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Saturday, 6 August 2016
लड़के ने अपने प्राईवेट पार्ट पर बनवाया टैटू, उसके आगे की कहानी प्राईवेट नहीं रही
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके शरीर पर बना टैटू आपके जीवन पर क्या असर डाल सकता है? इसमें हुई गलती के बारे में नहीं, बल्कि अपने शरीर पर बनी जगह के बारे में सोचिए. आज आपको एक ऐसे शख़्स के बारे में हम बताने वाले हैं जिसकी ज़िंदगी सिर्फ़ एक टैटू की वजह से परेशानियों से भर गई है. 21 साल के Lewis Flint ने 16 साल की उम्र में अपने शरीर के निचले हिस्से पर टैटू बनवाया, जिसकी वजह से उसकी कईगर्लफ्रेंड्स ने उसका साथ छोड़ दिया.Lewis Flint की मानें तो जब उसने ये टैटू बनवाया थातब वो अपने दोस्तों के सामने एक हीरो की तरह था. उसके इस टैटू की चर्चा पूरे शहर में थी. लोग उसके टैटू के बारे में बात करते थे. वो अपने इस टैटू से काफ़ी खुश था.लेकिन कुछ समय बाद जब Lewis की गर्लफ्रेंड ने उनका अजीब टैटू को देखा तो वो चौंक गईं और फ़ौरन रिश्ता तोड़ लिया. Lewis Flint बताते हैं कि वो उस लड़की से प्यार करते थे और जिस टैटू ने उसे हीरो बनाया था आज वहीं उनके प्यार को दूर करने की वजह बनगया. Lewis Flint की मां का कहना है कि वो उसकी गर्लफ्रेंड के इस फ़ैसले से हैरान नहीं है. कोई भी लड़की ऐसे टैटू को पसंद नहीं करेगी, और Lewis Flintके साथ ये पहली बार नहीं हुआ है, जब इस टैटू की वजह से किसी लड़की ने उसका साथ छोड़ा हो.Lewis Flint अपने टैटू से इतने परेशान हुए कि उन्होंने इसे हटवाने का फ़ैसला लिया, जिसके लिए वो सर्जन के पास भी गए. लेकिन जब टैटू को हटाने के लिए लेज़र का इस्तेमाल किया गया जो वो काफ़ी दर्द भरा था. Lewis इतना दर्द नहीं सह सकते थे इसलिए उन्होंने यह ट्रीटमेंट बीच में ही रोक दिया. अब वे बेहद दुखी है लेकिन उनके पास अब कोई चारा भी नहीं है. न तो वो ये टैटू हटा सकते हैं और न ही दिखा सकते हैं.
इस मंदिर में नहीं है कोई भी देवी-देवता
पूरे ओडि़शा और उसके बाहर भी बुधवार को भगवान जगन्नाथ के मंदिरों में रथयात्राएं निकाली गयीं लेकिन गंजाम के मरदा में 300 साल पुराने मंदिर में यह अनुष्ठान नहीं हुआ। मरदा के इस मंदिर में कोई देवी-देवता नहीं है।सन् 1733-35 के दौरान जब कलिंग शैली के मंदिरों को मुस्लिम आक्रांता निशाना बना रहे थे तब यह मंदिर पुरी जगन्नाथ मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियों को छिपाने की जगह थी। बाद में स्थिति शांत होने पर देवी-देवताओं की मूर्तियां वापस पुरी लायी गयीं। चूंकि देवी-देवताओं ने मरदा में शरण ले रखी थी अतएव यह जगह शरण श्रीक्षेत्र के रूप में चर्चित हो गयी। तब से इस मंदिर में कोई देवी-देवता नहीं है, अतएव यहां कार उत्सव का कभी आयोजन नहीं हुआ। आठ साल पहले इस स्थान की यात्रा करने वाले जगन्नाथ संप्रदाय के सेवायतों और शोधकर्ताओं ने दुनिया कोइस मंदिर का महत्व बताने का बीड़ा उठाया और पुरी की यात्रा करने वालों से मरदा भी जाने की अपील की। विधायक (पोलासरा) श्रीकांत साहू ने कहा, यदि सरकार इस स्थान को पर्यटक स्थल घोषित करेगी तब इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व दुनिया के समाने आएगा।
इस बच्चे की आंखों से आंसू नहीं, निकलते हैं कंकड़
राजस्थान के बीकानेर शहर का रहने वाला 12 साल के लड़के की आंख से आंसू नहीं कंकड़ निकलते हैं। छठी क्लास में पढ़ने वाले जोगराज पाणेचा की इस समस्या के कारण उसके परिजन और शिक्षक अधिक हैरान हैं।शुरुआत में उन्हें भी लगता था कि यह जोगराज की कोई शैतानी है। इसके बाद उन्होंने जोगराज को अपने सामने घंटों बिठाए रखा और देखा कि उसकी आंख से वाकई कंकड़ निकल रहा है, तब वे इस बात को मानने लगे।हालांकि, डॉक्टर अभी तक इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं और मनोरोग विशेषज्ञ इसे साइक्लोजिकल डिसऑर्डर बता रहे हैं। बच्चे के परिजन अब आंख में घी डालने से लेकर मंदिरों में मान्यता मान रहे हैं,ताकि उनका बेटा जल्दी ठीक हो जाए।इस मामले में मनोरोग विशेषज्ञ एवं पूर्व मनोरोग विभागाध्यक्ष पीबीएम हॉस्पिटल के डॉक्टर अशोक सिंघल ने बताया कि यह मामाला हिस्टेरिकल डिसऑर्डरका केस लग रहा है। उन्होंने कहा कि जांच-पड़ताल के बाद ही कोई नतीजा निकल सकेगा। वैसे इस तरह के डिसऑर्डर में ध्यान खींचने के लिए व्यक्ति जाने-अनजाने में कई तरह की गतिविधियां करने लगते हैं।
अंधविश्वास या आस्था : यहां भगवान की जगह होती है चमगादड़ों की पूजा !
हाजीपुर।वैसे तो आपने चमगादड़ों को देखा होगा, लेकिन बिहार के वैशाली जिले के राजापाकर प्रखंड के सरसई (रामपुर रत्नाकर) गांव में चमगादड़ों की पूजा होती है, इतना ही नहीं बल्कि लोग मानते हैं कि चमगादड़ उनकी रक्षा भी करते हैं। इन चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। यहां लोगों की मान्यता है कि चमगादड़ समृद्धि की प्रतीक देवी लक्ष्मी के समान हैं।एक न्यूज़ पोर्टल की रिपोर्ट के मुताबिक चमगादड़ोंकी पूजा करने वाले सरसई गांव के एक बुजुर्ग गणेश सिंह का मानना है कि चमगादड़ों का जहां वास होता है, वहां कभी धन की कमी नहीं होती। ये चमगादड़ यहां कब से हैं, इसकी सही जानकारी किसी को भी नहीं है। सरसई पंचायत के सरपंच और प्रदेश सरपंच संघ के अध्यक्ष अमोद कुमार निराला बताते हैं कि गांव के एक प्राचीन तालाब (सरोवर) के पास लगे पीपल, सेमर तथा बथुआ के पेड़ों पर ये चमगादड़ बसेरा बना चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस तालाब का निर्माण तिरहुत के राजा शिव सिंह ने वर्ष 1402 में करवायाथा। करीब 50 एकड़ में फैले इस भूभाग में कई मंदिर भी स्थापित हैं।लगातार चमगादड़ों की संख्या बढ़ रही हैउन्होंने बताया कि रात में गांव के बाहर किसी भी व्यक्ति के तालाब के पास जानं के बाद ये चमगादड़ चिल्लाने लगते हैं, जबकि गांव का कोई भी व्यक्ति केजाने के बाद चमगादड़ कुछ नहीं करते। उन्होंने दावा किया कि यहां कुछ चमगादड़ों का वजन पांच किलोग्राम तक है। सरसई पंचायत के मुखिया चंदन कुमार बताते हैं कि सरसई के पीपलों के पेड़ों पर अपना बसेरा बना चुके इन चमगादड़ों की संख्या में लगातार वृद्धि होती जा रही है। गांव के लोग न केवल चमगादड़ों की पूजा करते हैं, बल्कि इन चमगादड़ों की सुरक्षा भी करते हैं। यहां के ग्रामीणों का शुभकार्य इन चमगादड़ों की पूजा के बगैर पूरा नहीं माना जाता।चमगादड़ों को देखने के लिए पर्यटक प्रतिदिन आतेजनश्रुतियों के मुताबिक, मध्यकाल में वैशाली में महामारी फैली थी, जिस कारण बड़ी संख्या में लोगों की जान गई थी। इसी दौरान बड़ी संख्या में यहां चमगादड़ आए और फिर ये यहीं के होकर रह गए। इसके बादसे यहां किसी प्रकार की महामारी कभी नहीं आई। स्थानीय आऱ एन. कॉलेज के प्रोफेसर एस़ पी़ श्रीवास्तव का कहना है कि चमगादड़ों के शरीर से जोगंध निकलती है, वह उन विषाणुओं को नष्ट कर देती है जो मनुष्य के शरीर के लिए नुकसानदेह माने जाते हैं। यहां के ग्रामीण इस बात से खफा हैं कि चमगादड़ों को देखने के लिए यहां सैकड़ों पर्यटक प्रतिदिन आते हैं, लेकिन सरकार ने उनकी सुविधा के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।चमगादड़ों का वास अभूतपूर्व हैसरपंच निराला बताते हैं कि इतनी बड़ी संख्या में चमगादड़ों का वास न केवल अभूतपूर्व है, बल्कि मनमोहक भी है, लेकिन यहां साफ -सफाई और सौंदर्यीकरण की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र को पर्यटनस्थल के रूप में विकसित कराने के लिए पिछले 15 वर्षो से प्रयास किया जा रहा है, मगर अब तक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि पूर्व पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू और कला संस्कृति मंत्री विनय बिहारी ने इस क्षेत्र का दौरा भी किया था। निराला को आशा है कि वर्तमान समय में राजापाकर के विधायक शिवचंद्र राम कला एवं संस्कृति मंत्री बनाए गए हैं। शायद इस क्षेत्र का कायाकल्प हो जाए।
सेक्स की भूखी एक महारानी की ऐसी कहानी जो आपके होश उड़ा देगी
इतिहास की किताबों में राजा-रानियों को लेकर तरह-तरह के किस्से कहानियां पढ़ने को मिलती हैं लेकिन रूस की महारानी कैथरीन दि ग्रेट द्वितीय के अजीबोगरीब यौन व्यवहार को लेकर बहुत सारी चौंकाने वाली कहानियां हैं।कहा जाता है कि कैथरीन ने अपने पति पीटर से संबंध खत्म करने के बाद अपने महल में सैकड़ों सेक्स गुलाम पाले थे। रानी के हर छोटे-बड़े काम के लिए कुंवारे जवान सेवक तत्पर रहते थे। रानी ने अपने महल के हर कमरे में इन गुलामों को तरह-तरह के काम दे रखे थे। खास बात ये है कि रानी के महल में कोई सेविका नहीं थी। रानी अपने निजी और अंतरंग कामकाज भी गुलामों से करवाना पसंद करती थी।कैथरीन और उनके पति पीटर के बीच संबंध अच्छे नहीं थे। रानी की बायोग्राफी 'कैथरीन द ग्रेट - लव सेक्सएंड पॉवर' में इस बात का जिक्र है कि आठ साल तक दोनों के कोई संतान नहीं हुई और जनता के बीच पीटर की मर्दानगी को लेकर बातें उठने लगी थी। दोनों के बीच संबंध इस कदर कमजोर हुए कि बेबस पीटर अपने महल में रंगीनियों में डूब गए और कैथरीन अपने सेनापति के साथ विवाहेत्तर संबंधों में रम गई।इसी बीच कैथरीन ने पहले बेटे पॉल को जन्म दिया। अफवाहें उड़ी कि पीटर नामर्द थे और ये बच्चा कैथरीन और सेनापति का था। हालांकि बाद में कैथरीन ने कई प्रेमी बदले और तीन और बच्चों को जन्म दिया और हर बार पीटर की नामर्दी पर सवाल उठे।पीटर और रानी कैथरीन के बीच कैथरीन के प्रेमियों को लेकर कई बार तकरार हुई और ये तकरार महल के बाहर भी सुनाई दी, लेकिन कैथरीन अपने प्रेमियों से दूरी नहीं बना पाई। इतना ही नहीं, कैथरीन अब पूरी तरह से पीटर के किसी भी प्रभाव से आजाद हो चुकी थीं। म्यूजियम सीक्रेट्स डॉट टीवी पर दिखाए गए 'हरमिटेजस्टेट्स सीक्रेट्स' नामक एपिसोड में इस बात का उल्लेख है कि रानी ने महल के पास सेक्स सैलून बनवाया था।जवान लड़कों के साथ इस तरह सेक्स का खेल खेलती थी रानीरानी के अजीबोगरीब शौक थे। वह अपने नौकरों के साथ संबंध बनाती थी। रानी की मौत के बाद शासक बने उसके बेटे पॉल प्रथम ने जब महल की छानबीन कराई तो रानी के महल के ठीक बराबर में एक छिपा हुआ सेलून मिला जहां यौन कलाकृतियों वाली मसाज कुर्सियां मिली। इन कुर्सियों पर संभोगरत महिला और पुरुषों की आकृतियां उकेरी गई थीं।कहा जाता है कि यहां रानी अपनी यौन आकांक्षाओँ को पूरा करने के लिए बैचलर पार्टी करती थी, जहां राज्यके जवान लड़कों को पार्टी करने के लिए बुलाया जाताथा। रानी इन युवकों के साथ सेक्स प्रयोग करती और अपनी यौन आकांक्षाओं को बनाए रखने के हर संभव प्रयास करती। रानी ने इस पैलेस को पेटिट हरमिटेज का नाम दिया था।रूस में स्टेट हरमिटेज म्यूजियम में रखी सैलून की यौन आकृतियों वाली मसाज कुर्सियां इस बात की गवाह हैं कि अपने पति और प्रेमियों के बावजूद रानी कैथरीन में अजीबोगरीब यौन अतृप्तति थी जिसे पूरा करने के लिए वह हर तरह के प्रयोग करती थी।
