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Tuesday, 6 September 2016

अब हमारे हाथ में हैं आरएसएस की गर्दन, जब चाहे मरोड़ दें: कपिल सिब्बल

नई दिल्ली:महात्मा गाँधी की हत्या का इल्जाम आरएसएस पर डालने पर अब राहुल गाँधी को यह अदालत में भी साबित करना है कि महात्मागाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के आरएसएस के साथ बहुत गहरे संबंध थे। इसे साबित करने के लिए राहुल के वकील कपिल सिब्बल तरह-तरह केजुगत लगाकर सबूत हासिल करने की कोशिश में लगे हैं। गोडसे को आरएसएस का सदस्य साबित करने के लिए कपिल सिब्बल महात्मा गाँधी के परपोते तुषार गाँधी की किताब के अलावा मार्कजे, मनोहर मलगांवकर, एस इस्लाम, कोएनराड एल्स्ट जैसे लेखकों की किताबों को इकट्ठा कररही हैं। इनमें से मार्क-जे की किताब ‘द न्यू कोल्ड वॉर रिलिजियस नेशनलिस्ट कंफ्रन्ट द सेक्युलर स्टेट’ है। जिसमें लिखा गया है कि”’नेहरू ने फ़रवरी 1948 को होम मिनिस्टर को पत्र लिखकर बताया था कि गाँधी जी की हत्या एकबड़े अभियान का हिस्सा था, और यह अभियान आरएसएस का था। वहीँ मनोहर मलगांवकर की किताब‘द मैन हु किल्ड गाँधी’ में कहा गया है कि गोडसे आरएसएस का सदस्य था। कपिल सिब्बल का कहना है कि उन्हें संघ का पर्दाफाश करने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा और इसके वह अदालत में संघ प्रमुख मोहन भागवत इन मुद्दे पर अदालत में बहस करने के लिए बुलाएँगे।

ग़रीब डाटा खाएगा या आटा,लालू का सरकार पर हमला

पटना 06 सितम्बर: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी)के सदर लालू प्रसाद यादव ने रिलाइंसजीव के सस्ते डाटा पर तंज़ करते हुए कहा है कि ग़रीब डाटा खाएगा या आटा। यादव ने ट्वीट करके कहा कि ग़रीब डाटा खाएगा या आटा।।डाटा सस्ता आटा महंगा यही उनके मुल्क बदलने की तारीफ़ है।उन्होंने कहा कि लगे हाथ ये भी बता दो ,काल ड्राप का मसला कौन सुलझाएगा। काबिल-ए-ज़िक्र है कि रिलाइंस जीव सिम का मुतालिबा मुल्क भर में ज़ोरों पर है और हर-रोज़ उस सिम के लिए हज़ारों नई दरख़ास्तें मौसूल हो रही हैं। जीव 50 रुपए में एक जीबी डाटा और ज़्यादा इस्तेमाल करने पर 25 रुपए फ़ी जीबी देने का एलान किया है।

पाकिस्तान जाने के लिए बेताब हैं मोदी: भारतीय उच्चायोग

दिल्ली/इस्लामाबाद:देश में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से अपने विरोध में उठनेवाली हर आवाज़ को पाकिस्तान चले जाओ कहकर चुप करवाने वाले नेताओं और मित्रों के मुँह बंद होने वाले हैं क्योंकि आज जो खबर हम सबके सामने आई है वो है ही कुछ ऐसी।खबर मिली है की देश के प्रधानमंत्री मोदी पकिस्तान जाने के लिए बहुत बेताब हैं और दिन गिन रहे हैं कि कब सार्क सम्मलेन शुरू हो और कब वो उसमें शिरकत करने पाकिस्तान पहुंचें। यह खबर दी है पाकिस्तान में बतौर भारतीय उच्चायुक्त काम कर रहे गौतम बॉम्बावले ने। बम्बावाले का कहना है कि भविष्य का तो पता नहीं लेकिन आज की बात करें तो मोदी पाकिस्तान में आकर सार्क सम्मलेन में शिरकत करने के लिए बहुत बेताब हैं।

पकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले हुर्रियत से सरकार बंद करे बातचीत :उलेमा

मुस्लिम उलेमाओ का एक समूह आज भारत के गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की ,इन लोगो ने कश्मीर मसले पर भी गृहमंत्री से बात की .मीटिंग के बाद मौलवियों ने एक सुर में कहा किकेंद्र सरकार को कश्मीर की स्थिति सुधारने के लिए अलगाववादियों से बातचीत नहीं करनी चाहिए.मिलने के बाद उलेमाओ ने कहा , ‘हुर्रियत के लोगों से बातचीत क्यों हो? ये वे लोग हैं जो ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाते हैं।’इसके साथ ही सभी मौलवियों ने उन लोगों पर भी सवाल खड़े किए जो अलगाववादियों से मिलने के लिए गए थे. मौलवियों ने कहा कि उन लोगों को अलगाववादियों से बातचीत करने जाना ही नहीं चाहिए था.

जब कानून सबके लिए बराबर तो मोदी राज में क्यूं नहीं है सुप्रीम कोर्ट में एक भी मुस्लिम जज

हाल ही में हुए एक सर्वे के मुताबिक़ की सुप्रीम कोर्ट में एक भी मुस्लिम जज नहीं है। आखिरी बार 2012 में सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम जज की नियुक्ति की गई थी। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जस्टिस एम.वाई.इकबाल और जस्टिस फकीर मोहम्मद 2012 में जज बने थे जोकि इस साल रिटायर हो गए हैं। पिछले 11 वर्षों में ऐसा पहली बार और पिछले करीब तीन दशकों में ऐसा दूसरी बार हुआ है कि देश की सुप्रीम कोर्ट में कोई मुस्लिम जज नहीं है। हालांकि कहा जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच हाईकोर्ट्स में जजों कीनियुक्ति को गतिरोध के चलते काफी देरी लग रही है। गौरतलब है कि जजों की नियुक्ति में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के प्रति अपनी नाराजगी भी जाहिर की है। आपको दें कि सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला जस्टिस एम. फातिमा बीवी जज भी एक मुस्लिम थीं जोकि 6अक्टूबर 1989 से 29 अप्रैल 1992 तक सुप्रीम कोर्ट में जज थीं। सुप्रीम कोर्ट सेरिटायर हो चुके 196 और मौजूदा 28 जजों में कुल 17 (7.5 प्रतिशत) जज मुस्लिम रहे ह

1953 में हज की 15 ऐसी तस्वीरें जो आपका दिल जीत लेंगीं

Yaha dekhiye kuch aisi tasveer jo apne kabhi nahi dekhi hongi










मस्जिद तामीर या मरम्मत में किसी ग़ैर मुस्लिम का पैसा नहीं लग सकता!

