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Sunday, 14 August 2016

रुस्तम का फेन हो गया सुलतान।

बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे है. तथा वह धड़ाधड़ बॉलीवुड में नई-नई फिल्मो में अपना शानदार अभिनय दोहरा रहे है. खबर है कि अभी वह अपनी रिलीज हो चुकी फिल्म जिसका नाम 'रुस्तम' हैके लिए काफी सुर्खियों में छाए हुए है. बॉलीवुड के सुपर खिलाडी और अब रुस्तम-ऐ-बॉलीवुड का ख़िताब पा चुके अक्षय कुमार की फिल्म रुस्तम आज फ़िल्मी परदे पर रिलीज हो गई है।फिल्म रुस्तम अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज, ईशा गुप्ता और अर्जुन बाजवा जैसे सितारों से सजी है. वही फिल्म का निर्देशन किया है टीनू सुरेश देसाई ने और प्रोड्यूस किया है नीरज पांडे ने। तथा सुनने में आया है कि बॉलीवुड एक्टर अक्षय कुमार की हालिया रिलीज फिल्म 'रुस्तम' को रितिक रोशन की फिल्म 'मोहनजोदड़ो' कीतुलना में बॉक्स ऑफिस पर अच्छी शुरुआत मिली है।व अक्षय की फिल्म की इस सफलता पर सलमान ने अक्षयकी जमकर तारीफ की है. अभी वैसे भी देखा जाए तो सलमान खान अपनी फिल्म ट्यूबलाइट में काफी व्यस्त है. देखा जाए तो रुस्तम ने अपने पहले दिन14.11 करोड़ की कमाई की थी व दूसरे दिन फिल्म ने 16.43 करोड़ की कमाई की, कुल मिलाकर देखा जाए तो फिल्म ने अभी तक 30.54 करोड़ का व्यवसाय कर लियाहै।

छत्तीसगढ़ : गौशाला में 15 गायों की मौत के मामले की जांच के निर्देश

रायपुर। कृषि एवं पशुधन विकास मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कांकेर जिले के ग्राम करार्माड़ की गौशाला में पशुओं की मौत के मामले की जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने संचालक (पशु चिकित्सा सेवाएं), कलेक्टर (कांकेर) तथा सचिव एवं पंजीयक (राज्य गौ सेवा आयोग) तथा जिला प्रशासन के अन्य अधिकारियों से इस मुद्दे पर चर्चा की।उन्होंने राजधानी रायपुर से संचालक (पशु चिकित्सा सेवाएं) एवं सचिव (गौ सेवा आयोग) के साथ अन्य अधिकारियों की एक टीम भेजकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली, तथा मामले की जांच प्रतिवेदन तत्काल प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।अग्रवाल ने कहा है कि गौशाला में पशुधन की मौत के मामले में लापरवाही पाए जाने पर संबंधितों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।पशु चिकित्सा सेवा संचालक ने दुर्गकोंदल विकासखंड के कामधेनु गौ सेवा संस्थान (गौशाला) करार्माड़ में पशुओं की मौत के संबंध में कहा कि एक अगस्त से 10 अगस्त के बीच इस गौशाला के 15 पशुओं की मौत हुई है।कांकेर जिले के उप संचालक (पशु चिकित्सा सेवाएं) से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार, उन्होंने 11 अगस्त को जिला प्रशासन कांकेर के अधिकारियों के साथ गौशाला का निरीक्षण किया था,और वहां 119 गाय, 157 बैल तथा छह भैंस पाए गए थे।प्रतिवेदन के अनुसार, गौशाला में एक अगस्त से 10 अगस्त, 2016 के बीच कुल 15 पशुओं की मौत हुई है। निरीक्षण में दो पशुओं के गंभीर रूप से बीमार होने की जानकारी मिली है।अग्रवाल ने इस संबंध में पशुपालन विभाग के अधिकारियों को छत्तीसगढ़ की सभी गौशालाओं का हर सात दिन में निरीक्षण करने तथा गौशालाओं मेंचारे और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं।उन्होंने पशु चिकित्सा विभाग के पशु चिकित्सकों को हर सात दिन में गौशालाओं के पशुधन के स्वास्थ्य की नियमित जांच करने तथा जरूरी इलाज की सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश भी दिए हैं।अग्रवाल के निर्देश पर 13 अगस्त की देर रात तक संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं, सचिव गौ सेवा आयोगसहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के दल ने कामधेनु गौ सेवा संस्थान (गौशाला) करार्माड़ में रहकर निरीक्षण किया।

