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Saturday, 27 August 2016

पूर्णिया बिहार:मदरसे में शिक्षक भर्ती मामले में हुई धांदली,सेक्रेटरी होने का फायदा उठा बनाया भाई को शिक्षक।

शिक्षक चयन मामला !
बैसा प्रखण्ड धुसमल पंचायत स्थित मदरसा न0 345
(मदरसा गौसिया फैज़ ए आम पलनकाफ ) जिसमें अनियमित तरीके से सेक्रेटरी द्वारा मनमाने ढंग से अपने भाई को नियुक्त किया गया है को लेकर मामला तूल पकड़ता जा रहा है । जिससे लोगों मैं काफी रोष है ।
कहा जा रहा है की इस चयन प्रक्रिया मैं मदरसा कमिटी के सदर एवं मदरसे के हेड मौलवी को भी अँधेरे मैं  रखकर यह चयन किया गया है जो की बिलकुल निराधार है ! जहाँ तक गांव वालों का कहना है इससे पहले भी वर्तमान सेक्रेटरी द्वारा इसी पर्कार से पूर्व सेक्रेटरी के सहयोग से अपने एक भाई को पहले ही इसी मदरसे मैं बहाली कर चूका है ! अब प्रश्न यह उठता है की मदरसे मैं परिवारवाद की राह पे ले जानेवाला वयक्ति क्या शिक्षा के प्रति गंभीर हो सकता है या क्या ऐसे मदरसौं से पर्याप्त शिक्षा मिल पायेगी ?
सवाल कई हैं मगर जवाब कुछ नहीं ।

धांदली इस हद तक की गयी के मदरसे के हर सदस्य के जाली हस्ताक्षर भी आरोपी ने खुद किये,और इस बाबत में कोई भी आवाज़ उठाने को तैयार नहीं है।
मामले को संज्ञान मैं लेते हुए माननीय शिक्षा मंत्री,राजस्व मंत्री श्री हाजी अब्दुल जलील मस्तान सम्बंधित शिक्षा अधिकारी एवं मानव संसाधन विकास विभाग से निवेदन है की मामले की पूर्ण जांच हो और दोषियों को सजा मिले और योग्य शिक्षित बेरोजगारों को मौका मिले और शिक्षा की गरिमा बनी रहे और आम लोगों का विश्वास सरकार एवं अधिकारी के प्रति कायम रहे ।ये पूरा मामला हाई कोर्ट में चला गया है जिससे मुख्य आरोपी पर कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है,इतना होने के बावजूद भी किसी भी न्यूज़ चैनल या अखबार ने इस मामले में कोई एक्शन नहीं लिया है,अब इसको किस नज़र से देखा जाए क्या मीडिया बिक चुकी है या फिर इतना बड़ा कांड होने के बाद भी मीडिया को कोई खबर ही नहीं है।






शोधकर्ता..........मोहम्मद अबरार,मोहम्मद इक़रामुद्दीन

रियो ओलंपिक में रहा मुस्लिम महिलाओ का दबदबा देखिये यहाँ।

रिओ डी जनेरिओ: रिओ में हुए इस बार के ओलिंपिक में महिलाओं ने कमाल का प्रदर्शन किया है और इसमें मुस्लिम महिला खिलाड़ियों का प्रदर्शन क़ाबिल-ए-गौर है. मुसलमान महिलाखिलाड़ियों ने इस बार रिकॉर्ड भी बनाए मेडल भी जीते. दलिलाह मोहम्मद ने 400 मीटर की हर्डल में सोना जीता. 21 साल की आलिया मुस्तफ़ीना ने सोना जीता अनइवन बार्स में जबकि टीम स्पोर्ट्स में उन्हें चांदी हासिल हुई और अकेले वो कांस्य जीतीं.मारिया स्तादनिक ने रेसलिंग में चाँदी जीती जबकि ज्हज़िरा ज़हप्पर्कुल और स्री वह्यूनीअगस्तानी ने भार्रोत्तोलन में चाँदी हासिल की.अमेरिकी इब्तिहाज मोहम्मद ने हिजाब पहन कर प्रतियोगिता में भाग लेकर रिकॉर्ड बनाया और फेंसिंग में कांस्य जीत लिया. हेदाया वह्बा और पेतिमत अबाकोरवा ने ताइकवंडो में कांस्य जीता.इंस बौबकरी ने इब्तिहाज ही की तरह फेंसिंग में कांस्य हासिल किया. नूर तातार ने ताइकवंडो में चांदी जीती जबकि मारवा अमरी नेरेसलिंग में कांस्य जीत कर तुनिशिया के लिए रिकॉर्ड बनाया और तुनिशिया के लिए कांस्य जीतने वाली पहली महिला बनीं.


