रपति तुर्की के सेक्युलर देश की छवि को खराब कर रहे हैं, जिसकी स्थापना 1923 मेंअतातुर्क कमाल पाशा ने की थी।हालांकि सरकार समर्थक मीडिया का कहना है कि पश्चिमी देश भी महिला अधिकारियों को हेडस्कार्फ पहनने की अनुमति दे चुके हैं। हाल ही में स्कॉटलैंड ने ऐसे ही छूट का आदेश जारी किया था, जबकि लंदन में एक दशक पहले ही ऐसी छूट दी जा चुकी है। यही नहीं कनाडा सरकारने भी पुलिस फोर्स में महिलाओं की भर्ती बढ़ाने के लिए उन्हें ड्यूटी के दौरान हिजाबपहनने की अनुमति दी थी।

ऐतिहासिक मोड़ पहली बार किसी महिला इमाम ने दी मस्जिद में अज़ान।

कोपेनहेगन। डेनमार्क में शुक्रवार को स्कैंडिनेवियाई मूल की शेरिन खानकन ने मस्जिद में अजान दी है। इसी मस्जिद की एक और महिला इमाम सलीखा मैरी फेतह ने ‘इस्लाम और मॉडर्न वर्ल्ड में मुस्लिम महिलाएं’ मुद्दे पर खुतबा पढ़ा।कोपेनहेगन के सिटी सेंटर स्ट्रीट के फास्ट फूड आउटलेट के ऊपर बनी मरियम मस्जिद जो फरवरी में ही खुल गयी थी। इसमें शुक्रवार को 26 अगस्त को पहली बार महिला इमाम ने अजान दी। अजान के बाद मस्जिद में 60 महिलाएं पहुंची। आधी से ज्यादा महिलाएं दूसरे मजहब से तालुल्क रखती थीं।मस्जिद के उद्घाटन समारोह को लेकर इसे बेहद ही खास तरीके से सजाया गया था। मस्जिद में बारीक कढ़ाई की क्रीम कलर के पर्दे टांगे गये थे। आयतें भी डिस्प्ले में लगाई गयी थी। मस्जिद को फूलों से सजाया गया था।Image via Sherin Khankan/Facebookमस्जिद सभी के लिए खुली रहेगी, जिसमें महिलाएं और पुरूष दोनों शिरकत कर सकते हैं। लेकिन शुक्रवार की जुमे की नमाज सिर्फ महिलाइमाम ही अदा करवाएंगी। इस मस्जिद में शादी और तलाक दोनों कराया जाएगा। शुक्रवार को इस मस्जिद में एक तलाक कराया गया।इमाम शेरिन खानकन ने बताया कि मस्जिद का मुख्य उद्देश्य रिलिजियस इंस्टीट्यूशन में मेल डॉमिनेटिंग सिस्टम को चैलेंज करना है। इमाम बनने के लेकर मेरे परिवार ने बहुत सपोर्ट किया।Facebook पर हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करेंखानकम के पिता सीरियाई रिफ्यूजी हैं, वहीं मां क्रिश्चियन है। जो कोपेनहेगन में नर्स का काम करती है।

R.S.S ने किया सर्वे,चुनाव अभी होने पर शिवराज सरकार को कहानी पड़ेगी मुह की:R.S.S

मध्य प्रदेश: भोपाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारियों, भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और अनुषांगिक संगठन की दो दिन चली बैठक में ‘पार्टी की छवि’की चिंता छाई रहीएक सर्वे में ये सामने आया है कि प्रदेश में सरकार के खिलाफ एंटी इंकमबेंसी बढ़ रही है, जिसे बैठक में समय रहते रोकने की हिदायत दी गई आरएसएस ने खुद प्रदेश में एक सर्वे करवाया था, जिसमें ये पाया गया कि अब रुख भाजपा के खिलाफ होने लगा है इस मुद्दे पर बैठक में पार्टी के विरुद्ध बनते माहौल को समय रहते रोकने की बात कही गईFacebook पर हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करेंभाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान ने शुक्रवार को संवाददाताओं से कहा किअंत्योदय और सामाजिक समरसता पर जोर दिया जाएगा। पार्टी, संघ और सामाजिक संगठन मिलकर पं. दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. अंबेडकर, गोविंद सिंह व नानाजी देशमुख की जयंती मनाई जाएगी साथ ही दो अक्टूबर को गांधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन मनाया जाएगासूत्रों का कहना है कि संघ ने भाजपा से गरीबों और दलितों के लिए अभियान चलाने को कहा है ये ऐसे दो बड़े वर्ग हैं, जो जनाधार बढ़ाने में सहायक हैं इस अभियान में अनुषांगिक संगठन भी भाजपा का साथ देंगे संघ को लगता है कि इसी रास्ते से चौथी बार सत्ता में आया जा सकता है।Source: Headline24