स्वतंत्रता दिवस पर स्कूलों, घरों और दुकानों पर फहराएं तिंरगा :दरगाह आला हजरत

बरेली:स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने को लेकरदरगाह आला हजरत ने अपने एक अहम फतवे में कहा है कि जश्न-ए-आजादी पर झंडा फहराने या जश्न मनाने में किसी तरह का कोई हर्ज नहीं है.गुजरात में गांधी चौक के रहने वाले मुहम्मद अलीने दरगाह आला हजरत से सवाल किया था कि क्या 15 अगस्त और 26 जनवरी पर स्कूल, घर, दुकान और प्रतिष्ठान पर तिरंगा फहराया जा सकता है और आजादी के जश्न में हिस्सा लेना इस्लाम की नजर में कितना सही है.इस पर दरगाह आला हजरत के मदरसा मंजरे इस्लाम के मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी ने आज फतवा जारी कर कहा है कि इस्लामी कानून के उसूलों का सम्मान करते हुए मुल्क का झंडा भी फहरा सकते हैं.उन्होंने कहा कि बेहतर यह है कि आजादी के जश्न में उन मुस्लिम उलमा और मजहबी रहनुमाओं को श्रद्धांजलि पेश करें, जिन्होंने जालिम अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ आवाज उठाई थी और अपनेजान और माल कुर्बान कर दिए.नूरी ने फतवे में कहा कि ऐसा करके उन फिरकापरस्तों की साजिश को भी नाकाम किया जा सकता है, जो मुसलमानों के खिलाफ मुल्क में दुश्मनी का इल्जाम लगाते रहते हैं. ऐसी ताकतों को जवाब देने के लिए आजादी के जश्न में बढचढकर हिस्सा लें.

आज रहेगा भारत नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट

प्रशासन ने स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य पर सोमवार को भारत-नेपाल सीमा पर पुलिस और सुरक्षाएजेंसियों को खास सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। पंद्रह अगस्त को भारत-नेपाल सीमा पर हाई अलर्ट जारी किया गया है। नेपाल की ओर से किसी भी अनजान, संदिग्ध और अवांछनीय तत्व के भारत प्रवेश पर एसएसबी लगाम कसेगी।एसएसबी 57 वीं वाहिनी के कमांडेंट केसी राना ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस और आगे एक पखवाड़ेतक भारत-नेपाल सीमा पर एसएसबी को खास सतर्क रहने को कहा गया है। आम दिनों की अपेक्षा पेट्रोलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस दौरान एसएसबी डाग स्क्वायड के साथ सीमा पर निगरानी में जुटी है। उधर एसपी डीएस कुंवर के निर्देश पर पुलिस टनकपुर बैराज, बनबसा बैराज पर निगरानी के अलावा राष्ट्रीय संपत्तियों की सुरक्षा में जुटी है। सीओ राजन सिंह रौतेला ने बताया कि जिले के प्रवेश द्वार बनबसा के अलावा नेपाल सीमा पर भी पुलिस जवानों को गश्त बढ़ाने को कहा गया है। टनकपुर और बनबसा में होटलों में सघन तलाशी के निर्देश दिए गए हैं। अनजान और संदिग्धों पर नकेल कसी जाएगी।