हिंदू धर्म में होने वाले भेदभाव से तंग आकर दलित चुन रहे इस्लाम की राह

तमिलनाडु के गाँव Pazhangkallimedu एवं Nagapalli में हुए दलितों के साथ दुर्लभ व्यवहार निंदनीय है। मंदिर में पूजा -पाठ करने से रोकना न केवल सामाजिक अपराध है बल्कि भारतीयों के मौलिक अधिकार का हनन भी है। यदि हम बात करें किसी ख़ास वर्ग की तो ये बात यहीं ख़त्म नहीं होती की दलितों को उस मंदिर में पूजा करने से रोका गया, बल्कि ये एक ऐसे आंदोलन की तरफ इशारा करता है जिससे पुरे राज्य में धर्म के नाम पर कई नकारात्मक मुद्दे जन्म ले सकते हैं। पहला मुद्दा है दलित होने के साथ साथ वे हिन्दू हैं ,काम जो भी करते हों पर राम को पूजते हैं , होली से लेकर दीपावली तक उसी भावना से मनाते हैं जैसे हम और आप। दूसरा मुद्दा है मेहनत कर के कमाए गए पैसे से उसी दुकान और मंडी से अनाज,फल और सब्ज़ी लेते हैं जहाँ से हम और आप। तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है वह ये की जब इन्हें महामारी या बीमारी घेर लेती है तो हस्पताल भी वही और दवा भी डॉक्टर वही देतेहैं जो बीमारी में कारगर सिद्ध हो जैसे हमें और आप को देते हैं। अब सवाल ये उठता है कि जब त्यौहार -भगवान्, सब्ज़ी-फल-अनाज और बीमारी-डॉक्टर- दवा में कोई भेदभाव नहीं तो केवल पंडितों के अड्डे पर ही भेदभाव क्यों। अगर भेदभाव करना है तो उनके लिए सामाजिक संरचना को बदलना होगा।केवल धर्म परिवर्तन से तो पूजा करने का तरीका बदलेगा, मन में जो राम बसे हैं उन्हें कैसे परिवर्तित करंगे , घर में दिवाली के रौशनी और पटाखों की आदत है उसके स्नेह को कैसे परिवर्तित करेंगे। यही नहीं अगर इस्लाम कबूल लेंगे तो गौ-पूजा के जगह गौ-हत्या करेंगे फिर एक सामाजिक पाप के भागी बनेंगे यही लोग। कभी बापू जी ने सोचा नहीं होगा की उनके दिए हुए हरिजन नाम को आज भी लोग दलित के नाम से ही जाचें परखेंगे। बापू के इसभूमि की संवेदनशीलता इसी में है की कम से कम धर्म को तो मुद्दा न बनने दें हम सब अन्यथा धार्मिक असहिष्णुता के बीज हर ह्रदय में बैठजायेंगे फिर हम न तो समाज का उत्थान कर सकेंगे ना ही राष्ट्र का हित। राष्ट्रभावना से ओत-प्रोत हमारे संविधान ने न जाने कितने विषम घड़ियों में हमें न्याय दिलाने में हमारा साथ दिया है पर बात धर्म के मुद्दे की हो तो सब कमज़ोर पड़ जाते हैं बस एक ही चीज़ जो सबसे बड़ी दावेदार साबित होती है वह है आस्था। हमारे देश में न्याय से ज़्यादा आस्थाका बोल-बाला है। धर्म परिवर्तन जैसे मुद्दे इतने गंभीर नहीं हैं, पर हाल में हुए दलितों के साथ इस व्यवहारात्मक घटना से धर्म परिवर्तन एक धमकी जैसी लगती है। जिसमे न तो किसी की मर्ज़ी है न रूचि , परंतु फिर भी इस्लाम अपनाएंगे क्योंकि उनके अपने धर्म में , अपने मंदिर में उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इस प्रकार से होने वाले धर्म परिवर्तन हमें किसी धर्म के महान होने का संकेत नहीं देते।इस पुरे घटनाक्रम में एक बात साफ़ हुई की भारतमें यहाँ भी आरक्षण की ज़रूरत है, प्रत्येक मंदिर में कितने प्रतिशत दलित अपनी उपस्तिथि दर्ज करा सकते हैं इसका उल्लेख ज़रूरी है। क्योंकि जहाँ आस्था की बात है तो स्पष्ट है की हमारे बुद्धिमान पंडित अपने मंदिर को मैला नहीं करने देंगे, तो शायद ये आरक्षण की योजना ही उन दलितों का कुछ भला कर सके। इस बार संघर्ष हिन्दू-मुस्लिम , मंदिर-मस्जिद, या गौहत्या -गौपूजन से नहीं बल्कि येविवाद मंदिर में ही खड़े एक हिन्दू का दूसरे हिन्दू के साथ पूजा करने से जुड़ा है जो दुखद है। जब हम हिन्दू ही भाई -भाई नहीं तो हिन्दू मुस्लिम भाई भाई की परिकल्पना करना अनुचित है। ऐसी घटनाएं मानसिक स्तर पर असंतुष्ट करती हैं। राज्य के बनाये हुए मंदिर और देश के बनाये हुए संविधान के बीच ताल मेल बिठाना आवश्यक है ताकि किसी भी असहिष्णुता से हम आसानी से उबर सकें और रही बात धर्म परिवर्तन की तो आज़ादी का एहसास परिवर्तन से नहीं जागरूकता से ही संभव है। जिस देश ने हमें एकता के सूत्र में बांधा है उसी देश के कानूनका भली भांति अध्यन कर हम अपने अगले कदम की ओर बढ़ सकते हैं। चेतावनी से अच्छा है हम अपनीबात पहुचानें का माध्यम ढूंढे ताकि देश की गरिमा और अपने धर्म की मर्यादा बनी रहे।