'मैं सिर्फ अल्लाह के सामने सिर झुकाता हूं'
नई दिल्ली।पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और और सेनाप्रमुख के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। पाक पीएम नवाज शरीफ ने सेना के दखल को चुनौती देते हुए कहा कि वह सिर्फ अल्लाह और अवाम के सामने सिर झुकाते हैं।न्यूज़ २४ की रिपोर्ट के मुताबिक शरीफ ने कहा कि मेरी जवाबदेही सिर्फ अल्लाह और आवाम के प्रति बनती है। उन्होंने यह भी कहा कि पनामा पेपर्स लीक में अपने और परिवार के सदस्यों के नाम आने की अफवाह से मैं आहत हूं। इस मामले में किसी भी जांच के लिए पूरी तरह से तैयार हूं। पाक सेना प्रमुख राहील शरीफ द्वारा छह वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रष्टाचार के आरोप में निकालने के बाद शरीफ ने नैशनल टीवी के जरिए अपनी सफाई दी।आर्मी चीफ ने अधिकारियों को बर्खास्त करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई भ्रष्टाचार के रहते नहीं जीती जा सकती। पाकिस्तानी पीएम ने आर्मी चीफ द्वारा छह अधिकारियों को निकालने के ठीक अगले ही दिन नैशनल टीवी के जरिए जनता को संबोधित किया। आर्मी चीफ की कार्रवाई के बाद नवाज शरीफ पर दबाव था।जनरल राहील शरीफ ने क्या कहा थाजनरल राहील शरीफ ने अधिकारियों को बर्खास्त करने के बाद कहा था, 'आतंक के खिलाफ जारी हमारी जंग भ्रष्टाचार के रहते कभी जीती नहीं जा सकती है। इसलिए भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने के खातिर हम सबको अपनी जवाबदेही तय करनी ही होगी।' जनरल शरीफ कायह निशाना सीधे तौर पर प्रधानमंत्री के लिए माना जा रहा था। इसके बाद अपने टीवी संबोधन में PM नवाज शरीफ ने आक्रामक अंदाज में स्पष्ट किया कि धमकियों से वह डरने वाले नहीं हैं।सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा खुद को अपदस्थकिए जाने की घटना का भी शरीफ ने टीवी संबोधन में जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'एक प्रधानमंत्री (नवाजशरीफ) को जबरन पद से हटाकर हथकड़ी पहनाकर पहले जेल में और फिर निर्वासन पर जाने के लिए मजबूर किया गया था। आज मेरा इस्तीफा मांगने वालों ने उस वक्त क्यों नहीं इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं गए थे?'उन्होंने खुद पर और अपने परिवार पर आरोप लगाने वालों को चुनौती देते हुए कहा, 'अगर आरोपों में थोड़ी भी सच्चाई निकली तो मैं तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दूंगा। मैं खुद मुख्य न्यायधीश को पत्र लिखकर एक कमिशन बनाने की सिफारिश करूंगा। कमिशन मुझ पर लगे आरोपों की निष्पक्ष जांच करने केलिए स्वतंत्र है। अगर मुझ पर लगाए गए आरोप गलत साबित हुए तो क्या आज जो लोग मुझे और मेरे परिवार को बुरा-भला कह रहे हैं, वो राष्ट्र से माफी मांगेंगे?'
कयामत का समय बताने वाली घड़ी में बचे हैं 'तीन मिनट'
शिकागो।दुनिया के खात्मे की चेतावनी देने के लिए बनाई गई काल्पनिक घड़ी का समय मध्यरात्रि से तीन मिनट पहले का तय कर दिया गया है। यानी दुनिया बर्बादी की कगार पर काफी करीब पहुंच गई है। परमाणुखतरे, ग्लोबल वॉर्मिंग को देखते हुए बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट्स ने यह फैसला किया है।डूम्सडे क्लॉक यानी धरती पर मंडरा रहे खतरों का आकलन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि बीते तीन साल में क्लाइमेट चेंज और परमाणु हथियारों के कारण धरती पर मंडरा रहा खतरा इतना बढ़ गया है कि वहकभी भी अंत के करीब पहुंच सकती है।इसी के मद्देनजर उन्होंने इस काल्पनिक डूम्सडे क्लॉक को रात्रि 12 बजे से तीन मिनट पहले पर सेट कर दिया गया है। इसका मतलब हुआ कि धरती के सफाये काखतरा बहुत ज्यादा है।इस घड़ी को 68 साल पहले शुरू किया गया था। शिकागो के अटॉमिक साइंटिस्ट्स के बुलेटिन को तैयार करने वाले लोग ही इस क्लॉक को सेट करते हैं। बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स के एक्िजक्यूटिव डायरेक्टररैशल ब्रॉन्सन ने बताया कि पिछले 20 सालों में यह बर्बादी के काफी करीब पहुंच गई है।एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के कॉस्मोलॉजिस्ट और प्रोफेसर लॉरेंस क्रूस ने बताया कि ग्लोबल वॉर्मिंग, आतंकवाद, अमेरिका और रूस के बीच परमाणु तनाव, उत्तर कोरिया के हथियारों की चिंता, पाक-भारतके बीच तनाव अस्थिरता फैलाने वाले हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 से इस घड़ी के समय में बदलाव नहीं करना अच्छी बात नहीं है।क्या है डूम्सडे क्लॉकयह धरती पर मंडरा रहे खतरों का आकलन करने वाली एक काल्पनिक घड़ी है। इसे 1947 में बनाया गया था, जिसमें शुरुआती टाइम 7 से 12 मिनट रखा गया था। तब हिरोशिमा और नागासाकी पर एटमी हमले हुए थे। इसके बाद से 18 बार मिनट सुई को आगे या पीछे किया जा चुका है।इससे पहले 2012 में भी मिनट सूई बढ़ाई गई थी और तबभी परमाणु बम और क्लाइमेट चेंज का खतरा बताया गया था। इसे सेट करने वाली टीम में 16 नोबेल पुरस्कार विजेता हैं और इस क्लॉक को काफी गंभीरता से लिया जाता है।जब धरती के अस्तित्व को लेकर खतरे की स्थिति बनती है, तो मिनट की सुई को रात्रि 12 बजे के करीब कर दिया जाता है। जब संपन्नता होती है, तो इसके समय को बढ़ा दिया जाता है। 1953 में इसे 12 बजने में दो मिनट पहले तय किया गया था और 1991 में 17 मिनट पहले तय किया गया था।
मक्का और मदीना किसी के बाप की जागीर नहीं है - ईरान
तेहरान।सोमवार को राष्ट्रपति रूहानी ने कहा, हज, मक्का और मदीना पर समस्त मुसलमानों का अधिकार है और यह इस्लामी जगत के हितों की पूर्ति का एक मंच है।रूहानी का कहना था कि हज में इरानी हाजियों का ना शामिल होने का दोष सऊदी अरब पर आएगा , उन्होंने ये भी कहां कि यह वही लोग हैं जो क्षेत्र को अस्थिर कररहे हैं और इस्राईल के हितों के लिए कार्य कर रहे हैं।उन्होंने उल्लेख किया कि जो लोग इलाक़े को अस्थिर करना चाहते हैं, वही ईरान में अशांति फैलाना चाहते हैं।
ईरान में एक ही दिन में 20 सुन्नी कैदियोंको फांसी
तेहरान।ईरान ने हत्या और अन्य अपराधों के लिए एक ही दिन में 20 “आतंकवादी” सुन्नी क़ैदियों को फ़ांसी पर लटका दिया। सरकारी मीडिया के अनुसार “इनलोगों ने महिलाओं और बच्चों की हत्या की थी। इन्होंने कुछ कुर्दिश इलाक़ो में सुन्नी धार्मक नेताओं की भी हत्या की थी और देश के ख़िलाफ काम किया था।IRIB टेलीविज़न के अनुसार महाभियोजक जनरल मोहम्मदजावेद मुंतज़िर ने कहा कि ये फ़ासियां मंगलवार को दो गईं। ईरान के गुप्तचर मंत्रालय ने बुधवार को एकबयान जारी कर बताया ता कि 2009 और 2011 के बीच 24 सशस्त्र हमले हुए जिसमें बमबारी और डकैती भी शामिल है।
महिलाओं ने बुर्का जलाकर मनाया ISIS से आजादी का जश्न
नई दिल्ली।सीरिया के मानबिज शहर को आईएस के चंगुलसे छुड़ा लिया गया है। यूएस आर्मी की मदद से सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स ने मानबिज पर अपना वापसकब्जा कर लिया है। इस जीत से वहां की जनता इतनी उत्साहित थी कि उन्होंने सड़कों पर रैलियां निकालीं। जश्न मानने में सीरिया की महिलाएं भी पीछे नहीं रही, उन्होंने बुर्का जलाकर आजादी का जश्न मनाया।सीरियन कुर्दिश न्यूज एजेंसी आन्हा ने इन महिलाओंका वीडियो जारी किया है। गौरतलब है कि आईएस का यहां 2014 से कब्जा था। पिछले तीन साल से आईएस के आतंकी यहां की महिलाओं का उत्पीड़न कर रहे थे। उन्हें सेक्स स्लेव बनाया जाता, जानवरों की तरह खरीदा और बेचा जाता था।इससे पहले आईएस के चंगुल से छूटकर आई कुर्दिश महिलाएं और लड़कियां ने भी आजादी का जश्न कुछ इस तरह ही मनाया था। आईएस से उनकी नफरत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जैसे ही वो कुर्दिश इलाके में पहुंचीं तो उन्होंने अपने बदन से काले हिजाब और बुर्के उतार कर फेंक दिए और जोर जोर से बगदादी के खिलाफ नारे लगाए।
क्या सिंदूर लगाने की वजह से अल्लाह मुझे दोजख में भेज देंगे?- सना शेख
टीवी सीरियल 'कृष्णदासी' में आराध्या नाम का किरदार निभा रहीं ऐक्ट्रेस सना शेख को पिछले दिनों मुस्लिम कट्टरपंथियों की नाराजगी का शिकार होना पड़ा। हालांकि, सना ने फेसबुक के जरिए उन्हें करारा जवाब भी दे डाला है। दरअसल, धर्म और रीति-रिवाज के नाम पर हंगामा मचानेवाले कुछ मुस्लिम कट्टरपंथियों को सना का सीरियल में अपने किरदार के लिए सिंदूर लगाना रास नहीं आया। शो में सना एक मराठी लड़की के किरदार में हैं,जो शादीशुदा हैं और किरदार में ढलने के लिए उन्हेंयह सब करना पड़ता है। सना ने इस मामले पर जवाब देनेके लिए सोशल साइट को जरिया बनाया और फेसबुक पर उन्हें जमकर सुनाया है। उन्होंने लिखा है कि सिंदूर लगाने से उनके मुसलमान होने पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उनका कहना है कि उनकी मां और नानी दोनों मंगलसूत्र पहनती हैं और यह सुहाग का प्रतीक है। उनका कहना है कि क्या इससे वह कम मुसलमान हो जाती हैं?