मोहब्बत के बाद जिस प्रेमी जोड़े ने शादी की, सात बाद वे निकले बिछुड़े भाई-बहन

नई दिल्लीः मुहब्बत हुई तो उन्होंने शादी कर ली। सात साल पति-पत्नी के रूप में रहे। इस बीच जब उनके भाई-बहन होने का खुलासा हुआ तो दोनों केपैरों-तले जमीन खिसक गई।लड़के व लड़की को उनकी मां बचपन में छोड़ गई थी साथयह मामला ब्राजील का है। ब्राजील के साओ पोलो निवासी 38 साल के लियंड्रो और 39 साल की एड्रियाना ने आपस में शादी की और बाद में पता चला कि वे तो सगे भाई-बहन है।कैसे बिछुड़े थेजब लियंड्रो आठ साल का व उसकी बहन एड्रियाना एक साल की थी तो उसकी मां छोड़कर चली गई। सौतेली मां ने लियंड्रो का पालन किया तो पिता ने एड्रियाना का। मां और पिता अलग-अलग रहे तो कभी जान-पहचान नहीं हुई। जब दोनों जवान हुए तो मुलाकात हुई। फिर उन्होंने शादी की और एक छह साल की बेटी पैदा हुई। इस बीच जब उन्होंने मां-बाप खोजना शुरू किया तो पता चला कि दोनों एकही पिता की संतान है।

यूपी में इलेक्शन से पहले ही AIMIM में गुटबाजी शुरू

हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी उतारने वाली है। लेकिन इलेक्शन से पहले ही पार्टी में गुटबाजी व पदके लिए मारामारी शुरू हो गयी है।कानपुर में करीब तीन साल पहले जिला कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन हाल ही में प्रदेश अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने पूरी जिला टीम का निष्काशित कर मोहम्मद अतीक को जिला अध्यक्ष बनाया है।पुरानी टीम के जिला महासचिव मोहम्मद सुफियान ने इस पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सभी पुराने लोगों को हटाकर नये चेहरे लाने वाले इस अजीब फैसलेसे पार्टी के पुराने लोगों में दुख की लहर है। सुफियान ने अंदेशा जताया कि प्रदेश अध्यक्ष के इस फैसले से पार्टी को नुकसान होगा।प्रदेश अध्यक्ष हाजी शौकत अली ने UPUKLive को बताया कि कानपुर की पुरानी टीम तीन साल से पूरी तरह निष्क्रिय थी। काम न करने के कारण हीजिला कमेटी को भंग किया गया है। जो पार्टी के लिए काम न करके, केवल पद कीचाह रखता है, ऐसे लोगों की हमें जरूरत नहीं है।

सत्ता की ताज़ी आते ही फिर शुरू हुऐ बीजेपी के झूठे वाद

मुरादाबाद।मुरादाबाद की मेयर श्रीमति वीना अग्रबाल जो की हमारे बीच नही रही और देखने वाली वात यह है कि पब्लिक का कहना है कि स्व० श्रीमति वीना अग्रवाल तो सिफ्र नाम की ही मेयर थी चुनाव के दोरान आई थी उसके पश्चात उनसे मिलने के लिए जाते थे नही मिलती थी। आज मुरादाबाद मे उप चुनाव की घोषणा क्या हुई वही पर नेताओ के झूठे बादे शुरू हो जाते है जनता चहती है शहर मे सफाई मगर मेयर साहेब सुनते ही नही देखते है बी जे पी का गढ जहा चार घटे की बरसात से इतना पानी भर गया की पब्लिक को आने जाने की परेशानी हुई.मुरादाबाद- का लाईन पार का क्षेत्र जोकि बी जे पी का क्षेत्र माना जाता है आज वहा मेयर साब की पोल खुल गई इस कदर सडको पर पानी चल रहा था की क्षेत्र के लोगो को परेशानियो का सामना करना पड रहा था छैञ मे फसे रहगिर जोकि वारिस की बजह से फस गया था उसका कहना था इस गन्दे पानी से बहुत सी विमारीया पेदा होती है जो लोगो को विमार कर देती है बात करते गोविन्द नगर की क्षेत्र के लोगो का केहना है की गोविन्द नगर मे एक नाला है जो विल्कुल चोक है जिसकी बजह से वरसात का पानी सडको पर आ जाता है जिससे सडको पर नाले की सारी किचड बाहर आ जाती है औरवच्चो का स्कूल जाना दूभर हो जाता है मेयर स्वा श्री मति वीना अग्रबाल जी के काय्रकाल को चार साल से अघिक होने को जा रहे है उन्होने कहा था कि गोविन्द नगर मे जो आये दिन जो हादसे होते रहते है इसके लिए भी एक पुल भी वनवाया जायेगा जिससे ये जो हादसे होते रहते है खत्म हो जायेगे सडको पर जो जल भराव की समस्या है वो खत्म हो जायेगी मगर वो सारे काम नही करे मगर अवसोस की वात है 50 दिन पहले उनकी म्रत्यु हो गई अव जिले के लोगो का कहना है कि अब जो मेयर वने वो विकास कराये और मुरादाबाद शहर को सुन्दर बनाए ।