मुम्बई हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, हाजी अली दरगाह में जा सकेंगी महिलाए

मुंबई हाई कोर्ट ने मुस्लिम महिलाओं का मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में जाने का रास्ता खुल गया है। कोर्ट का कहना है कि भारतीय संविधान में महिलाओं को भी पुरुषों के समान बराबर का दर्जा दिया गया है इसलिए महिलाओं को किसी भी धार्मिक जगह पर जाने की पूरी आजादी है। जिसके तहत महिलाओं के हाजी अली दरगाह में प्रवेश पर लगी पाबंदी से रोक हटा दी है। कोर्ट के इस फैसले पर सोशल एक्टिविस्ट तृप्ति देसाई ने खुशी जताते हुए कहा कि यह ऐतिहासिक और बड़ी जीत है। कोर्ट ने कहा है कि जब पुरुषों को दरगाह में जाने की इजाजत है तो महिलाओं को भी अंदर जाने दिया जाना चाहिए और दरगाह के अंदर महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी हाजी अली दरगाह प्रशासन की होगी। गौरतलब है कि साल 2011 तक सभी महिलाओं को दरगाह के अंदर जाने की अनुमति थी लेकिन साल 2012 में इस पर रोक लगादी गई। कोर्ट के इस फैसले पर हाजी अली दरगाह प्रशासन का कहना है कि इस फैसले को वह सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। महिला संगठनों का कहना है कि वे इस फैसले से खुश हैं। उन्हें उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट भी उनके समर्थन में फैसला देगा।

मस्जिदों और कुरआन पर प्रतिबन्ध लगाने को तैयार........

नीदरलैंड चरम दक्षिणपंथी से संबंध रखने वाले राजनीतिज्ञ गेयरट विल्डरज की राजनीतिकपार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कहा है कि वे सफलता के मामले में देश में मस्जिदों को बंद कर देगी जबकि ‘कुरान पर प्रतिबंध’ लगा देगी।Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करियेफ्रीडम पार्टी (PVV) नामक इस राजनीतिक दल अगले वर्ष होने वाले संसदीय चुनाव के संबंध में कराए जाने वाले सर्वेक्षणों में बढ़त लिए हुए है। समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार मार्च 2017 में प्रस्तावित विधान सभा के चुनाव के संबंध में फ्रीडम पार्टी द्वारा चुनाव कार्यक्रम के संबंध में जो दस्तावेज तैयार की गई है, उसमें कहा गया है, कि ” सभी मस्जिदों और इस्लामी स्कूल बंद कर दिए जाएंगे और कुरान पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा। ‘ इस दस्तावेज़ पर गेयरट वेल्डरज़ की ओर अपनी ट्वीटर फीड में जारी की गई।PVV के अनुसार वह देश की ‘इसलामाईज़ेशन’ प्रक्रिया वापस करेगी, जिसके लिए सीमाओं की कटौती, शरण चाहने वालों के केंद्रों को बंद करने, मुस्लिम देशों से प्रवासियों के आगमन रोकना और महिलाओं पर सार्वजनिक स्थानों पर हेड स्कार्फ पहनने पर प्रतिबंध लगाने जैसे विभिन्न उपाय शामिल होंगे।एक ऐसे समय में जब यूरोप के प्रवासियों का संकट है, नीदरलैंड में संसदीय चुनावों से पहले होने वाले सर्वेक्षणों में पिछले कई महीनों से गेयरट वेल्डरज़ की राजनीतिक पार्टी PVV इस समय सत्ता में मौजूद सहयोगी दलों ‘लेबर पार्टी’ और ‘पीपुल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रेसी ‘से आगे है। इस समय गठबंधन सरकार के प्रमुख मार्क रटे हैं।