दलित सुप्रीमो बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति को ट्रैक्टरसे तोड़ कर तालाब में फेंका
पानीपत (हरियाणा)।संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति तोड़कर तालाब में डाल देने से दलित समाज भड़क गया है। पानीपत में तनाव की स्थितिबन गई है।मामला, जिले के गांव आसन कलां में शुक्रवार सुबह हुआ। घटना के बाद भड़के दलितों समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए आसन-गोली माजरा रोड पर जाम लगा दिया। दलितों ने गांव के पूर्व सरपंच पर मूर्ति तोड़ने का आरोप लगाया है और कार्रवाई करने की मांग की है।जानकारी के मुताबिक ग्राम पंचायत की भूमि पर दलित समुदाय के लोगों द्वारा बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की मूर्ति लगाई गई थी। गांव के पूर्व सरपंच देवी सिंहइसका विरोध कर रहे थे। उन्होंने कुछ दिन पहले इस मूर्ति स्थल पर ट्रैक्टर चलाने की कोशिश की थी। हालांकि पुलिस ने ट्रैक्टर जब्त कर लिया था।मूर्ति लगाने के बाद दलित समुदाय के लोगों ने रात 2 बजे तक पहरा दिया। जैसे ही वे घर गए रात में लगभग 3 बजे ट्रैक्टर से खींचकर मूर्ति तोड़ दी गई और इसे तालाब में फेंक दिया गया। सूचना मिलते ही दलित समुदाय के लोगों नेशुक्रवार अल सुबह 4 बजे विरोध प्रदर्शन शुरू कर दियादलितों की तरफ से विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे पूर्व सरपंच सज्जन सिंह और अंबेडकर कल्याण समिति के प्रधान जलेश्वर ने पूर्व सरपंच देवी सिंह पर मूर्ति तोड़ने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि देवी सिंह को तत्काल गिरफ्तार किया जाएऔर प्रशासन अपने खर्च पर मूर्ति स्थापित करे। इस जमीन पर पहले देवी सिंह का कब्जा था। देवी सिंह का कहना है कि उसके पास कोर्ट का स्टे ऑर्डर है।
हल्द्वानी नारी निकेतन पहुंची लावारिस महिला, शेयर कर करें मदद
हल्द्वानी।खटीमा में लावारिस मिली महिला को नारीनिकेतन हल्द्वानी भेजा गया है। महिला नवादा बिहारकी बताई जा रही है। खटीमा में ग्राम प्रधान ऊंची महुवट प्रकाश चन्द्र जुकरिया ने थाने में अज्ञात महिला के घूमने की सूचना दी थी। महिला अपना नाम नहीं बता पा रही थी। एसआई जीसी भट्ट महिला को थाने ले गए थे। महिला ने अपना नाम आशा बताया था और पति का नाम किशनु बताया था। महिला को परगना मजिस्ट्रेट खटीमाके समक्ष पेश किया गया था। मजिस्ट्रेट के आदेश पर 29 जुलाई को महिला को नारी निकेतन हल्द्वानी भेज दिया था। नारी निकेतन की अधीक्षिका ज्योति पटवाल ने बताया कि महिला का नाम आशा देवी पत्नी कृष्ण चैधरी उर्फ किशनु है। महिला ने अपना पता नवादा बिहार बताया है। महिला केबारे में जानकारी रहने वाला कोई भी व्यक्ति 9899557990 पर सम्पर्क कर सकता है।
देवी-देवताओं की अश्लील तस्वीरें वायरल होने के बाद हिंसा जारी
पटना।छपरा के मकेर थानाक्षेत्र में एक युवक द्वारा सोशल मीडिया पर देवी-देवताओं की अश्लील तस्वीरें और वीडियो वायरल करने के मामले ने अब तूलपकड़ लिया है। आज सुबह से आक्रोशित लोग सड़कों पर उतर आए हैं। पूरे शहर में जगह-जगह हिंसा की वारदाते हो रही हैं। आक्रोशित लोगों ने दुकानों को नहीं खुलने दिया। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए लोग नारेबाजी और प्रदर्शन कर रहे हैं।शहर के साहेबगंज इलाके में सबसे ज्यादा तनाव व्याप्त है, दो समुदाय के लोग यहां आपस में भिड़ गए और एक दूसरे के धर्म स्थल पर हमला कर दिया। लोगों ने पत्थरबाजी की और एक-दूसरे पर जमकर लाठी डंडे बरसाए, बम फोड़े और धार्मिक स्थल में आग लगा दी है।पूरे शहर में सड़कों पर आगजनी की जा रही है और लोगों का आक्रोश देखा जा रहा है। पुलिस मामले को नियंत्रित करने का लगातार प्रयास कर रही है। कुछ जगहों पर तो पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े, लेकिन उसका भी कोई खास असर नहीं दिख रहा है।मामले को शांत कराने पहले एसपी और डीएम पहुंचे लेकिन उनसे भीड़ नियंत्रित नही हो सकी। बाद में खुद डीआईजी अजीत कुमार राय पूरे दल-बल के साथ सड़क पर पैदल मार्च कर रहे हैं। पूरा जिला छावनी में तब्दील हो गया है। लेकिन भीड़ किसी की नहीं सुन रही है। एसपी पंकज कुमार अब भी फोर्स के साथ मौजूद हैं। वह लोगों से शांति बनाए रखने की अपील कर रहे हैं।वहीं मामले की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी ने जिले में अफवाहों पर रोक लगाने और जिले में इंटरनेट सेवा बंद करने के आदेश दे दिए हैं। जिसके बाद दूरसंचार कंपनियों ने नेट सेवा बंद कर दी है। इस मामले में पुलिस ने दो लोगों को गिरफ्तार किया है।जिला एसपी पंकज कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि इन दोनों गिरफ्तार युवकों से पुलिस पूछताछ कर रही है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि चौबीस घंटे के अंदर आरोपी पुलिस हिरासत में होगा। हिंदू संगठनों में इस मामले को लेकर काफी आक्रोश है। संगठनों ने आज छपरा बंद का आह्वान किया है। अाज सुबह से ही छपरा के नगरपालिका चौक पर बजरंग दल के कार्यकर्ता जुटे हुए हैं। चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की गई है।शुक्रवार को इस मामले को लेकर दिनभर हंगामा हुआ, लोग सड़कों पर उत्पात मचाते रहे। दुकानें बंद रहीं। पूरे परसा बाजार और मकेर में सन्नाटा छाया रहा।क्या है मामलासारण के मकेर में शुक्रवार को देवी देवताओं के चित्र के साथ आपत्तिजनक हरकत का फोटो और वीडियो वायरल होने के बाद जमकर बवाल हुआ। लोगों ने सड़क जाम कर दिया। स्थिति बिगड़ते देख छपरा से डीएम व एसपी पहुंचे। आरोपी की 24 घंटे में गिरफ्तारी के आश्वासन पर लोग शांत हुए, परंतु परसा, सोनहो व भेल्दी में भी बवाल शुरू हो गया।वीडियो वायरल करने वाले आरोपी की पहचान कर ली गई है। लोगों ने मकेर के गांव में उसके घर को फूंक दिया है। आरोपी घर में ताला जड़ परिवार के साथ फरार हो गया है।दो दिन से मोबाइल पर घूम रहा था आपत्तिजनक वीडियोदो दिनों पूर्व परसा थाना क्षेत्र के बलहा गांव निवासी युवक के मोबाइल पर देवी-देवताओं के चित्र के साथ अश्लील हरकत करने की फोटो व वीडियो दूसरे युवक ने भेजा था। उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर वीडियो भेजने वाले युवक की पहचान कर ली। पहचान के बाद शिकायत परसा व मकेर थाना पुलिस से की गई।दो दिनों में कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद युवकों ने इसकी जानकारी स्थानीय लोगों को दी। इसके बाद शुक्रवार सुबह पांच बजे से मकेर में बवालशुरू हो गया। करीब एक दर्जन जगहों पर आगजनी कर यातायात बाधित कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी शुरूकर दी। अन्य इलाकों में भी हंगामा होने लगा।सूचना मिलने पर जिला मुख्यालय से डीएम एसपी मौके पर पहुंचे। आक्रोशित लोगों को एसपी शांत नहीं करा सके। उनके एक बयान से लोग और भड़क गए। एसपी सड़क जाम कर रहे लोगों से पूछ बैठे कि आप लोगों को हनुमान चालीसा याद है? एसपी की इस बात ने आग में घी का काम किया।बवाल बढ़ने की सूचना पर मुजफ्फरपुर जोन के आईजी सुनील कुमार सारण के कमिश्नर नर्मदेश्वर लाल पहुंचे। बड़े अधिकारियों ने सूझबूझ का परिचय देते हुए स्थिति को संभाला। डीएम दीपक आनंद ने कहा कि यह साइबर क्राइम का मामला है। तीन टीमें गठित कर दी गई हैं। 24 घंटे के अंदर दोषियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा। शांति भंग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होगी।
आठ किलो सोने के बिस्कुटों के साथ सलमान खान गिरफ्तार
नई दिल्ली। सलमान खान गिरफ्तार हो गया है। अरे आप बैठे बैठे ओ तेरी ना कहो ये वो वाला सलमान नहीं है।कोयम्बटूर एयरपोर्ट के अधिकारियों को सूचना मिली के एक तस्कर शारजहां से सोना तस्करी करके विमान केजरिए भारत आ रहा है। कस्टम ने एहतियात बरती और सभी यात्रियों की पुख्ता तलाशी ली गई, लेकिन इस पर भी उन्हें कुछ भी सफलता नहीं मिली। तलाशी के दौरान मशीन के सिग्नल से अधिकारियों को एक व्यक्ति पर शक भी हुआ और उसे खोपचे में ले जाके तसल्ली से तलाशी भी ली लेकिन पुलिस को कुछ नहीं मिला।ऐसे में सब हताश हो गए के सोना आखिर गया कहां लेकिनतभी एक अधिकारी का ध्यान उसी व्यक्ति की चाल पर गया जिस पर उन्हें पूरा शक था। उसे फिर से केबिन में ले जाया गया और इस बार जाँच कुछ गन्दी भी हुई।पुलिस उस समय हैरान हो गई जब इस व्यक्ति के पिछवाड़े से आठ शुद्ध सोने के बिस्कुट निकले पुलिस ने इन बिस्कुट का वजन किया तो वो एक किलो के करीब था! इनकी कीमत 2500000 बताई जा रही है।
ऐसा राम मंदिर नहीं चाहिए जो खून के दाग से बना हो: महंत ज्ञानदास
लखनऊ। हनुमानगढ़ी के महंत ज्ञानदास जी महाराज ने कहा कि प्रभु राम जब चाहेंगे, अयोध्या में उनका मंदिर बन जाएगा। हमें खून के दाग से बना राम मंदिर नहीं चाहिए।उन्होंने खुलासा किया कि बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाशिम अंसारी और हम आपसी बातचीत से अयोध्या विवाद के हल के लिए तैयार हो गए लेकिन दुकान बंद हो जाने के डर से विश्व हिंदू परिषद ने इसे परवान नहीं चढ़ने दिया।अयोध्या में भजन संध्या स्थल के शिलान्यास समारोहमें लखनऊ के कालिदास मार्ग स्थित मुख्यमंत्री निवास आए महंत ज्ञान दास ने विहिप पर जमकर निशाना साधा। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि राम मंदिर के नाम पर कुछ लोग देश भर में दुकान चला रहे हैं, राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं। साधु समाज इसे बर्दाश्त नहीं करेगा।हमें ऐसा राम मंदिर नहीं चाहिए जो खून के दाग से बने, हम दूध से बनने वाला मंदिर चाहिए। कुछ लोग कहते हैं अयोध्या में राम मंदिर नहीं बन पाएगा।
ए सियासत वालो जान हमने भी गंवाई है वतन की ख़ातिर...