मायावती ने मुस्लिम वोट बैंक के लिए चला नया दांव

लखनऊ।बसपा सुप्रीमों ने आगामी विधानसभा चुनाव केमद्देनज़र मुस्लिम वोटर्स पर कब्जा जमाने के लिए नया दांव खेला है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी को नई जिम्मेदारी सौंपी गई है। नसीमुद्दीन सिद्दीकी यूपी में पार्टी का मुस्लिम फेस होंगे।पूर्व राज्यसभा सदस्य सालिम अंसारी ने यूपीयूकेलाइव को बताया कि नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कानपुर जोन के कॉर्डिनेटर के पद से हटाकर उन्हें नई जिम्मेदारी दी गई है। उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में मुस्लिम वोटर्स को जोड़ने का काम करेंगे।

ज़िना करने वाले की हिमायत ‘अल्लाह से बगावत’

मजहबे इस्लाम में हर गुनाह के लिए शरई नियम-कानून हैं। जिन पर चलना हर मुसलमान के लिए लाजमी है। यह अलग बात है कि मुल्क में शरई कानून न हो। लेकिन मुल्क में शरई कानून न होने पर भी एक मुसलमान अल्लाह के बनाए कानून को गलत करार नहीं दे सकता। अगर कोई ऐसा करता है तो यह सख्त गुनाह है। ऐसा ही एक गुनाह है जो मुआशरे में आम हो रहा है। ज़िना यानिबलात्कार और आपसी सहमती से बने नाजायज शारीरिक संबंध। ज़िना करने वाले के बारे में अल्लाह ने  साफ तौर पर सजा मुकर्रर कर दी है। लेकिन खुद को बुजुर्ग कहलाने वाले कुछ लोग शरिअत से खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे वे खुद तो गुनाहगार बन ही रहे हैं, साथ ही मुआशरे में भी ज़िना को आम करने में मददगार बन रहे हैं।शरिअत में ज़िना करने वाले को गैर-शादीशुदा होने परसरेआम सौ कौड़े मारने का हुक्म है। वहीं शादीशुदा ऐसा करे तो उसे संगसार करने का हुक्म है। संगसार यानि सरेआम पत्थर से मार-मारकर हलाक किया जाए। शरीअत के हुक्म को लेकर कुछ लोग गलत समझ रखते हैं, कुछ का कहना है कि ज़िना करने वाले शख्स की बीवी उसेमाफ कर दे तो शरीयत में सज़ा माफ हो जाती है। जबकि ऐसा नहीं है। जो शख्स ज़िना कर रहा है, वह अपनी बीवी से तो हकतल्फी कर ही रहा है। लेकिन उसकी बीवी को यहअख्तियार नहीं कि उसकी सज़ा माफ करा दे। ज़िना करके इंसान अल्लाह से बगावत करता है, इसलिए अल्लाह की तरफ से सज़ा उसपर लाजिम है। खुद को बुजुर्ग कहलाने वाले कुछ लोगों को अक्सर इसतरह के मामलों में कहते सुना जाता है कि इंसान ही तो है, कब तक करेगा, माफ कर दो। क्या यह शरिअत से खिलवाड़ नहीं, क्या यह अल्लाह से बगावत नहीं? जिस शख्स के लिए अल्लाह ने इतनी सख्त सजा मुकर्रर की है, वह शख्स भला कैसे रहम करने लायक हो सकता है। सामाजिक दृष्टि से भी देखें तो जो शख्स आज किसी लड़की या महिला से यह गलत काम कर रहा है, उससे मोहल्ले की लड़कियां कैसे महफूज रहेंगी। जो आज किसी और की बेटी, बहन से ज़िना कर रहा है, इसकी क्या गारंटी है कि कल हवस की निगाहों से वह अपनी ही बहन और बेटी को नहीं देखेगा। यह अलग बात है कि मुल्क में शरई कानून नहीं, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं हो जाता कि ऐसे शख्स से रहम किया जाए। हम यह नहीं कह रहे कि मुल्क के कानून को तोड़कर कोई सजा दी जाए, लेकिन इतना तो किया ही जा सकता है कि ऐसे शख्स की हिमायत न की जाए। सामाजिक बहिष्कार किया जाना भी बेहतर विकल्प हो सकता है। (मुफ्ती तारिक मसूद की तकरीर से)