जब यूपी में वोटों के डिब्बे खुलेंगे तो दंग रह जाओगे: अमित शाह

उत्तर प्रदेश:यूपी चुनावों में बीजेपी को कड़ी टक्कर तो सिर्फ समाजवादी पार्टी ही देगीऐसा ब्यान देकर चुनावी दंगल में सनसनी फैलाईहै बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने। बीजेपी अध्यक्ष शाह की इस हुंकार ने राजनीति में और गरमाहट ला दी है। शाह का कहना है कि सपा और बीजेपी की इस चुनावी टक्कर में जीत तो बीजेपी की ही होगी। उत्तर प्रदेश में इस बार वोटरों की पहली पसंद बीजेपी होगी और वोट बदलाव के लिए डाले जाएंगे। वो जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं क्योंकि यूपी की जनता ने परिवर्तन का मन बना लिया है जो आगामी चुनाव में साफ नजर आएगा। जब डिब्बे खुलेंगे तो चुप हो जाएंगे और भूल नहीं पाओगे जो नतीजेआएंगे सबके सामने। हालांकि यूपी चुनावों के लिए बीजेपी ने अभी मुख्यमंत्री बनने के लिए उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं किया है।

रिपोर्ट:यूरोप में बहुत तेजी से फेल रहा है इस्लाम अपनाने वालो का आस्तित्व।

यूरोप में एक रिपोर्ट के जरिए नया खुलासा किया गया है कि यूरोप में इस्लाम बहुत तेजी से फैल रहा है। हालाँ
कि यूरोप में बढ़ रहे इस्लाम को अपनाने वालों के कोई आधिकारिक आकड़ें सामने नहीं आए हैं लेकिन हर साल इस संख्या लाखों में इजाफा हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि इसके पीछे की वजह इस्लाम के खिलाफ हो रहा दुष्प्रचार है जिससे लोगों मेंइस्लाम को करीब से जानने के लिए उत्सुकता बढ़ी है और शौंक बढा है। ऐसी कई वीडियो भी सामने आ रहीं है जिसमे कई यूरोपिन लोगों को इस्लाम कुबूल करते हुए देखा गया है। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक तरफ जहाँ इस्लाम को आतंकवाद, कट्टरवाद और बुराई से जोधा जाता रहा है वहीँ लोगो के अंदर अब इस्लाम को अपनाने की चाह बढ़ती हुई नजर आ रही है।हाल ही में इस्लाम को अपनाने वाले लोगों से पूछा गया तो उन्होंने इस्लाम को एक अच्छा मजहब बताते हुए कहा कि इस्लाम शांति पसंद मजहब है जोकि सबसे पहले इंसानियत का सन्देश देता है और इस्लाम को अपनाने के लिए उन्हें किसी ने मजबूर नही किया बल्कि उन्होंने अपनीमर्जी से इस्लाम को जानकर इस्लाम को अपनाया है।

J.n.u के प्रेसिडेंट कन्हैया कुमार की ज़मानत को नियमित किया।

नई दिल्ली – दिल्ली हाई कोर्ट ने देशद्रोह का मुकदमा झेल रहे जवाहर लाल यूनिवर्सिटी केप्रेसिडेंट कन्हैया कुमार की अंतरिम जमानत को नियमित कर दिया हैदिल्ली पुलिस ने सुनवाई को दौरान कोर्ट को बताया कि कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने अंतरिम जमानत की किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया और साथ हीजांच में पुलिस का पूरा सहयोग किया है।अतिरिक्त सेशंस जज रितेश सिंह ने कहा कि सभी आरोपियों द्वारा अंतरिम जमानत के दौरान पुलिस जांच में पूरा सहयोग किया गया और किसी भी शर्त का उल्लंघन नहीं किया गया। इसे देखते हुए कन्हैया, उमर और अनिर्बान को नियमित जमानत दे दी गई।बेल बॉन्ड और श्योरिटी बॉन्ड पर अंतरिम जमानत के समय ही तीनों आरोपियों ने हस्ताक्षर कर दिए थे। कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश आने तक वही बॉन्ड प्रभावी रहेंगे।