लखनऊ। 'कुछ लोगों' की वजह से पूरी मुस्लिम क़ौम को शक की नज़र से देखा जाने लगा है... इसके लिए जागरूक मुसलमानों को आगे आना होगा... और उन बातों से परहेज़ करना होगा जो मुसलमानों के प्रति 'संदेह' पैदा करती हैं... कोई कितना ही झुठला ले, लेकिन यह हक़ीक़त है कि हिन्दुस्तान के मुसलमानों ने भी देश के लिए अपना खू़न और पसीना बहाया है. हिन्दुस्तान मुसलमानों को भी उतना ही अज़ीज़ है, जितना किसी और को... यही पहला और आख़िरी सच है... अब यह मुसलमानों का फ़र्ज़ है कि वो इस सच को 'सच' रहने देते हैं... या फिर 'झूठा' साबित करते हैं...इस देश के लिए मुसलमानों ने अपना जो योगदान दिया है, उसे किसी भी हालत में नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता. कितने ही शहीद ऐसे हैं, जिन्होंने देश के लिएअपनी जान तक कु़र्बान कर दी, लेकिन उन्हें कोई याद तक नहीं करता. हैरत की बात यह है कि सरकार भी उनका नाम तक नहीं लेती. इस हालात के लिए मुस्लिम संगठन भी कम ज़िम्मेदार नहीं हैं. वे भी अपनी क़ौम और वतनसे शहीदों को याद नहीं करते.हमारा इतिहास मुसलमान शहीदों की कु़र्बानियों से भरा पड़ा है. मसलन, बाबर और राणा सांगा की लड़ाई में हसन मेवाती ने राणा की ओर से अपने अनेक सैनिकों के साथ युध्द में हिस्सा लिया था. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की दो मुस्लिम सहेलियों मोतीबाई और जूही ने आख़िरी सांस तक उनका साथ निभाया था. रानी के तोपची कुंवर गु़लाम गोंसाई ख़ान ने झांसी की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहूति दी थी. कश्मीर के राजा जैनुल आबदीन ने अपने राज्य से पलायन कर गए हिन्दुओं को वापस बुलाया और उपनिषदों के कुछ भाग का फ़ारसी में अनुवाद कराया. दक्षिण भारत के शासक इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय ने सरस्वती वंदना के गीत लिखे. सुल्तान नाज़िर शाहऔर सुल्तान हुसैन शाह ने महाभारत और भागवत पुराण का बंगाली में अनुवाद कराया. शाहजहां के बड़े बेटेदारा शिकोह ने श्रीमद्भागवत और गीता का फ़ारसी में अनुवाद कराया और गीता के संदेश को दुनियाभर में फैलाया.गोस्वामी तुलसीदास को रामचरित् मानस लिखने की प्रेरणा कृष्णभक्त अब्दुर्रहीम ख़ानख़ाना से मिली. तुलसीदास रात को मस्जिद में ही सोते थे. 'जय हिन्द' का नारा सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फ़ौज के कप्तान आबिद हसन ने 1942 में दिया था, जो आज तक भारतीयों के लिए एक मंत्र के समान है. यह नारा नेताजी को फ़ौज में सर्वअभिनंदन भी था.छत्रपति शिवाजी की सेना और नौसेना के बेड़े में एडमिरल दौलत ख़ान और उनके निजी सचिव भी मुसलमान थे. शिवाजी को आगरे के क़िले से कांवड़ के ज़रिये क़ैद से आज़ाद कराने वाला व्यक्ति भी मुसलमान ही था. भारत की आज़ादी के लिए 1857 में हुए प्रथम गृहयुध्द में रानी लक्ष्मीबाई की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी उनके पठान सेनापतियों जनरल गुलाम ग़ौस ख़ान और ख़ुदादा ख़ान की थी. इन दोनों ही शूरवीरों ने झांसी के क़िले की हिफ़ाज़त करते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. गुरु गोबिन्द सिंह केगहरे दोस्त सूफ़ी बाबा बदरुद्दीन थे, जिन्होंने अपने बेटों और 700 शिष्यों की जान गुरु गोबिन्द सिंह की रक्षा करने के लिए औरंगंज़ेब के साथ हुए युध्दों में कु़र्बान कर दी थी, लेकिन कोई उनकी क़ुर्बानी को याद नहीं करता. बाबा बदरुद्दीन का कहना था कि अधर्म को मिटाने के लिए यही सच्चे इस्लाम की लड़ाई है.अवध के नवाब तेरह दिन होली का उत्सव मनाते थे. नवाबवाजिद अली शाह के दरबार में श्रीकृष्ण के सम्मान में रासलीला का आयोजन किया जाता था. नवाब वाजिद शाह अली ने ही अवध में कत्थक की शुरुआत की थी, जो राधा और कृष्ण के प्रेम पर आधारित है. प्रख्यात नाटक 'इंद्र सभा' का सृजन भी नवाब के दरबार के एक मुस्लिम लेखक ने किया था. भारत में सूफ़ी पिछले आठ सौ बरसों से बसंत पंचमी पर 'सरस्वती वंदना' को श्रध्दापूर्वक गाते आए हैं. इसमें सरसों के फूल औरपीली चादर होली पर चढ़ाते हैं, जो उनका प्रिय पर्व है. महान कवि अमीर ख़ुसरो ने सौ से भी ज़्यादा गीत राधा और कृष्ण को समर्पित किए थे. अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की बुनियाद मियां मीर ने रखी थी. इसी तरह गुरु नानकदेव के प्रिय शिष्य व साथी मियां मरदाना थे, जो हमेशा उनके साथ रहा करते थे. वह रबाब के संगीतकार थे. उन्हें गुरुबानी का प्रथम गायक होने का श्रेय हासिल है. बाबा मियां मीर गुरु रामदास के परम मित्र थे. उन्होंने बचपन में रामदासकी जान बचाई थी. वह दारा शिकोह के उस्ताद थे. रसखान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्तों में से एक थे जैसे भिकान, मलिक मोहम्मद जायसी आदि. रसखान अपना सब कुछ त्याग कर श्रीकृष्ण के प्रेम में लीन हो गए. श्रीकृष्ण की अति सुंदर रासलीला रसखान ने ही लिखी.श्रीकृष्ण के हज़ारों भजन सूफ़ियों ने ही लिखे, जिनमें भिकान, मलिक मोहम्मद जायसी, अमीर ख़ुसरो, रहीम, हज़रत सरमाद, दादू और बाबा फरीद शामिल हैं. बाबा फ़रीद की लिखी रचनाएं बाद में गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा बनीं.बहरहाल, मुसलमानों को ऐसी बातों से परहेज़ करना चाहिए, जो उनकी पूरी क़ौम को कठघरे में खड़ा करती हैं...जान हमने भी गंवाई है वतन की ख़ातिरफूल सिर्फ़ अपने शहीदों पे चढ़ाते क्यों हो...
नाकामी सरकार की,गिरफ्तार होंगे मुस्लिम धियान भटकाने को।
हैदराबाद। ये अक्सर देखा गया है कि जैसे ही कोई त्यौहार नज़दीक आता है, मुसलमान युवकों की गिरफ़्तारी शुरू हो जाती है. बहाना दिया जाता है कि ये लोग आतंकवाद की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं और अक्सर जब जांच होती है तो मालूम होता है कि ज़्यादातर युवक बेगुनाह थे. अब जबकि स्वतंत्रता दिवस नज़दीक आ रहा है तो ऐसा अंदेशा है कि फिर ऐसा होगा। सिआसत की एक खबर के मुताबिक क्रांतिकारी कवि वरा वरा राव का मानना है कि सरकार जो कि हर तरह से नाकामयाब दिखाई पड़ती है अपनी नाकामियों को छुपानेके लिए ये सब करती है.नाकामी को छुपाने के इस तरीक़ेकी वजह से समाज में एक कटाव की स्थिति पैदा हो रही है और हिन्दू-मुस्लिम द्वेष की भावना बढ़ रही है.उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए एक मज़बूत प्रतिरोध की ज़रुरत है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों,दलितों और आदिवासियों को एक साथ आ जाना चाहिए ताकिकेन्द्र सरकार अपने इस मक़सद में कामयाब ना हो पाए. उन्होंने कहा कि सरकार ना तो काला धन ही भारत में वापिस ला पायी और ना ही “अच्छे दिन” के वादे पूरे हुए.
सऊदी सरकार भेजेगी अपने खर्च पर भारत के लालो को भेजेगी वापस!