मुस्लिम तलाक कानून को लेकर सुप्रीम कोर्टने दिए यह निर्देश

नई दिल्ली।सुप्रीम कोर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोडपर एकबार फिर बहस छेड़ दी है। कोर्ट ने मनमाने ढंग से दिए जाने वाले तलाक और पहली शादी के दौरान ही कीजाने वाली दूसरी शादी से मुस्लिम महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव पर चिंता जताई है।कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह ऐसे तरीकों का सुझाव दे, जिनसे देश में दूसरे धर्मों की महिलाओं जैसा बर्ताव ही मुस्लिम महिलाओं के साथ सुनिश्चित हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कानूनों की समीक्षा करने का फैसला किया है। जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एके गोयल की बेंच ने कहा कि मनमाने ढंग से दिए जाने वाले तलाक और दूसरी शादियों ने मुस्लिम महिलाओं की सुरक्षा छीन ली है। बेंच ने इस बात पर हैरत जताईकि संविधान में जब सबको बराबरी का अधिकार दिया गयाहै तो इन महिलाओं से भेदभाव क्यों हो रहा है।'मनमाने तलाक और पहली शादी बने रहने के दौरान ही पति के दूसरा विवाह कर लेने के खिलाफ कोई सुरक्षा उपाय न होने से इन महिलाओं को सुरक्षा नहीं मिल पाती।' कोर्ट ने 1980 के दशक में शाहबानो वाले मामले में तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को बराबरी कीसुरक्षा देने की कोशिश की थी तो राजीव गांधी सरकारने उस फैसले को उलटने के लिए कानून बना दिया था। कोर्ट की उस रूलिंग ने तलाकशुदा मुस्लिम महिलाओं को तब तक अपने पति से गुजारा-भत्ता पाने का अधिकार सीआरपीसी के सेक्शन 125 के तहत दिया था, जब तक कि उन महिलाओं की दोबारा शादी नहीं हो जाती।सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से उपाय सुझाने को कहा है ताकि मुस्लिम महिलाओं के साथ भी उसी तरह का व्यवहार हो जिस तरह से देश में अन्य धर्मों की महिलाओं के साथ होता है। वहीं कोर्ट के मुस्लिम कानून पर दिए गए निर्देश के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं की मिलीजुली प्रतिक्रिया आई है। सुप्रीम कोर्ट दरअसल सरकार को किसी खास कानून के बारे में सुझाव ही दे सकता है और कानून बनाना संसद का विशेषाधिकार है। बेंच ने सरकार से 30 अक्टूबर 2015 को इस पर जवाब देने को कहा है कि वह यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करती है या नहीं।