बसपा और भाजपा के इलाको में होते है सबसे ज़्यादा दंगे और वारदाते।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बिगड़ी कानून व्यवस्था का हवाला देकर विधानसभा चुनाव में झंडे गाड़ने का मंसूबा बनाने वाली भाजपा और बसपा के लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो कीताज़ा रिपोर्ट झटका देने वाली है। इसमें बताया गया है कि जिस क्षेत्र में इनके विधायक हैं , वहां सर्वाधिक दंगे-फसाद होते है। वैसे, आपराधिक घटनाओं के नज़रिये से पूरे सूबे की दशा बेहद चिंताजनक है।यूपी में हर दिन अपहरण के 33, हत्या के 13 औरबलात्कार के 24 मामले दर्ज किये जाते हैं। इस प्रदेश में दंगा की प्रतिदिन 19 घटनाएं रिकॉर्ड की जाती हैं। मायावती सरकार की तुलना में अखिलेश सरकार में दंगे 12 प्रतिशत बढ़े हैं। क्राइम ग्राफ में भी अधिक उछाल आया है। यहाँ तक कि संगीन अपराधों में इसकी गिनती अब अव्वल प्रदेश में होने लगी है।Facebook पर हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करेंपिछले चार वर्षों में भाजपा एवं बसपा के प्रभाव क्षेत्रों में सर्वाधिक दंगे रिकॉर्ड किए गए। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, पिछले 4 साल में यूपी में 93 लाख से ज्यादा क्राइम की घटनाएं दर्जकी गईं और दंगे सबसे ज्यादा भाजपा व बसपा के विधयक वाले इलाकों में हुए। बसपा सरकार में 22347 दंगे हुए थे, जबकि अखिलेश सरकार में यह आंकड़ा बढ़कर 25007 हो गया।पिछले एक वर्ष में सबसे ज्यादा दंगे आगरा, गोरखपुर और आजमगढ़ में हुए हैं। आजमगढ़ को छोड़कर बाकी जिलों में सपा से ज्यादा विधायकबसपा या भाजपा के हैं। आंकड़े बताते हैं कि मायावती सरकार की तुलना में अखिलेश सरकार में बाकी क्राइम में भी इजाफा हुआ है। बसपा के टाइम में हर दिन यूपी में औसतन 5783 अपराध दर्ज होते थे, यह आंकड़ा बढ़कर 6433 परपहुंच गया है। हालाँकि इस बारे में मंत्री एसपी यादव का कुछ अलग ही तर्क है। उनका कहना है कि क्राइम का आंकड़ा इसलिए बढ़ा है कि सपा सरकार में मुक़दमे दर्ज किए जा रहे हैं। मायावती सरकार में मुक़दमे दर्ज ही नहीं होतेथे।लखनऊ से एम ए हाशमी की रिपोर्ट

न्यू टेक्नोलॉजी ने मदरसो की तरफ बच्चों को जाने के लिए बढ़ावा दिया।

कोलकाता: मॉडर्न एजुकेशन सिस्टम इस क़दर अंग्रेज़ी पे जा टिका है कि दूसरी तरह की पढ़ाईसे लोग बचने से लगे हैं. एक समय था जब लोग मदरसों में अपने बच्चों को दीनी और दुनियावीतालीम के लिए भेजते थे, बाद में ये सिर्फ़ दीनी हो गया और आजकल के दौर में तो ये ग़ायब होने की कगार पे है लेकिन इस गिरावट को बढ़त की तरफ़ मोड़ने का काम किया है टेक्नोलॉजी ने. जी हाँ, तकनीकी सेवाओं की वजह से ये मुमकिन हो पाया है कि मदरसे में बच्चे फिर से वापिस आने लगे हैं और दीनी पढ़ाई के साथ साथ दुनियावी पढ़ाई भी शुरू हो गयी है और पश्चिम बंगाल में तो ये एक ट्रेंड सा बन कर उभरा है. जहां पहले बच्चे मदरसों में दाख़िला नहीं ले रहे थे या जिन का दाख़िला हुआ था वो छुट्टियांकर रहे थे अब बच्चों में मदरसों में पढने को लेकर उत्साह आ गया. अच्छी कंप्यूटर लैब और दूसरी तरह की दुनियावी पढ़ाई को मदरसों में जगह मिल रही है.