सऊदी अरब में फंसे 10,000 भारतीयों के लिए राहत देने वाली खबर आई है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा और राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान एक समान वक्तव्य देते हुए कहा कि सऊदी अरब में फंसे भारतीय मजदूरों की समस्याओं को वहां के शासकों के संज्ञान में लाया गया है और उन्होंने समस्याओं के तत्काल समाधान का भरोसा दिया है। सऊदी सरकार वहां फंसे बेरोजगार भारतीय श्रमिकों को दूसरी नौकरियां उपलब्ध कराने तथा बकाए वेतन के भुगतान के लिए ठोस कदम उठा रही है।न्यूज़ २४ की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि विदेश राज्यमंत्री वी के सिंह परसों रात को ही सऊदी अरब पहुंच गए थे और वहां के मंत्रियों तथा अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो श्रमिक स्वदेश लौटना चाहते हैं, उन्हें एक्जिट वीजा उपलब्ध कराया जाएगा तथा सऊदी सरकार अपने खर्चे पर उन्हें भारत भेजेगी। इसके साथ ही जोश्रमिक दूसरी कम्पनियों में काम करना चाहते हैं, उन्हें उनकी योग्यता के अनुसार दूसरी कम्पनियों में रोजगार उपलब्ध कराये जाएंगे।विदेश मंत्री ने कहा कि जो श्रमिक वापस भारत लौटेंगे, वे सऊदी अरब के श्रमिक कार्यालय में कFम्पनियों पर बकाये राशि का दावा भी करेंगे ताकि घर लौटने के बाद उनकी बकाया राशि का भुगतान किया जा सके। उन्होंने कहा कि भारतीय श्रमिक सऊदी अरब के जिन शिविरों में रह रहे हैं, उन्हें वहां की सरकार आज से भोजन भी उपलब्ध कराएगी। इसके साथ ही सऊदी सरकार ने शिविरों की साफ सफाई और चिकित्सा सुविधा भी प्रदान करने का वादा किया है।
हजरत अली के हाथ से लिखी कुरआन का हुआ प्रदर्शन मोरेकको में।
रामपुर/नई दिल्ली।फेस्टीवल आॅफ इण्डिया 2016 केअन्तर्गत मोरक्को में संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और भारतीय उच्चायोग, मोरक्को के सहयोग से चल रही रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की 41 दुर्लभ एवं प्राचीन कैलीग्राफियों के चित्रों की रबात में लगी प्रदर्शनी का समापन 1 अगस्त, 2016 को हो गया। अब यह प्रदर्शनी मोरोक्को के शहर कैसाब्लांका मेंदुनिया की सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद हसन-प्प् में 4 अगस्त 2016 से प्रदर्शित की गई है, जिसका उद्घाटन मिस बाॅचरा जौहरी, लाइब्रेरियन, किंग हसन-प्प् मस्जिद पुस्तकालय, मोरक्को के कर-कमलों द्वारा किया गया। यह प्रदर्शनी 4 से 8 अगस्त 2016 तक प्रदर्शित की जायेगी। इस अवसर पर मिस बाॅचरा जौहरी, लाइब्रेरियन, किंग हसन-II मस्जिद पुस्तकालय, मोरक्को ने कहा कि पूरे विश्व भर में भारतीय संस्कृति बहुत प्रसिद्ध है। विश्व के बहुत रोचक और प्राचीन संस्कृति के रुप में इसको देखा जाता है। अलग-अलग धर्मों, परंपराओं, भोजन, वस्त्र इत्यादि से संबंधित लोग यहाँ रहते हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोग यहाँ सामाजिक रुप से स्वतंत्र हैं। इसी वजह से धर्मों की विविधता में एकता के मजबूत संबंधों का यहाँ अस्तित्व है। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोगों के बीच की घनिष्ठता ने एक अनोखा देश “भारत“ बनाया है। साथ ही कहा कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की कैलीग्राफियाँ विश्व में एक अद्वितीय स्थान रखती हैं। उन्होंने रज़ा लाइब्रेरी का गुणगान करते हुए कहा कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी इण्डो-इस्लामिक शिक्षा और कला का ख़जाना है।इस अवसर पर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी की ओर से श्री सैयद तारिक़ अज़हर, वरिष्ठ तकनीकी रेस्टोरर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस्लामी समाज में उच्च कलाकारों के बीच में सुलेखकों का अपना एक स्थान है और यह स्थान उनकी कला-कुशलता एवं निपुणताकी श्रेष्ठता के आधार पर प्राप्त होता है। भारत में जीवन, इतिहास, कला और संस्कृति के स्वरूप को हमेशा मिश्रित और युग के आधार पर समग्र किया गया है। भारत की रचनात्मक प्रतिभा के इस अनूठे पहलू ने विश्व के विभिन्न देशों को प्रभावित किया है तथा भारत ने विश्व संस्कृति और अतीत में सभ्यता में काफी योगदान दिया है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। कहा कि रामपुर रज़ा लाइब्रेरी गौरवान्वित महसूस करती है कि लाइब्रेरी के संग्रह में लगभग 3000 दुर्लभ एवं प्राचीन कैलीग्राफियों के नमूने हैं। इस प्रदर्शनी का मुख्य आकर्षण सातवीं सदी में हज़रत अली (रजि0) के हाथ से लिखी कुरान शरीफ की प्रतिलिपि है। कैलीग्राफियों के चित्रों में 9वीं सदी के इमाम रज़ा द्वारा हाथ से कूफ़ी लिपि में लिखित कुरान का एक पेज का चित्र, 16वीं सदी के कुरान का पेज जिसे अकबर बादशाह ने सोने से सजवाया था और जिस पर अकबर के मंत्री फै़जी के हस्ताक्षर और मुहर है, 1887 ई0 की गुलाम रसूल की कैलीग्राफी,1871 ई0 की मिर्ज़ा मुहम्मद गुलाम खान की तोते, कबूतर और हंस के आकार के रुप मे सुन्दर कैलीग्राफी,1888 ई0 की मुहम्मद हसन कश्मीरी की कैलीग्राफी, 1878 ई0 की गुलाम रसूल की कैलीग्राफी, 18वीं सदी की मुहम्मद हसन की कैलीग्राफी जिसके बीच में बिस्मिलाह-अल-रहमान-निर-रहीम और दायीं और बायीं तरफ फ़ारसी भाषा की पंक्तियां लिखी हुई हैं, 1936 ई0 की दुल्लाह ख़ान ख़ुशरक़म रामपुरी की कैलीग्राफी, 18वीं सदी की मुहम्मद फजल-उर-रहमान खां की कैलीग्राफी, 18वीं सदी की मोहम्मद हसन की कैलीग्राफी और कुछ अरबी कैलीग्राफियों में पैगम्बर साहब (र0अ0व0) के रूप और सुन्दरता का वर्णन है इत्यादि को प्रदर्शित किया जा रहा है। इस अवसर पर श्री हिमांशु सिंह, मीडिया प्रभारी, रामपुर रज़ा लाइब्रेरी ने सभी का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर कैसाब्लांका शहर के विद्वान, शोधकर्ता एवं गणमान्य व्यक्ति और विभिन्न देशों के दूत भी उपस्थित रहे।
अल्लाह कहने पर मुस्लिम दंपती को प्लेन से उतारा
नई दिल्ली। पाकिस्तानी मूल के एक अमेरिकी दंपती को विमान से उतारने का मामला सामने आया है। इस मुस्लिम दंपती ने दावा किया कि उन्हें विमान से महज इसलिए उतार दिया गया क्योंकि उनके अल्लाह कहने, पसीने निकलने और फोन पर एसएमएस करने से विमानमें सवार क्रू की एक सदस्य असहज महसूस कर रही थी। यह घटना 26 जुलाई की है और यह कपल अपनी शादी की दसवीं सालगिरह मनाकर अमेरिका लौट रहा था।मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नाजिया और फैसल अली ने डेल्टा एयरलाइंस पर आरोप लगाया कि पैरिस से ओहायो के सिनसिनाटी जाने के दौरान इस्लामोफोबिया के कारण उन्हें विमान से उतार दिया गया। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि डेल्टा एयरलाइंस के विमान में पैरिस से सिनसिनाटी जाने के लिए मुस्लिम दंपती अपनी सीट पर बैठ चुका था। सीट पर बैठने के बाद महिला ने अपने जूते उतार दिए और इसी दौरान उसने अपने अभिभावकों को एसएमएस भेजा। वह मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही थी और उसने हेडफोन लगा रखा था।द सिनसिनाटी इन्क्वायरर की खबर के अनुसार, विमान के एक क्रू सदस्य ने पायलट से शिकायत की थी कि वह मुस्लिम दंपती से असहज महसूस कर रही है। उसने पायलट से कहा कि महिला सिर पर स्कार्फ बांधे हुए है और फोन का इस्तेमाल कर रही है और व्यक्ति को पसीना आ रहा है। विमान एयरहोस्टेस ने यह भी दावा किया कि फैसल ने अपना फोन छिपाने का प्रयास किया और उसने दंपती को अल्लाह शब्द का इस्तेमाल करते सुना।
सबसे ज्यादा मशहूर वैज्ञानिक मुस्लिम दुनिया से थे।परवेज़ अमिरालि
7 जनवरी 2016 को नाभिकीय भौतिक विज्ञानी , मशहूर दूरदर्शन शख्सियत व लेखक परवेज अमिराली हुडभोय हैदराबाद साहित्य समारोह में शिरकत करने आये थे . परवेज अमीराली भारतीय व विश्व विज्ञान पर ख़िताब करते हुवे कहा कि " मुसलमानों को तरक्की व याफ्ता के लिए विज्ञान से अवश्य जुड़ना चाहिए . आज भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश , इंडोनेशिया व विभिन्न देशों के मुसलमानों की बदहाली की वजह यह है कि वह साइंसी उलूम के साथ मजबूती से नही जुड़ रहे हैं । अपने ख़िताब में मुसलमानों की बदहाली व तररकी अक़ीदे व इतिहास पर भी रौशनी डाला ."मैंने साइंस और टेक्नोलॉजी से सम्बंधित बहुत से किताबों का अध्यन किया और पाया की साइंस वह इल्म है जो धर्म व कौमियत , रंग व नस्ल और इलाके के नज़रये से ऊपर है ।चार से पांच सौ साल पहले साइंसी उलूम की तरक़्क़ी के छेत्र - इल्मे रियाजी ( गणित - Mathematics ), इल्मे नबातात ( Botony ) , इल्मे तबिआत ( भौतिकी - Physics ), इल्मे कीमिया ( रासायनिक शास्त्र - Chemistry ) व मेडिकल साइंस में मुस्लिम वैज्ञानिक का दबदबा था जो आज धीरे धीरे काम होते गया । इल्मे रियाजी ( गणित ) अरब वालों का पसंदीदा विषय रहा है । मुहम्मद बिन मूसा ख्वारिज़्मी , जिसे यूरोप में अल्गोरिज़्म के नाम से जाना जाता है . आप ने रियाजी ( हिसाब ) , फल्कीयात ( आसमानी चीजो से संबंधित चीज ) , जुगराफिया ( भूगोल- Geography ) और इतिहास में असाधारण कारनामे सर - अंजाम दिये । ख्वारिज़्मी दुनिया के पहले इल्मे रियाज ( गणित ) के जानकार थे जिन्होंने शून्य का इज़ाद ( आविष्कार) किया ।
क़ुरआन की तासीर ने मुझे बना दिया मुस्लिम।