मुलायम सिंह है खूंखार हत्यारा उसे खुला छोड़ना खतरे से खली नहीं:r.s.s

लखनऊ। अयोध्या आंदोलन के दौरान कारसेवकों पर गोली चलाने के सपा मुखिया के बयान के बाद संघ परिवार भड़क गया। जैसा कि उम्मीद थी, मुलायम के बयान पर संघ की ओर से तीखी प्रतिक्रिया व्यक्ति की गई है। संघ का मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आरएसएस के प्रचारक और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने भाषा की तमान सीमायें लांघते हुए कहा है कि मुलायम खूंखारअपराधी और हत्यारे हैं। वो जिंदा रहे तो औरI हत्याएं कराएंगे। उन्हें खुला छोड़ना खतरे से खाली नहीं।इंद्रेश ने लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि मुलायम सिंह के इस कबूलनामे के बाद उनके खिलाफ हत्या का मुकदमा बनता है। संघ नेता ने अदालत और मानवाधिकार आयोग से मुलायमसिंह के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुलेआम हत्या करने, कराने की बात करता हो उसे खुले घूमने देना घातक होगा।उल्लेखनीय है कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने शनिवार को लखनऊ में अपने जीवन संघर्ष पर आधारित किताब के विमोचन समारोह में कहा था कि 1990 में अयोध्या आंदोलन के दौरान देश की एकता को बचाने के लिए उन्हें कारसेवकों पर गोली चलानी पड़ी थी । उसमें 16 लोग मारे गए थे। उस समय वह यूपी के मुख्यमंत्री थे।इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इंद्रेश कुमार ने कहा कि मुलायम सिंह ने स्वीकार लिया है किवह बड़े हत्यारे हैं। उन्होंने मुसलमानों को सावधान करते हुए कहा कि मुलायम सिंह राजनीतिक लाभ के लिए उनकी भी हत्या करा सकते हैं। व न देश के हैं, न धर्म- जाति के। वह किसीके नहीं , केवल अपनी तुच्छ राजनीति एवं कुर्सी के हैं। उन्होंने प्रदेश की जनता से विधानसभा चुनाव में सपा को सबक सिखाने की अपील की।लखनऊ से एम ए हाशमी

कुर्सी और राजनीती के लिए मुलायम सिंह मुसलमानो की हत्या तक करा सकते है:इन्द्रेश कुमार r.s.s

आरएसएस के प्रचारक और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के संयोजक इंद्रेश कुमार ने अयोध्या आंदोलन के कारसेवकों से जुड़े बयान मुलायम सिंह के दिए बयान के बाद उन्हें आड़े हाथों लिया. इंद्रेश कुमार ने मुलायम को खूंखार अपराधी और हत्यारा तक कह डाला. लखनऊ में इंद्रेश कुमार ने भाषा की सीमा लांघ दी और कहा कि अगर वो जिंदा रहेगा तो और भी हत्याएं करा सकता है. इंद्रेश कुमार ने कहा किराजनीति और कुर्सी के लिए मुलायम सिंह मुसलमानों की भी हत्या करा सकता है.संघ के इस नेता ने अदालत और मानवाधिकार आयोग से मुलायम सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अपील की है.उन्होंने कहा, ‘ऐसा है कि ये अपराधपूर्ण बयानहै. अपराध का अर्थ ये है कि अगर वो ये सोचते हैं कि वो मुस्लिम तुष्टिकरण कर रहे हैं. मुसलमानों को भी ये समझना चाहिए कि जो अपनी जाति का, अपने इष्ट का नहीं है, वो उनका कब हो सकेगा. इसका मतलब मुलायम सिंह न देश का है, न धर्म का है और न जाति का है. वो किसीका नहीं है वो केवल अपनी तुच्छ राजनीति का और कुर्सी का है. कल उसे लगेगा तो वो शायद मुसलमानों की हत्या करने की साजिश कर सकता है. इसलिए देश की जनता को मैं कहूंगा कि ऐसे हत्यारों की साजिश से वो सावधान रहें. जागरूक रहें, अगर उसने गलत निर्णय कर लिया तो परिणाम उत्तर प्रदेश के लिए अच्छे नही होंगे. इसलिए मैं ऐसी तुच्छ राजनीति करने वालों के प्रति प्रदेश और देश की जनता को सावधान करता हूं. वो नेता चाहिए, वो दल चाहिए जो सबको साथ लेकर सबका विकास करे, जो सबकी हित की बात करे, जो हत्याओं की, नफरत की और बर्बादी की राजनीति नकरे. जो विकास की, शिक्षा की और भाईचारे की राजनीति करे. तभी वो नेता और दल चलेंगे. वो नेता और दल हिंदुस्तान में नही चलने चाहिए, जो बर्बादी की, हिंसा की और लड़वाने की राजनीति करे.’