महिलाओ के दरगाहो पर जाने की इस्लाम नही देता है इज़ाज़त -मुस्लिम धर्मगुरु

मुंबई:हाजी अली दरगाह में औरतो के जाने की इज़ाज़त देने पे मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एक सी राय देते हुयें कहा है कि इस्लाम में महिला मस्जिद में नमाज़ अदा कर सकती है लेकिन इस्लाम महिला को दरगाह में जाने की इज़ाज़त नही देता हैमौलाना खालिद फिरंगी महली ने इस बाबत राय देते हुयें कहा संविधान धर्म को आज़ादी देता है कि वो कायदे और कानून से देश में धर्म की शिक्षाओं को कर सकता है चुकी इस्लाम में महिलाओ के दरगाह में जाने पे मनाही है इसलियें संविधान के हिसाब से हमें हक है कि हम अपने बताये मज़हब की बातो को आजादी से कर सके .Facebook पर हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करेंदारुल उलूम देवबंद ने भी औरतो के दरगाहो में जाने पे इस्लामिक नजरिये से मनाही वाली राय रखी हैइससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए हाजी अली दरगाह पर महिलाओंके प्रवेश से पाबंदी हटा दी है शुक्रवार को ये ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लियाहाजी अली ट्रस्ट हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफअब सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगा।अपने फैसले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने महिलाओं को हाजी अली दरगाह में मज़ार के भीतर तक जानेकी अनुमति दे दी है। पहले महिलाओं को केवल बाहर तक ही जाने की इजाजत थी, अंदर मज़ार तक जाने की नहीं। इसके खिलाफ मुस्लिम महिला आंदोलन नाम की एक संस्था ने बॉम्बे हाईकोर्टमें जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि जहां तक मर्द जा सकते हैं वहां तक औरतों को जाने की अनुमति क्यों नहीं है। इसी याचिका पर फैसले सुनाते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने महिलाओं को दरगाह के भीतरी गर्भगृहतक जाने की अनुमति दी है।

बाबरी मस्जिद कांड के उक्त मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का साथ देना मेरी गलती थी:मुलायम सिंह सपा मुखिया

लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) मुखिया मुलायम सिंह यादव ने आज कहा कि अपनी गलती मानने वालाही बड़ा नेता बन सकता है। उन्होंने भी कई गलतियां की थीं और कल्याण सिंह का साथ देना भी एक गलती थी।सपा प्रमुख ने पार्टी के वरिष्ठ नेता रहे भगवती सिंह के जन्मदिन के अवसर पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि चाहे कोई नेता हो या आम व्यक्ति, हर किसी को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिये। चौधरी चरण सिंह ने भगवती सिंह का चुनाव टिकट काट दिया था। बाद में उन्होंने अपनी गलती मानी।उन्होंने कहा, ‘‘जो अपनी गलती मानता है वही बड़ा नेता बनता है। हमने भी कई गलतियां की हैं। कल्याण सिंह का साथ देना भी एक गलती थी।पार्टी में इसे लेकर मतभेद था। हालांकि मैं हमेशा सम्बन्धों को निभाता हूं।’’ मालूम हो कि वर्ष 2003 में प्रदेश में सरकार बनाने के लिये यादव ने भाजपा के तत्कालीन बागी नेता कल्याण सिंह का सहयोग लिया था। हालांकिबाद में उन्होंने इसके लिये मुसलमानों से माफी भी मांगी थी। सिंह अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस के वक्त प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। सिंह इस वक्त राजस्थान के राज्यपाल हैं।