मोहतरमा मरयम जमीला न्यूयार्क (अमेरिका) के एक यहूदी परिवार में पैदा हुई। इस्लाम कबूल करने से पहले ही वे आम अमेरिकी व यहूदी औरतों से हटकर शिष्ट ढंग से जिन्दगी गुजार रही थीं। मुसलमान होने के बाद उन्होंने इस्लाम पर अनेक पुस्तकों की रचनाएं की हैं। अब तक उनकी एक दर्जन से अधिक अंग्रेजी रचनाएं लोगों के सामने आ चुकी हैं। अपने बारे में वे कहती हैं कि कुरआन से मेरा परिचय अजीब तरीके से हुआ। मैं बहुत छोटी थी जब मुझे संगीत से बहुत लगाव हो गया। बहुत -से गीतों और क्लासिकल रिकार्ड बहुत देर-देर त· मेरे कानों को लोरियां देते रहते। मेरी उम्र लगभग 11 वर्ष की थी, जब एक दिन सिर्फ इत्तिफाक से मैंने रेडियो पर अरबीसंगीत सुन लिया, जिसने दिल व दिमाग को खुशी के एक अजीब एहसास से भर दिया। नतीजा यह हुआ कि मैं खाली समय में बड़े शौक से अरबी संगीत सुनती, यहां तक कि एक समय आया कि मेरी अभिरुचि ही बदल गयी। मैं अपने पिता के साथ न्यूयार्क के सीरियाई दूतावास में गयी और अरबी संगीत के बहुत- से रिकार्ड ले आयी। उन्हीं में सूरह मरयम की चित्ताकर्ष· तिलावत भी थी, जो उम्मे कुलसुम की निहायत सुरीली आवाज में रिकार्ड की गयी थी। हालांकि मैं उन गीतों को समझ नहीं सकती थी मगर अरबी जुबान की आवाजों और सुरों से मुझे बेहद मुहब्बत हो गयी थी। सूरह मरयम ·ी तिलावत तो मेरे ऊपर जादू ·र देती थी। अरबी जुबान सेइस गहरे लगाव ही का नतीजा था कि मैंने अरबों के बारे में किताबें पढऩी शुरू की। खास तौर से अरबों और यहूदियों के संबंध पर ढूंढ-ढूंढ कर किताबें हासिल की और यह देखकर बहुत हैरान हुई कि यद्यपि धारणा की दृष्टि से यहूदी और अरब एक दूसरे के बहुत करीब हैं मगर यहूदी इबादतखानों में फिलिस्तीनी अरबों के विरूद्ध बहुत जबरदस्त जहर उगला जाता है। साथ ही ईसाइयों के व्यवहार ने मुझे बहुत निराश किया। मैंने ईसाइयत को गोरखधंधे के अलावा कुछ न पाया। चर्च ने बहुत-से अखलाकी, सियासी, आर्थिक और सभ्यतागत खराबियों का सिलसिला शुरू कर रखा था, इससे खास तौर से मैं परेशान हुई। मैंने यहूदी और ईसाई इबादतखानों को बहुत करीब से देखा और दोनों कोमुनाफिकत (कपटाचार) और बुराई की दलदल में डूबे हुएपाया। मैं यहूदी थी, इसलिए यहूदियत का अध्ययन करते हुए जब मैंने महसूस किया कि इस्लाम तारीखी एतबार से यहूदियत के बहुत करीब है तो फितरी तौर पर इस्लाम और अरबों के बारे में जानने का शौक पैदा हुआ। 1953 ई। के गर्मी के मौसम में मैं बहुत ज्यादा बीमार पड़ गयी।मैं बिस्तर पर लेटी थी जब एक शाम मेरी मां ने पब्लिक लाइब्रेरी जाते हुए मुझसे पूछा कि मैं कोई किताब तो नही मंगाना चाहती तो मैंने कुरआन के एक नुस्खे की फरमाइश की और वे आती हुई जार्ज सैल का अनुवाद किया हुआ कुरआन ले आयीं और इस तरह कुरआन से मेरे संबंध की शुरूआत हुई। जार्ज सैल 18वीं शताब्दी का ईसाई विद्वान और प्रचारक थे, मगर थे बहुत कट्टर धार्मिक और तंगनजर। उनके अनुवाद की भाषा कठिन है और टिप्पणियों में अनावश्यक विषयों से हटकर हवाले दिये गये हैं, ताकि ईसाई दृष्टिकोण से उसे गलत साबित किया जा सके। एक बार तो मैं उन्हें बिल्कुल न समझ सकी मगर मैंने उसका अध्ययन करना न छोड़ा और उसे तीन दिन और रात बराबर पढ़ती रही यहां तक कि थक गयी। उन्हीं दिनों किस्मत ने साथ दिया और पुस्तकों की एक दुकान पर मैंने मुहम्मद मार्माडियूक पिकथॉल का अनुवाद देखा। ज्यों ही मैंने उस कुरआन को खोला, मुझे एक जबरदस्त चीज मालूम हुई। जुबान का हुस्न और बयान की सादगी मुझे अपने साथ बहा ले गयी। भूमिका के पहले ही अनुच्छेद में अनुवादक ने बहुत खूबसूरत तरीके से स्पष्ट किया है कि यह कुरआनी अर्थों को जैसा कि आम मुसलमान इसे समझते हैं, अंग्रेजी भाषा में पेश करने की एक कोशिश है और जो शख्स कुरआन पर यकीन नहींरखता उसके लिए अनुवाद का हक अदा नहीं कर सकता। दुनिया में कोई भी अनुवाद अरबी कुरआन की जगह नहीं ले सकता आदि। मैं तुरन्त समझ गयी कि जार्ज सैल का अनुवाद नागवार क्यों था? अल्लाह तआला पिकथॉल को बहुत-सी रहमतों से नवाजे।उन्होंने ब्रिटेन और अमेरिका में कुरआन को समझना आसान बना दिया और मेरे सामने भी रोशनियों के दरवाजे खोल दिये। मैंने इस्लाम में हर वह अच्छी, सच्ची और हसीन चीज पाई जो जिन्दगी और मौत को मकसद देती है जबकि दूसरे धर्मों में हक मिटकर रह गया है, उसको टुकड़ों में बांट दिया गया है, उसके आस-पास कईतरह के घेरे खींच दिये गये हैं। कुरआन और उसके बाद मुसलमानों की तारीख के अध्ययन से मुझे यकीन हो गयाकि अरबों ने इस्लाम को महान नहीं बनाया बल्कि यह इस्लाम है जिसकी वजह से अरब दुनिया भर में कामयाब हुए। मेरी बीमारी बरसों तक रही, यहां तक कि 1959 ई। में पूरी तरह से स्वस्थ होकर मैंने अपना अधिक समय पब्लिक लाइब्रेरी न्यूयार्क में गुजाराना शुरू किया। यहीं पर मुझे पहली बार हदीस की मशहूर किताब मिशकातुल-मसाहीब के अंग्रेजी अनुवाद की चारमोटी जिल्दों से परिचय हुआ। यह कलकत्ता के मौलाना फजलुर्रहमान की कोशिशों का नतीजा थी। तब मुझे अंदाजा हुआ कि हदीस के संबंधित हिस्सों से परिचय के बगैर कुरआन पाक को मुनासिब और विस्तृत ढंग से समझना मुमकिन नहीं। जाहिर है पैगम्बर अलैहिस्सलाम जिन पर प्रकाशना होती थी, की रहनुमाई और व्याख्या के बगैर खुदा के कलाम को कैसे समझा जा सकता है। इसीलिए इस बात में कोई शक नहीं कि जो लोग हदीस को नहीं मानते, असल में वे कुरआन के भी इन्कार करने वाले हैं।मिशकात के विस्तृत अध्ययन के बाद मुझे इस हकीकत में कुछ भी शक न रहा कि कुरआन अल्लाह का उतारा हुआ है। इस बात ने इस चीज को मजबूती दी कि कुरआन अल्लाहतआला का कलाम है और यह हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दिमागी मेहनतों का नतीजा नहीं। यह एक हकीकत है कि कुरआन जिन्दगी के बारे में तमाम बुनियादी सवालात का ऐसा ठोस और संतुष्ट करने वाला जवाब देता है जिसकी मिसाल कहीं और नहीं मिलती। मेरे पिता ने एक बार मुझे बताया कि दुनिया में कोई पद हमेशा रहने वाला नहीं है, इसलिए हमें बदलते हुए हालात के साथ खुद को बदल लेना चाहिए, तो मेरे दिल नेउसे कबूल करने से इन्कार कर दिया और मेरी यह प्यास बढ़ती ही चली गयी कि मुझे वह चीज मिले जो हमेशा बाकी रहने वाली हो। खुदा का शुक्र है कि जब मैंने कुरआन पाक को पढ़ा तो मेरी प्यास बुझ गयी और मुझे मेरी पसन्द की चीज मिल गयी। मुझे पता चल गया कि अल्लाह की खुशी के लिए जो भी नेक काम किया जाए वह·भी बेकार नहीं जाएगा और दुनिया में उसका कोई बदला न मिले, तो आखिरत में उसका पुरस्कार जरूर मिलेगा। इसके मुकाबिले में कुरआन ने बताया कि जो लोग किसी अखलाकी कानून के बगैर जिन्दगी गुजारते हैं और खुदा की खुशी को सामने नहीं रखते, दुनियावी जिन्दगी में चाहे वे कितने ही कामयाब हों मगर आखिरत में बहुत ही घाटे में रहेंगे।इस्लाम की शिक्षा यह हैकि हमें हर वह बेकार और बेफायदा काम छोड़ देना चाहिए, जो अल्लाह के हकों औरबन्दों के हकों के रास्ते में रुकावट बनाता हो। कुरआन की इन शिक्षाओं को मेरे सामने हदीस और रसूलेपाक सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पवित्र जीवन ने और ज्यादा स्पष्ट और रोशन किया जैसा कि हजरत आइशा सिद्दीका (रजि.) ने एक बार फरमाया ''आप (सल्ल.) के अखलाक कुरआन के बिल्कुल मुताबिक थे। और वे कुरआनी शिक्षाओं का पूरे तौर से नमूना थे। मैंने देखा कि मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पवित्र जीवनका एक-एक पहलू मिसाली है। एक बच्चे की हैसियत से, एक बाप की हैसियत से, एक पड़ोसी, एक व्यापारी, एक प्रचारक, एक दोस्त, एक सिपाही और एक फौजी जनरल के एतबार से, एक विजेता, एक विधि-निर्माता, एक शासक और सबसे बढ़कर अल्लाह के एक सच्चे आशिक के लिहाज से वह खुदा की किताब कुरआन की हूबहू मिसाल थे। फिर नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की दिनभर की मशगूलियात के बारे में जानकर मैं बहुत प्रभावित हुई। आप दिन का एक लम्हा भी बेकार न करते और आपका सारा समय अल्लाह और उसकी मानवजाति के लिए समर्पित था। उनका अपनी बीवियों से सुलूक निहायत न्याय वाला और मिसली था। इन्साफ, न्याय और तकवा (अल्लाह से डरने) का यह हाल था कि उनकी प्यारी बेटी हजरत फातिमा (रजि.) ने जायज जरूरत के तहत एक गुलाम के लिए निवेदन किया तो उन्हें तकवा अपनाने को कहा और अपने घरवालों पर दूसरे मुसलमानों की जरूरतों को प्रधानता दी। इस्लाम के पैगम्बर (सल्ल.) ने जिन्दगी का मकसद ऐशपसंदी नहीं बल्कि 'कामयाबी' करार दिया। आपकी शिक्षा के अनुसार जो शख्स आखिरत की कामयाबी के लिए संकल्प के साथ अल्लाह तआला की बन्दगी करता है, उसे जज्बाती सुकून के नतीजे में खुशी और प्रसन्नता खुद बखुद हासिल हो जाती है। इसका यह मतलब नहीं कि आप(सल्ल.) दुनियावी जिन्दगी से बिल्कुल अलग थे। आप रोजाना की जिन्दगी की जरूरियात का खास लिहाज करते थे, खुश मिजाज और खुश बयान थे, बच्चों के साथ खेल भी लेते थे, मगर असल तवज्जो के काबिल उन्होंने आखिरत ही की जिन्दगी को समझा और प्राकृतिक व रूहानी जिन्दगी में काफी संतुलन पैदा कर लिया।अब मैंने फैसला कर लिया कि इस्लाम के प्रभाव अपनी जिन्दगी पर गालिब करूंगी। शुरू में मैंने अपने तौर पर न्यूयार्क के इस्लामी मर्कज में मुसलमानोंसे मुलाकात की राहें पैदा कर लीं और बड़ी खुशी हुई कि जिन लोगों से मेरा संबंध हुआ है, वे अच्छे लोग थे। इस्लामी मर्कज की मस्जिद में मैंने मुसलमानोंको नमाज पढ़ते हुए देखा और इस बात ने मेरे इस यकीन को मजबूत कर दिया कि सिर्फ इस्लाम ही पूरे तौर से आसमानी धर्म है, बाकी धर्मो में सिर्फ नाम की सच्चाई मौजूद है। अब मैं इस फैसले पर पहुंच गयी थी कि इस्लाम ही सच्चा धर्म है और इस्लाम ही में मौजूदा जमाने की बुराइयों का मुकाबला करने और उन पर विजयी होने की क्षमता मौजूद है। अतएव मैंने इस्लाम का अध्ययन करने के बाद इसे कबूल कर लिया। इस्लाम कबूल करने से पहले मेरा मौलाना अबुल आला मौदूदी से काफी पत्राचार हुआ। इस्लाम कबूल करने के बाद मेरी मंजिल कराची थी, जहां मैं मौलाना मौदूदी की दावत पर गयी। जब मैं कराची पहुंची तो वहां मौलाना मौदूदी के चाहने वालों ने मुझे हाथों हाथ लिया और बेहद सेवा और आवभगत की। कुछ दिन बाद मैं जहाज के द्वारा लाहौर आ गयी और मौलाना के घर ठहरी। मैं मौलाना की बच्चियों की उम्र की थी इसलिएमुझे इस घर में कोई अजनबीपन का एहसास न हुआ। कुछ दिनों के बाद मेरा निकाह जमाअत इस्लामी पाकिस्तानके एक मुख़लिस सदस्य मुहम्मद यूसुफ खां से हो गया।मैंने इस रिश्ते को खुशी के साथ कबूल कर लिया और यहफैसला कर लिया कि अज्ञानता की तमाम रस्मों का इन्कार और नबी (सल्ल.) के तरीके की पैरवी करना मेरीजिन्दगी का मकसद है। अल्लाह का शुक्र है कि मैं अपने नये घर में खुशी व सुकून के साथ जिन्दगी गुजार रही हूं।
इंग्लैंड की होनहार महिला पुलिस अफसर ने अपनाया इस्लाम