नंगे जलाए जाएंगे आग में ज़िना करने वाले लोग

ज़िना गुनाह-ए-कबीरा है। गुनाह-ए-कबीरा वे होते हैं जिनकी सज़ा आखिरत में जहन्नुम की आग है। आखिरत के अलावा दुनिया में भी अल्लाह तआला ने सबसे बड़े गुनाहों पर सज़ाएं मुकर्रर की हैं। तकरीर करते हुए मुफ्ती तारिक मसूद ने कबीरा गुनाह ज़िना (बलात्कार,अवैध शारीरिक संबंध) करने पर शरियत के हुक्म पर रोशनी डाली।शरियत में ऐसे लोगों के बारे में काफी तफ्सील से बयान किया गया है। असल बात यह है कि बातों से कुछ नहीं होता। अगर समझाने से फर्क पड़ता तो शरियत में ज़िना की सजा सौ कौड़े न होते। बल्कि शरियत कहती जिसने ज़िना किया उसे मोहब्बत से समझा दिया करो। शरियत कहती है जो ज़िना करता पकड़ा गया उसे बीच चौक में खड़ा करके सौ कौड़े मारो। कुरआन के अल्फाज़ों पर गौर करें... यह नहीं कहा कि सौ कौड़े मारें। बल्कि सौकौड़े बीच चौक में मारे जाएं और सजा देते वक्त रहम बिल्कुल भी न किया जाए। जिस वक्त यह कौड़े मारे जाएंगे तो मुसलमानों का बहुत बड़ा मज़मा जमा (एकत्र)होना चाहिए, जो कौड़े लगता हुआ अपनी आंखों से देखे।  संगसार करने का हुक्मगैर-शादीशुदा के लिए यहां सौ कौड़े का हुक्म है, वहीं ज़िना करने वाले मर्द-औरत अगर शादी शुदा है तो उसे सौ कौड़े मारने के बजाए पत्थर मार-मारकर हलाक करने का हुक्म है। इस सज़ा को भी सरेआम बीच चौक पर देने का हुक्म शरियत देती है।आग में नंगे जलाए जाएंगे ज़िना करने वाले लोगनबी सल. ने मैराज की रात में नंगे मर्द और नंगी औरतों को देखा, जो आग में जल रहे हैं। आप ने जिबी्रलअलै से पूछा ये कौन लोग हैं। उन्होंने फरमाया- ये आप की उम्मत के वो लोग हैं जो ज़िना करते थे।  ज़िना करने वाले मर्द और औरतों को अल्लाह नंगा करके आग में डालेंगे।

गैर मुस्लिमों की शेविंग को भी दारुल उलूम ने बताया गुनाह

देवबंद। दारुल उलूम देवबंद के मुताबिक शेविंग करना गुनाह है। एक फतवा जारी कर ये भी कहा गया है कि मुस्लिमों के साथ गैर मुस्लिमों की शेविंग भी शरीयत के मुताबिक गुनाह की श्रेणी में आती है। इस फतवे के बाद देवबंद के एक नाई ने लोगों की शेविंग करने से इनकार कर दिया है। इस नाई ने दारूल उलूम सेइस बारे में फतवा मांगा था। नाई ने फतवे को दुकान पर चस्पा भी कर दिया है। उसके इस कदम की शहर और आसपास के इलाकों में खूब चर्चा हो रही है।देवबंद के मोहल्ला बड़ जिया-उल-हक निवासी मोहम्मद इरशाद का दारुल उलूम चौक पर हेयर कटिंग सैलून है। कुछ दिन पहले किसी शख्स ने उसे कहा था कि शेविंग नहीं करनी चाहिए। इस पर इरशाद ने दारुल उलूम से इस बारे में फतवा मांगा था। इरशाद ने पूछा था कि नाई होने के नाते इसी काम से रोजी-रोटी भी जुड़ी है। उसने पूछा था कि शेविंग पर शरीयत क्या कहता है। साथ ही ये भी पूछा था कि गैर मुस्लिमों के बारे मेंभी फतवा दिया जाए कि मुसलमान उनकी शेविंग कर सकता है या नहीं।मोहम्मद इरशाद ने जब दारुल उलूम से फतवा मांंगा तोइसके जवाब में वहां के मुफ्तियों ने फतवा जारी कर दिया। मुफ्तियों के मुताबिक दाढ़ी मुंडवाना और मूंडना दोनों बड़े गुनाह हैं। गुनाह होने की वजह से इसके लिए जो मेहनताना लिया जाता है, वो भी नाजायज है। फतवे में कहा गया है कि शेविंग गुनाह है, चाहे मुसलमान की हो या गैर मुसलमान की। इसलिए शेविंग से बचना जरूरी है। फतवे में कहा गया है कि नाई को भी जायज तरीके से आमदनी हासिल करने की कोशिश करनी चाहिए।शरीयत के मुताबिक काम किया बंददारुल उलूम से फतवा मिलते ही मोहम्मद इरशाद ने उसकी प्रति अपने सैलून के बाहर चस्पा कर दी। इस फतवे को पढ़ने वालों की यहां भीड़ लग रही है। इरशाद के मुताबिक हर मुसलमान को शरीयत के मुताबिक ही जिंदगी जीना चाहिए। उसने कहा कि उसने फतवे को इसलिए चस्पा किया, ताकि बाकी लोगों को भी इस बारे में जानकारी मिल सके।