गुजरात के दोगलेपन को जड़ से खत्म करेगी दलित मुस्लिम एकता।

भूमि अधिकार और स्वाभिमान की लड़ाई इस देश की लड़ाई – जिग्नेश मेवाणीयूपी में गूंजा ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’लखनऊ 26 अगस्त 2016। ऊना, गुजरात में गौरक्षकों द्वारा दलितों की पिटाई के बाद ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ के नारे के साथ पूरे देश में दलित अत्याचारों के खिलाफ आवाज बने जिग्नेश मेवाणी ने यूपी प्रेस क्लब में ऐलान किया कि भूमि अधिकार और स्वाभिमान की लड़ाई इस देश की लड़ाई होगी।गुजरात से आए ऊना दलित अत्याचार लड़त समिति के संयोजक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि पूरे देश में एक संघर्ष का मंच बनाना चाहते हैं जोगुजरात, यूपी ही नहीं पूरे देश में दलितों केलिए जमीन के सवाल पर आंदोलन खड़ा कर सके। जो दलित आंदोलन सिर्फ अस्मिता की राजनीति में फस गया है उसको अपने अस्तित्व बोध के साथ खड़ाहोना होगा। उन्होंने ऊना से शुरु हुए आंदोलनका जिक्र करते हुए कहा कि जिस तरह से ऊना में जिलाधिकारी कार्यालय पर मृत पशुओं को ले जाकर छोड़ दिया गया उसने साफ किया कि दलित अब पिटेगा नहीं वह अपने अधिकारों के लिए लड़ेगा।सिर्फ रोटी, कपड़ा, मकान की राजनीति नहीं बल्कि अब स्वाभिमान की राजनीति भी होगी। यह लड़ाई हम तभी जीत पाएंगे जब जाति व्यवस्था द्वारा थोपे गए अमानवीय कार्यों को छोड़ देंगे। इसलिए हमनें अहमदबाद में ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ का नारा देते हुए बीस हजार दलितों के साथ शपथ की कि वे हम ऐसे घृणित कार्य नहीं करेंगे। यह दलित आंदोलन की ऐतिहासिक घटना है, जिसका सपना बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने देखा था। इस आंदोलन को हम पूरे देश में गैर बराबरी को स्थापित करने वाले जमीन के मालिकाना हक के मुद्दे से जोड़ना चाहते हैं। हमने गुजरात मेंमांग की है कि हर दलित परिवार को पांच-पांच एकड़ जमीन दी जाए। इसको गुजरात समेत पूरे देश में ले जाना है। यदि 15 सितंबर तक जमीन वितरण, आरक्षण सवाल पर गुजरात सरकार कार्रवाई करती नहीं नजर आएगी तो हम दलितों, मुसलमानों, आदिवासियों, मजदूरों के यूनियन के साथ या तो जेल भरेंगे या तो रेल रोको आंदोलन करेंगे। इसी संदर्भ में हम पूरे देश में समर्थन मांग रहे हैं। ‘गाय की पूंछ तुम रखो, हमको हमारी जमीन दो’ का नारा पूरे देश में ले जाकर भूमि के सवाल को दलित राजनीति कोकेन्द्र में लाना है जो आपके यूपी में भी दलितों का प्रमुख एजेण्डा है। जिग्नेश ने कहा कि यूपी भी जिस तरह दलित-मुसलमान उत्पीड़न का अड्डा है यहां भी हम हक-हुकूक और इंसाफ के लिए संघर्षरत जमात के साथ खड़े होकर सांप्रदायिक-सामंती मंसूबों को ध्वस्त करेंगे।संघ पोषित बीएचयू के कुलपति द्वारा आईआईटी से निकाले गए मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित सोशलिस्ट पार्टी के उपाध्यक्ष संदीप पाण्डेय ने कहा कि ऊना में जो दलित अस्मिता यात्रा निकली थी उसमें यह मांग उठी थी कि मृतक गायों को अब दलित नहीं उठाएंगे। जब रोटी बनाने की मशीन बना ली गई है, रोबोट से आपरेशन हो रहा है और हर मुश्किल काम हो रहा है तो मृतक गायों को हटाने के लिए मशीन क्योंनहीं। गुजरात में एक विज्ञापन निकला था जिसमें सीवर की सफाई के लिए सवर्ण की आरक्षित सीट लिख दिए जाने पर लोग नाराज हो गएइससे समझा जा सकता है कि सीवर में घुसकर काम करना कितना मुश्किल व अपमानजनक है। जिग्नेश और इनके साथी जो आंदोलन चला रहे हैं उसमें दलितों को ही नहीं समूचे उत्पीड़ित समाज को मजबूती से भाग लेना चाहिए और अपने बच्चों की शिक्षा के लिए लड़ना चाहिए।कार्यक्रम के अध्यक्षीय उद्बोधन में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज गुजरात का बेटा जिग्नेश मेवाणी हमारे बीच में हैं जिसने मोदी के गुजरात माॅडल को पूरे दुनिया में बेनकाब कर दिया जहां दलितों को इंसान नहीं समझा जाता। पूरी दुनिया ने 2002में गुजरात की माओं के गर्भ को चीरकर नवजातों को त्रिशूल में टंगा हुआ देखा और आज उसी गुजरात के दलित भाइयों के साथ लगातार हो रही नाइंसाफियों के खिलाफ दलित-मुस्लिम एकता का जो नया गुजरात माॅडल विकसित हो रहा है वह पूरे देश की राजनीति को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि कोई औपनिवेशिक उदारीकरण के विकास का माॅडल इस देश में शोषितों-वंचितों को मुक्ति नहीं देगा बल्कि इंसाफ के सवाल पर जिग्नेश मेवाणी जैसे नौजवानों का नेतृत्व ही एक नए भारत का निर्माण करेगा।कार्यक्रम के शुरुआत में आधार वक्तव्य देते हुए रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने सामाजिक न्याय की नई धारा के इस नेतृत्व पर बात रखी तो वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता अजय शर्मा ने यूपी में दलितों के भूमि व लोकतांत्रिक अधिकारों के दमन पर अपनी बात रखी।जिग्नेश मेवाणी को अमित अंबेडकर, लवलेश चैधरी, गुफरान सिद्दीकी, लक्ष्मण प्रसाद, शकील कुरैशी, राॅबिन, शबरोज मोहम्मदी, शम्स तबरेज, महेश चन्द्र देवा, मौलाना अबू अशरफ, आरिफ मासूमी आदि ने माल्यार्पण कर यूपी आगमनपर स्वागत किया।कार्यक्रम का संचालन रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने किया। कार्यक्रम में सृजन योगी आदियोग, एहसानुल हक मलिक, बलवंत यादव, कल्पनापाण्डेय, शरद पटेल, हफीज किद्वई, इन्द्र प्रकाश बौद्ध, लाल प्रकाश राही, विनोद यादव, रफत फातिमा, हफीज उल्लाह, हादी खान, रफीउद्दीन, सत्यम वर्मा, सद्दाम अहमद, कमर सीतापुरी, रुपेश, इनायत उल्लाह खान, यावर अब्बास, वीरेन्द्र गुप्ता आदि ने शिरकत की।