अट्ठाइस वर्षीय पुलिस अधिकारी जेने केम्प ने घरेलू हिंसा से पीडि़त एक मुस्लिम महिला की मदद केदौरान इस्लामिक आस्था और विश्वास के बारे में जानने का निश्चय किया। उन्होंने इस्लाम का अध्ययन किया और फिर इस्लाम अपनाकर मुसलमान बन गईं।दो बच्चों की मां जेने केम्प ने बताया कि पुलिस अधिकारी के रूप में घरेलू हिंसा से पीडि़त एक मुस्लिम महिला की मदद के दौरान उसने इस्लाम को जाना और फिर इस्लाम से प्रभावित होकर इस्लाम कुबूल कर लिया।इस्लाम के अध्ययन के दौरान केम्प ट्विटर पर कई मुस्लिमों के सम्पर्क में आईं, उनसे कई बातें जानीं और इस सबके बाद उन्होंने अपना कैथोलिक धर्म छोड़कर एक साल पहले इस्लाम धर्म अपना लिया और अब वे पूरी तरह इस्लाम के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजार रही हैं। वे एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी के रूप में गश्त पर निकलती हैं लेकिन वे पूरी तरह इस्लामीहिजाब में होती हैं और अपनी ड्यूटी के समय को एडजेस्ट करके वे नमाज पढऩा नहीं भूलती हैं।सात वर्षीय बेटी और नौ वर्षीय बेटे की सिंगल मदर जेने ने पिछले साल आधिकारिक रूप से इस्लाम अपना लिया और अपना नाम जेने केम्प से अमीना रख लिया। वे अपना खाना खुद बनाती हैं ताकि वह पूरी तरह हलाल खाना हो।जेने दक्षिण मेनचेस्टर में रहती हैं। वे कहती हैं, जहां मैं रहती हूं वहां एक बड़ी मस्जिद है और काफी तादाद में मुस्लिम रहते हैं। इस्लाम के प्रति दिलचस्पी के दौरान मैंने तय किया कि मुझे इन लोगोंऔर इनके मजहब के बारे में ज्यादा से ज्यादा अध्ययनकरना चाहिए।जेने कहती हैं- 'पहले मैं सोचती थी कि इस्लाम तो महिलाओं को चूल्हा-चौका करने और घर में कैद रहने के लिए मजबूर करता होगा लेकिन मैंने इसमें ऐसा नहीं पाया बल्कि ये तो अपने समय से ही दूसरों के प्रति उदार और सम्मानपूर्ण व्यवहार की सीख देता है। मैंने पाया कि इस्लाम अपने पड़ोसियों का खयालरखने और उनके साथ अच्छे ताल्लुकात रखने को तरजीह देता है, वहीं बच्चों को माता-पिता को पूरा सम्मान देने और उन्हें उफ् तक न कहने की हिदायत देता है। मैंने आज के अन्य धर्मों को इस्लाम जैसा नहीं पाया। इस्लाम में मुझे अपने हर एक सवाल का जवाब मिला। दरअसल अब तो मुझे इस्लाम से बेहद लगाव हो गया।'जेने बताती हैं, 'जब मैंने अपने सहकर्मियों को बताया कि मैंने इस्लाम अपना लिया और अब मैं कार्यस्थल पर हिजाब पहनना शुरू करना चाहती हूं तो मेरे सहकर्मियों ने मेरा सहयोग किया। पहले मैं चिंतित थी कि मेरे सहकर्मी मेरे इस फैसले पर न जाने क्या सोचेंगे और किस तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करेंगे लेकिन उन्होंने मेरे फैसले का सम्मान किया।'जेने कहती हैं- 'मेरे दोनों बच्चे मेरे पर्दा करने और इस्लाम के बारे में बहुत से सवाल करते हैं लेकिन मैं उन पर जबरदस्ती इस्लाम नहीं थोपूंगी। मैं लोगों को बता रही हूं कि एक मुस्लिम महिला भी पुलिस फोर्स में काम कर सकती है और मुझे उम्मीद है कि इस तरह मैं इस्लाम की नकारात्मक छवि को बदलने की कोशिश करूं गी।'मेनचैस्टर के दक्षिण स्थित जिले विथेनशेवे में पली-बढ़ी जेने बताती हैं,' मेरे इस्लाम अपनाने के फैसले का मेरे घर वालों ने मौटे तौर पर स्वागत ही किया। मेरे इस फैसले से मुझे खुश देखकर वे खुश हैं। एक दिन मेरी बहन ने मुझे इस रूप में देखकर उसने भी खुशी व्यक्त की।'वे कहती हैं, 'मैंने खुले दिलो-दिमाग के साथ इस्लाम का अध्ययन किया।'जैने को इस्लाम की राह दिखाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की मुहम्मद मंजूर ने जो स्थानीय मस्जिद से मुस्लिम ट्विट्र अकांउट चलाते हैं।मुहम्मद मंजूर कहते हैं, 'मैं जेने का अहसानमंद हूंकि उसने मुझे इस्लाम से जुड़े ऐसे सवाल पूछे जिसकीवजह से मैंने इस्लाम का और अधिक अध्ययन किया और मेरी इस्लामिक नॉलेज में बढ़ोतरी हुई। जैने ने अपने स्तर पर अध्ययन करके सच्चाई रूपी इस्लाम को तलाशा। इससे यह भी जाहिर होता है कि मुस्लिम इंग्लैंड जैसे समाज में भी बिना अपने मजहब के उसूलों से समझौता किए घुलमिलकर रह सकते हैं।'बशुक्रिया इस्लामिक वेब दुनिया
तीन साल के नन्हे फ़रिश्ते नें सिर्फ सुन कर ही कियापूरा क़ुरआन हिफ्ज़
तीन साल की उम्र में बच्चा ना सही से लिख सकता है और ना पढ़ सकता है भला इस उम्र में कोई किसी किताब को कैसे पूरी से याद कर सकता है। लेकिन अल्जीरिया के एक तीन साल से भी कम उम्र अब्दुल रहमान ने ये कारनामा कर दिया है। ताज्जुब करने वाली बात कि वो भी बच्चे ने सुन सुन के पुरे क़ुरआन का याद किया है अब्दुल रेहमान ने क़ुरआन को इतनी कम उम्र में हिफ़्ज़ करके पूरी दुनियामें एक रिकार्ड बनाया है। बच्चे का नाम गिनीज़ बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होने जा रहा है।
महान मुस्लिम वैज्ञानिक अहमद ज़ेबेल का आज हुआ निधन
दुनिया के एकमात्र महान रसायन वैज्ञानिक जिन्हें रसायन विज्ञान का पितामह कहा जाता है, वैज्ञानिक डॉक्टर अहमद जेवेल का कैलिफोर्निया में निधन हो गया है, मिस्र के रहने वाले हैं. इस दुनिया से जाना वैज्ञानिक और फाइन दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी हानि है। अहमद ज़ेबेल अमेरिकी नागरिक थे बताया जाता है यह 70 वर्षीय डॉक्टर अहमद ज़ेबेल पिछले काफी दिनों सेअस्वस्थ चल रहे थे लंबी बीमारी के चलते हैं 70 सालकी उम्र में उनका निधन हो गया। डॉ अहमद जेवेल नेम रसायन विज्ञान में ट्रेडिशनल स्टेट ऑफ केमिकल स्टेटस पर अध्ययन के लिए 1999 में नोबेल प्राइज जीतने वाले अहमद कैलिफोर्निया सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में केमिस्ट्री और फिजिक्स केप्रोफ़ेसर थे। इनके निधन पर इस्लामी शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि रसायन विज्ञान में उन्होंने जो योगदान दिया है उसको कभी भी नहीं भुलाया जा सकता उनका इस दुनिया से जाना वैज्ञानिक और फाइन दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी हानि है।
कैंसर से बचने के लिए इस एक ड्रिंक को पीनाहै फायदेमंद...
हाल में हुए एक शोध में पता चला है कि कोल्ड कॉफी पीने से कैंसर से बचाव होता है, इस बारे में WHO की कैंसर शोध इकाई से जानकारी मिली हैनई दिल्ली।कॉफी पीने के शौकीन लोगों को इसका हर स्वाद अच्छा लगता है फिर चाहे कॉफीकोल्ड हो या हॉट। लेकिन अगर आपको कोल्ड कॉफी ज्यादा पसंद है तो ये आपके लिए फायदे की बात हो सकती है। हाल में हुए एक शोध में पता चला है कि कोल्ड कॉफी पीने से कैंसर सेबचाव होता है। इस बारे में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की कैंसर शोध इकाई से जानकारी मिली है।डब्ल्यूएचओ ने 1991 में कॉफी को ब्लैडर कैंसर का खतरा बढ़ाने वाले पदार्थ के रूप में वर्गीकृत किया था। लेकिन 1,000 से ज्यादा अध्ययनों की समीक्षा के बाद इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (आईएआरसी), जो कि डब्ल्यूएचओ की इकाई है, नेकहा कि कॉफी को कैंसर उत्पन्न करने वाले खाद्य पदार्थों की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।द वर्ज की रिपोर्ट के अनुसार, एजेंसी ने हालांकि आगाह किया है कि अगर बहुत गर्म कॉफी पी जाए तो उससे कैंसर का खतरा हो सकताहै। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि आईएआरसी ने 23 वैज्ञानिकों से कॉफी और हर्बल चाय से जुड़े कैंसर के खतरे की समीक्षा करवाई, जिन्होंने काफी को कैंसर का कारक नहीं बताया। डब्ल्यूएचओ की कैंसर रिसर्च इकाई का कहना है कि 65 डिग्री सेल्सियस से अधिकगर्म कॉफी पीने से ग्रासनली के कैंसर का खतरा हो सकता है।
44 वर्षों से जाग रहा है यह शख्स, मेडिकल साइंस के लिए बना चुनौती
बगैर नींद के जीवन की परिकल्पना नहीं की जासकती है लेकिन पूर्व सयुंक्त कलेक्टर मोहनलाल द्विवेदी ऐसे शख्स हैं जो 44 सालों में एक पल भी नहीं सोए हैं।रीवा।बगैर नींद के जीवन की परिकल्पना नहीं की जा सकती है लेकिन पूर्व सयुंक्त कलेक्टर मोहन लाल द्विवेदी ऐसे शख्स हैं जो 44 सालों में एक पल भी नहीं सोए हैं। एकसामान्य व्यक्ति की तरह जीवन जी रहे हैं। किसी भी मनुष्य के लिए यह स्वीकार कर पाना मुश्किल है। पर हकीकत यही है। उन्हें नींद क्यों नहीं आती, यह मेडिकल साइंस के बड़े से बड़े डॉक्टर भी पता नहीं लगा पाए हैं। वह चलते-फिरते अजूबा हैं। पत्रिका से उन्होंने अपने जीवन को साझा किया।द्विवेदी कहते हैं कि वर्ष 1973 जुलाई कामहीना था। तारीख उन्हें याद नहीं। अचानक एक रात नींद गायब हो गई। इसके बाद से उन्हें नींद नहीं आई। उस दौर में वह स्वामीविवेकानंद महाविद्यालय त्योंथर में व्याख्याता थे। कई दिनों तक अपनी समस्या को छिपाए रहे। घरवालों और दोस्तों तक से शेयर नहीं किया। रात-रात चुपचाप बिस्तर में पड़े रहते थे। आंखों में न जलन होती थीऔर न ही शरीर की अन्य क्रियाओं में फर्क आया।1977 में प्रशासनिक सेवा में चयनवर्ष 1977 में राज्य प्रशासनिक सेवा में चयनित हुए। इसके बाद उन्होंने खामोशी तोड़ी और पहले झाड़-फूंक करवाया। घर के लोगभूत की आशंका करते थे। फिर भी नींद नहीं आईतो डॉक्टरों से इलाज कराना शुरू किया। द्विवेदी बताते हैं कि दो साल तक बाम्बे हॉस्पिटल, मुंबई के डॉक्टरों को दिखाया। मानसिक रोग विशेषज्ञ, मेडिसिन के डॉक्टरोंने कई प्रकार की जांचे कराई। लेकिन रिपोर्ट शून्य रही।बाम्बे हॉस्पिटल भी हाराआखिर में बाम्बे हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने कहा कि जब कोई तकलीफ शरीर में नहीं है तो फिर क्यों इलाज करा रहे हो। इसके बाद से आजतक कोई दवा नहीं ली। यहां तक कि नींद की गोली भी कभी नहीं खाई। द्विवेदी ने बताया कि मूलरूप से जनकहाई त्योंथर के रहने वाले हैं। बचपन से पढ़ाई में अव्वल रहे। अर्थशास्त्र में स्नाकोत्तर की उपाधि ली है। पिता रामनाथ द्विवेदी के बारे में बोले कि वे भी रात में तीन से चार घंटे ही सोते थे। वर्तमान मेंं जेपी रोड पडऱा में रहते हैं।पन्ना में होती थी मेरी जासूसीपूर्व संयुक्त कलेक्टर मोहनलाल द्विवेदी कहते हैं कि जब वे पन्ना में पदस्थ थे लोग रात में उनकी जासूसी करते थे। कि संयुक्त कलेक्टर सोते हैं कि नहीं। क्योंकि लोगों को विश्वास नहीं होता था। पन्ना के बाद सीधी जिले में रहे। यहां भी लोग जासूसी करते थे। उनका कहना है नींद न आने से वे प्रशासनिक सेवा को बखूबी अंजाम देते थे। समय पर आफिस पहुंचना और रात 8 बजे तक काम निपटाना उनकी दिनचर्या थी।परिवार पर पड़ रहा असरनींद न आने का असर उनके परिवार पर पड़ रहा है। इसे लेकर अब वे चिंतित हैं। उनके एक बेटी प्रतिभा है। साथ में दो भतीजे रहते हैं। पत्नी नर्मदा द्विवेदी उनके इस जीवन की साक्षी हैं। देर रात तक जगना इनकी भी आदत बनती जा रही है। एक ही छत के नीचे दो तरह का जीवन जीना चुनौती है। द्विवेदी बताते हैं कि उनकी रात, दिन से बेहतर होती है। क्योंकि वे दिन से ज्यादा रात में अपनेको स्फूर्त मानते हैं। 4-5 घंटे वे धर्म से जुड़ी किताबें पढ़ते हैं। भोर मे योग शुरू कर देते हैं।