मंलुरु में हुए बुरखा बेन पर छात्रो में आक्रोश,प्रदर्शन कर किया विरोध।

मंगलुरु। यहां के श्रीनिवास ग्रुप के कॉलेजों में महिला छात्रों को सर्कुलर भेजा गया कि वे कक्षाओं में बुर्का पहन कर नहीं आ सकती हैं।कॉलेज की मुस्लिम छात्रों ने इस बात का विरोध करते हुए प्रदर्शन शुरु कर दिया।उनका कहना है कि संविधान में मौलिक अधिकारों में से एक धर्म के अधिकार से उन्हें वंचित करने की कोशिश है।डेली मेल के अनुसार, छात्राओं ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और कॉलेज के मुख्य गेट पर प्रदर्शन शुरू कर दिया। कोस्टल डाइजेस्ट के अनुसार, मुस्लिम संगठन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने यह विरोध प्रदर्शन शुरू किया है जिसमें मुस्लिम छात्राओं के माता-पिता भी शामिल हुए।इन्होंने मैनेजमेंट द्वारा शुक्रवार को लंचब्रेक की अवधि न बढ़ाए जाने पर भी असंतोष जाहिर किया। यह मांग मुस्लिम छात्रों ने रखीथी ताकि वे जुमा की नमाज लिए जा सकें। साथ ही मुस्लिम छात्रों ने आरोप लगाया कि उन्हें दाढ़ी बढ़ाने की अनुमति नहीं है।

इस कुंए में ​गिरने वाली चीजें क्यों बन जाती हैं पत्थर

लंदन । इंग्लैंड के न्यर्जबरो शहर में एक ऐसा कुंआ है जो किसी भी चीज को पत्थर में बदल देता है। इस कुंए को स्थानीय लोग दैत्य कुंआ मानते हैं।

इलाके में रहने वाले लोग इस कुंए में जाने से खौफ खाते हैं। उनका मानना है कि अगर वे इसमें गए तो वे भी बाकियों की तरह पत्थर में बदल जाएंगे।

कुंए को देखने के लिए दूर—दूर से पर्यटक आते हैं और कई बार वे अपने साथ लाए गए कुछ सामान को इसमें छोड़ देते हैं ताकि लौटने के बाद उसे पत्थर में तब्दील होते हुए देख सकें

नरसिंहानन्द सरस्वती बोले आने वाले 10 सालों में भारत बन जाएगा इस्लामिक देश

यूपी में जैसे जैसे विधानसभा का चुनाव करीब आ रहा है. वैसे वैसे राजनीती में संत समाज के लोगो भी दिलचस्पी ले रहे है. जी हाँ इसी के साथ साथ संत समाज के लोगो के विवादित और भड़काऊ बयान सामने आना शुरू हो गए हैं.

जी हाँ आपको बतादे कि एक ऐसा ही बयान अखिल भारतीय संत परिषद् के राष्ट्रीय संयोजक नरसिंहानन्द सरस्वती ने दिया हैं जिसमे उन्होंने कहा है कि इस लगता है कि आने वाले  10 सालों में भारत इस्लामिक देश बन जाएगा.

उन्होंने धुर्विकरण के एजेंडा के तहत हिन्दू समुदाय में मुस्लिम लोगों का डर भरने के लिए यहाँ तक कह डाला कि जहां-जहां हिन्दूओं की जनसंख्‍या घटी, वहां देश का बंटवारा हुआ. साथ ही हिन्दू समाज को अधिक बच्चे पैदा करने की सलाह भी दे डाली.

क्योंकि जिस प्रकार से देश में हिंदुओं की संख्या घट रही है और मुसलमानों की संख्या बढ़ रही है यह चिंता का विषय है.10 सालों के बाद डेमोक्रेसी खत्म हो जाएगी और जेहाद का राज होगा, इसलिए इस मुद्दे पर हम सबको सावधान रहना चाहिए, और अधिक से अधिक बच्चे पैदा करना चाहिए

BSNL यूजर्स अब हर सन्डे करे फ्री बाते।

BSNL के उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब वो प्रत्येक रविवार को अपने लैंडलाइन कनेक्शन से फ्री बात कर सकेंगे। यह सेवा 15 अगस्त के बाद आने वाले प्रत्येक रविवार को रहेगी। सबसे बड़ी बात यह है कि आप देश के किसी भी कोने से किसी भी नेटवर्क में काल कर सकते हैं। और इसके लिए आपसे कोई चार्ज नहीं किया जाएगा।

यानि यह सब बिल्कुल फ्री। गौरतलब है कि फिलहाल यह योजना सिर्फ राजस्थान के बीएसएनएल उपभोक्ताओं के लिए लागू की गई है। इससे पहले बीएसएनएल ने रात में फ्री नाइट कॉलिंग से सभी को लुभाया था।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस योजना को शुरू करने का उद्देश्य बीएसएनएल के कटे हुए कनेक्शन को फिर से जोड़ना हो सकता है।

क्योंकि इस विशेष ऑफर के चलते लोग फिर से बीएसएनएल में अपनी दिलचस्पी दिखाएँगें। कुछ महीने पहले फ्री नाइट कॉलिंग का असर ऐसा हुआ कि लोग वापस बीएसएनएल से जुड़ने लगे थे।

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