सऊदी में मस्जिद पर हमला करने वाला आतंकी पाकिस्तानी निकला।

रियाद: सऊदी गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि कतीफ़ में मस्जिद पर हमले की कोशिश करने वाला आत्मघाती बम बार राज्य में स्थित पाकिस्तानी था और सुरक्षाबलों ने विस्फोट करने से पहले ही इस पर काबू पा लिया था।Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करियेगृह मंत्रालय के सुरक्षा प्रवक्ता के अनुसार सुरक्षा बलों ने मंगलवार को एक आतंकवादी कार्रवाई को नाकाम कर दिया। कार्रवाई में कतीफ़ के एक गांव उम्मे हमाम के मस्जिद मुस्तफा में मग़रिब के नमाज़ के समय नमाजियों को निशाना बनाया जाना था।प्रवक्ता का कहना है कि सुरक्षा अधिकारियों को मस्जिद के पास एक व्यक्ति की गतिविधियों से संदिग्ध दिखाई दिया जिस पर उन्होंने उक्तव्यक्ति को रोक कर पूछताछ शुरू कर दी। इसी दौरान उस व्यक्ति ने अपनी कमर पर मौजूद स्पोर्ट्स बैग के अंदर रखे विस्फोटक उपकरण का उपयोग करने की कोशिश की लेकिन तुरंत इस फायरिंग का निशाना बना आत्मघाती बम बार पर काबू पा लिया गया। बैग की तलाशी में उसके अंदर से 4 किलो वज़नी विस्फोटक सामग्री बरामद हुआ। हमलावर अस्पताल स्थानांतरित किएजाने के दौरान ही दम तोड़ गया। उसकी जेब से मिले पहचान पत्र से उसकी पहचान बतौर पाकिस्तानी आधारित के हुई है और इस संबंध में आगे की पुष्टि की जा रही है।

By.....siasat daily

मोदी से खुद कुछ अच्छा होगा नहीं,और दुसरो को करने देंगे नहीं:अरविन्द केजरीवाल

नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आप सरकार की ओर से लिए गए ‘गैरकानूनी’ निर्णयों पर उप राज्यपाल नजीब जंग के बयान को लेकर आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधाकेजरीवाल ने ट्वीट किया, ‘‘मोदीजी के विचार पूरी तरह नकारात्मक हैं। वह खुद कुछ अच्छा नहीं कर सकते और दूसरों को भी नहीं करने देंगे। वह हर चीज को पलट देते हैं।’’ एक कार्यक्रम में जंग ने आज कहा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के हालिया आदेश से पहले आप सरकार की ओर से ‘गैरकानूनी फैसले’ किए गए,
जंग ने केजरीवाल के उस दावे को भी खारिज किया कि वह और प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली सरकार के कदमों को रोक रहे हैं।

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