आखिर क्यों यहां एक युवती को बनना पड़ता है सभी भाइयों की दुल्हन
भारत एक ऐसा देश है जिसमें विविधता में एकता है, यहां कई संस्कृति एक साथ देखने को मिलती है. देखा जाएं तो विविधता में एकता, भारत के संदर्भ में सिर्फ मुहावरा नहीं है बल्कि यह यहां की सच्चाई है. भारत की संस्कृति और परम्पराओं के बारे कुछ शब्दों में समझाना मुश्किल है. यहां कई राज्य, भाषा, संस्कृति, पाक कला, परम्परा, पहनावा और अन्य बोलियां हैजिनमें से कई तो अनगिनत है. भारत एक ऐसा भूमि है जहां सब कुछ देखने को मिलता है. लेकिन जहां एक ओर भारत इतनी विविधताओं से भरा हुआ है, वहीं यहां के लोगों के बीच अजीबोगरीब प्रथाएं भी पनप चुकी है. यहां हर क्षेत्र की कुछ ख़ास परम्पराएं है जो उस क्षेत्र की पहचान बनी हुई है. इसी तरह विवाह को लेकर भी कई प्रथाएं चली आ रही हैं.हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में आज भी बहु पति विवाह किए जाते हैं. यहां रहने वाले परिवारों में महिलाओं के कई पति होते हैं. ऐसा नहीं है कि ये पति अलग-अलग परिवारों के हो, महिला के पति एक ही घर के होते हैं.घर की एक ही छत के नीचे रहने वाले परिवार के सभी भाई एक ही युवती से परंपरा के अनुसार शादी करते हैं और विवाहित जीवन जीते हैं. अगरकिसी महिला के कई पतियों में से किसी एक की मौत भी हो जाए तो भी महिला को दुख नहीं मनाने दिया जाता है.किन्नौर में विवाह की परंपरा भी अजीब ढंग से निभाई जाती है. जब किसी युवती की शादी होती है तो परिवार वाले उस परिवार के लड़कों के बारे में पूरी जानकारी आदि ले लेते हैं. विवाह में सभी भाई दूल्हे के रूप में सम्मलित होते हैं. शादी के बाद निभाई जाने वाली कई परंपराएं और बाद का विवाहित जीवन एक टोपी पर निर्भर करता है.जैसे किसी परिवार में चार भाई है. सभी की विवाह एक ही महिला से हुआ है. अगर कोई भाई अपनी पत्नी के साथ है तो वह कमरे दरबाजे पर अपनी टोपी रख देता है. भाइयों में मान मर्यादा इतनी रहती है कि जब तक टोपी दरवाजे पर रखी है कोई दूसरा भाई उस स्थान पर नहीं जा सकता.यहां लोगों का कहना है कि यह प्रथा इसलिए चलीआ रही है क्योंकि अज्ञातवास के दौरान पांचोंपांडवों ने यही समय बिताया था. सर्दी में बर्फबारी की वजह से यहां की महिलाएं और पुरुष घर में ही रहते हैं. बर्फबारी की वजह से कोई काम नहीं रहता है. इन दिनों इन लोगों के पास बस मौज मस्ती में दिन व रात गुजारने होते हैं. महिलाएं सारा दिन पुरुषों के साथ गप्पें मारती हैं.
सपा सरकार में बेखौफ हो गए हैं अपराधी- मायावती
नई दिल्ली। बसपा सुप्रीमो मायावती ने बुलंदशहरजिले के नेशनल हाइवे पर एक परिवार के मां-बेटी के साथ हैवानियत के बाद बरेली, शामली व कानपुर जिले में भी लगभग उसी प्रकार की दरिंदगी के मामले में गहरी चिंता व्यक्त की। मायावती ने कहा कि वास्तव में इस सपा सरकार में सरकारी व्यवस्था इतनी ज्यादा लचर व बुरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गयी है कि अपराधियों को कानून का खौफ थोड़ा भी नहीं रहा है। वे जानते हैं कि सपा सरकार दिखावे के लिए सख्ती कर रही है और अन्तत: उनका कुछ ज्यादा नहीं बिगड़ने वाला है।संसद के भीतर राज्यसभा व बाहर परिसर में पत्रकारों से बातचीत में मायावती ने देशभर में महिला उत्पीड़न व अत्याचार का मामला उठाया। परंतु संसद परिसर में पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में मायावती ने कहा कि महिलाओं के साथ वैसे तो देशभर में शोषण, अत्याचार व बलात्कार आदि की घटनाएं काफी हो रही हैं परंतु उत्तर प्रदेश में इसकी अति हो रही है। बुलंदशहर की घटना के बाद बरेली, शामली व कानपुर आदि में दिन के समय महिलाओं को सामूहिक दुष्कर्म का शिकार बनाया गया है।इस सबसे उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार की देशभर में वैसी ही भारी किरकिरी व फजीहत हो रही जैसा ऊना कांड के बाद भाजपा की हुई है और अभी तक भी जारी है। उसी सबसे लोगों का ध्यान हटाने के लिए राजनीतिक साजिश के तहत बीएसपी के तीन वरिष्ठ लोगों रामअचल राजभर, नौशाद अली व अतर सिंह राव पर अब इतने दिनों के बाद पास्को कानून की धारा लगाई गई हैं तथा अन्य और भी लोगों के खिलाफ पास्को कानून लगाने की साजिश जारी है।मायावती ने कहा कि इन सभी लोगों ने धरना-प्रदर्शन के दौरान कुछ भी गलत नहीं कहा है और केवल राजनीतिक षड़यंत्र के तहत इन सभी लोगोंपर नया-नया मुकदमा कायम किया जा रहा है और अब उसमें नई-नई धाराएं जोड़ी जा रही हैं, जिसकी हमारी पार्टी कड़े शब्दों में निंदा करती है।FACEBOOK पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें-मायावती ने कहा कि बुलंदशहर की अत्यंत ही दुखद घटना के सभी आरोपियों के अब तक भी गिरफ्तार नहीं होना यह साबित करता है कि उनको जरुर उच्च स्तर पर कोई संरक्षण प्रदान कर रहा है। पीड़ित परिवार के लोगों के दुख और पीड़ा को समझा जा सकता है और उनकी भावना का सम्मान करते हुए प्रदेश की सपा सरकार को फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाकर तीन महीने के अंदर अंदर दोषियों को सजा सुनिश्चित करनी चाहिए।बुलंदशहर मामले में ही खासकर भाजपा व सपा द्वारा आरोप-प्रत्यारोप की तीव्र निंदा करते हुए बसपा प्रमुख ने कहा कि पीड़ित परिवार जल्द से ज्लद न्याय चाहता है और इस मामले में दलगत राजनीति बंद करके सभी राजनीतिक पार्टियों को मामले के शीघ्र निपटारे में मदद करनी चाहिए और इसके लिए सीबीआई जांच से बेहतर यही होगा कि पहचाने गए आरोपियों के खिलाफ फास्ट ट्रैक कोर्ट में इसकी सुनवाई करके दोषी को जल्द सजा दी जाए।मायावती ने कहा कि वर्तमान सपा सरकार में अपराधियों की धर-पकड़ करके उन्हें कानून के कठघरे में खड़ा करने की प्रवृत्ति के अभाव के कारण भी अपराधियों की हिम्मत प्रदेश में काफी ज्यादा बढ़ गई है। लोगों ने देखा है कि किस प्रकार महिला विरोधी व अभद्रतापूर्ण बयान देनेवाले भाजपा नेता दयाशंकर सिंह के खिलाफ यह सपा सरकार पहले घटना के प्रति उदासीन व मूकदर्शक बनी रही और उसकी गिरफ्तारी तब तक नहीं की गयी जबतक कि माननीय न्यायालय ने उसकी गिरफ्तारी पर रोक संबंधी याचिका खारिज नहीं कर दी और तब लगभग नौ दस दिनों तक वह यहां वहां घूमता रहा था।उन्होने कहा कि खासकर अपराध नियंत्रण व कानून व्यवस्था के मामले में जातिवाद को त्याग करके सही भावना से सपा सरकार को काम करने की जरुरत है। साथ ही शासन-प्रशासन को भ्रष्टाचार को छोड़जनहित व जनकल्याण के प्रति सघनता के साथ प्रेरित करना होगा, वरना उत्तर प्रदेश की आमजनता के साथ साथ घर की मां बेटियों की अस्मत पर अपराधीगण हमला करते रहेंगे। इससे उत्तर प्रदेश की आमजनता को बचाने की शख्त जरुरत है। उन्होने बरेली, शामली व कानपुर आदि की घटना की भी तीव्र निंदा करते हुए आरोपियों को यथाशीघ्र गिरफ्तार करके उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग भी की।
इक मुस्लिम पायलेट ने खुद्की जान देकर बचायी 300 लोगो की जान
दुबई। दुबई एयरपोर्ट पर हुए एमिराट् विमान की क्रैश लैंडिंग के बाद उसमें आग लग गई और वो पूरीतरह जल गया। अगर वक्त रहते इसमें सवार 300 लोगों को नहीं निकाला गया होता तो कई जाने जा सकती थीं। लेकिन विमान में सवार लोगों को बचानेके बावजूद एक व्यक्ति की मौत हो गई और वो था फायर फायटर टीम का सदस्य।इस बहादुर इंसान ने दूसरों को तो बचा लिया लेकिन इस दुर्घटना से खुद को नहीं बचा पाया। जसिल इसा मोहम्मद हुसैन नाम के इस साहसी फायर फाइटर ने अल्टीमेट सेक्रिफाइज करते हुए 300 लोगों को दुर्घटनाग्रस्त विमान से सुरक्षित बाहर निकाला। उसकी मौत की खबर मिलने के बाद डायरेक्टर जनरल सिविल एविऐशन अथॉरिटी सैफ अल सुवैदी ने कहा कि फायर फायटर ने दूसरों की जान बचाते हुए खुद की जान दांव पर लगा दी।मैं उस साहसी युवक के अल्टीमेट सेक्रिफाइज को सलाम करता हूं। हमारी प्रार्थनाएं उसके परिवारके साथ हैं। दरअसल मंगलवार को दुबई के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर एमिराट्स के विमान ने इमरजेंसी लैंडिंग की। लैंडिंग के बाद यात्रियों को बचाने के लिए तैयार टीम में जसिल भी थे। जैसे ही विमान रूका वो उसकी तरफ दौड़े औरयात्रियों को बाहर निकालने लगे जैसे ही सभी यात्री बाहर निकले विमान में धमाके से आग लग गई और इसमें जसिम घायल हो गए।FACEBOOK पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए यहां क्लिक करें-गंभीर चोटों के चलते उनकी मौत हो गई। उनके बलिदान को सलाम करते हुए जनरल सिविल एविएशन अथॉरिटी ने कहा कि हम उपरवाले के शुक्रगुजार हैं कि उसकी दया के चलते बड़ा हादसा टल गया। लेकिन हमें दुख है कि इसमें हमारे एक फायर फायटर की मौत हो गई जो दूसरों की जिंदगी बचाने में लगा था।स्थानीय मीडिया में आ रही खबरों के अनुसार लैंडहोने से पहले विमान को फिर से उड़ने के आदेश मिले थे और दूसरी कोशिश के लिए कहा गया था। तब तक विमान रनवे के करीब आ चुका था और फिर से ऊंचाई पर जाने की बजाय रनवे से टकराकर आग का गोला बन गया।
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