किडनी डोनेट करना हराम,इंसान का जिस्म अल्लाह की अमानत,

लखनऊ।किडनी डोनेट करने के मुताल्लिक पूछे गए सवाल के जवाब में दारुल उलूम के मुफ्तियों ने इसे हराम करार दिया। कहा, इंसान जिस चीज का मालिक नहीं है वह उसे डोनेट नहीं कर सकता है। मुफ्तियों से एक शख्स ने सवाल नं0 53737 में पूछा कि क्या कोई शख्स अपनी मौत के बाद अपने जिस्म की किडनी किसी दूसरे को बतौर डोनेट कर सकता है। जिसके लिए उसने अपनी मौत से पहले वसीयत की है।मुफ्तियों की बेंच ने जवाब नं0 53737 फतवा नं० 1080-1058/एन=9/1435 में शरीयत का हवाला देते हुए कहा कि इंसान अपने जिस्म या आज़ा (Organ) का मालिक नहीं है।दारुल उलूम वक्फ के सीनीयर उस्ताद मौलाना मुफ्ती आरिफ कासमी ने कहा कि शरीयत में साफ कहा गया है कि इंसान का जिस्म अल्लाह की अमानत है।इसलिए जिस्म के किसी भी आज़ा (Organ) को डोनेट करनेका हक किसी इंसान को नहीं है। वसीयत सिर्फ ऐसी चीज की हो सकती है जिसका इंसान मालिक है। इसलिए जिंदा रहते या मरने के बाद जिस्म का कोई हिस्सा या आज़ा (Organ) किसी को बतौर डोनेट देना कतई सही नहीं है बल्कि हराम है। यह तरीका इंसान के खिलाफ है।

राजनीति:मुस्लिम लीग की तरह देश को बांटना चाहता हैआरएसएस: मोहसिना किदवई

लखनऊ। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता मोहसिना किदवई ने रविवार को आरएसएस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि आरएसएस की सोच बिल्कुल मुस्लिम लीग की तरह है, जो देश को बांटना चाहता है। मुस्लिम लीग ने देश को बांटा था, अब आरएसएस देश के अलग-अलग समुदाय को बांटने में लगा है। मोहसिना लखनऊ स्थित गांधी ऑडिटोरियम में आयोजित बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के जयंती समापन समारोह के कार्यक्रम में आई थीं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस पार्टी देश को आजाद कराने के लिए अंग्रेजों से लोहा ले रही थी, तब आरएसएस के लोग माफी मांग कर घर में बैठ गए थे। अब वही लोग महात्मागांधी, पटेल और अंबेडकर पर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास कोई नेता नहीं है जिस पर वो बात कर सकें। उन्होंने कहा कि नेहरु और अंबेडकर के विचारों के मतभेद की बात भी गलत है, क्योंकि नेहरु ने ही अंबेडकर को संविधानसभा का चेयरमैन बनाया था।

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