अयोध्या : पिछले दिनों सावन मेले के दौरान मंदिर की छत गिरने के बाद हुए हादसे के चलते प्रशासन ने ऐसी जर्जर इमारतों को नोटिस जारीकिया है कि या तो उनकी मरम्मत कराई जाए या फिर उन्हें गिरा दिया जाए. आलमगीरी मस्जिद के लिए भी इसी के तहत नोटिस जारी किया गया है.लेकिन हाजी महबूब कहते हैं कि यदि महंत ज्ञानदास वास्तव में हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश करना चाहते हैं तो उन्हें यह ज़मीन और मस्जिद मुसलमानों को सौंप देनी चाहिए. नुमानगढ़ी स्थित आलमगीरी मस्जिद की जर्जर इमारत को महंत ज्ञानदास ने ठीक कराने का फ़ैसला किया और उस पर काम भी शुरू करा दिया. लेकिन कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई है. हाजी महबूब का आरोप है कि महंत ज्ञानदास ऐसा सिर्फ़ पब्लिसिटी के लिए कर रहे हैं और अक़्सर ऐसे काम करते हैं ताकि उन्हें पब्लिसिटी मिलती रहे, लेकिनमस्जिद की मरम्मत या उससे जुड़ा कोई काम करने की मुस्लिम समाज उन्हें इजाज़त नहीं देगा.बताया जाता है कि 17वीं शताब्दी में इस मस्जिद को मुग़ल बादशाह औरंगज़ेब के किसी सेनापति ने बनवाया था. बाद में अवध के नवाब शुजाउद्दौला ने ये जगह मंदिर बनाने के लिए हनुमानगढ़ी मंदिर ट्रस्ट को दे दी. मस्जिद में लगातार नमाज़ भी होती रही.लेकिन हाल ही में जिला प्रशासन ने कानूनी तौर पर हनुमानगढ़ी ट्रस्ट को इस पूरे परिसर और भवन का स्वामी मानते हुए मस्जिद से सटी जर्जर दीवार को गिरा देने या मरम्मत कराने का नोटिस दिया है. उसी आधार पर मस्जिद के सामने जमीन पर बने चबूतरे और दीवार का निर्माण कार्य कराया जा रहा है.इस बारे में महंत ज्ञानदास से उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन उनसे बात नहीं होसकी. उनके इस प्रयास की तारीफ़ भी हो रही है, लेकिन हाजी महबूब के अलावा ऐसे और भी कई संगठन हैं जो कि महंत ज्ञानदास के इस क़दम काविरोध कर रहे हैं.बहरहाल मस्जिद से सटी दीवार के जीर्णोद्धार का काम शुरू हो गया है. महंत ज्ञानदास बाबरी मस्जिद के अहम पक्षकार हाशिम अंसारी के साथ मंदिर-मस्जिद विवाद का हल ढ़ूूंढने के मामलेमें भी काफी प्रयास कर चुके हैं.

उस्मान साम्राज्य ने बनवाया था इस्तांबुल को मदीना शहर से जोड़ने वाला रेलव

तुर्की के मशहूर ओटोमन साम्राज्य(उस्मान साम्राज्य) के सुलतान अब्दुल हमीद-2 ने दुनिया भर के मुसलमानों के लिए अच्छी परियोजनाएं शुरू करने की कोशिश की थी उसी में से एक थी इस्तांबुल से लेकर मदीना शहर तककी रेल लाइन. उन्होंने बगदाद-बर्लिन रेलवे की भी पूरी तैयारी की थी लेकिन कुछ युद्ध और परिस्थितियों ने ये सब बहुत मुमकिन नहीं होने दियी. दमिश्क से मक्का जाने के रेल लिंककी योजना उस दौर में बनायी गयी थी जब हज करने जाने वाले लोगों के लिए बहुत सुविधाएं ना थीं और हवाई जहाज़ जैसी व्यवस्था नहीं आई थी. हज में महीनों का सफ़र लगता था लेकिन इस्तांबुल से मक्का जाने के लिए जो रेल लाइन बनायी गयी थी वो महज़ पांच दिनों का वक़्त लेतीथी. इस योजना के तहत पूरे मुसलमानों को एक सूत्र में जोड़ने की कोशिश की गयी थी लेकिन ओटोमन साम्राज्य के पतन के बाद ये सब एक ख्व़ाब बन के रह गया वहीँ ओटोमन साम्राज्य के विघटन के बाद मुस्लिम देश आपस में झगडा करने में ज़्यादा वक़्त बिताने लगे बजाय कुछ अच्छा काम करने के.

मुस्लिम नौजवानों ने किया एक हिन्दू का अंतिम संस्कार

ठाणे : महाराष्ट्र के मुम्ब्रा में कुछ मुस्लिम नौजवानों के एक ग्रुप ने ठाणे के नजदीक कौसा इलाके में सोमवार देर रात एक हिन्दू का अंतिम संस्कार किया.जानकारी के मुताबिक, वमन कदम (65 साल) का सोमवार को मौत हो गयी थी. उसके घर में बीवी कोछोड़ कर उसका अंतिम संस्कार करने के लिए कोई और सदस्य या रिश्तेदार मौजूद नहीं था. काफी देर इंतजार करने के बावजूद जब कोई नहीं आया तो ऐसे में आठ मुकामी नौजवानों ने खुद पहल करते हुए उनके अंतिम संस्कार की तैयारियां की.इन नौजवानों ने अंतिम संस्कार के लिए जरूरी पारम्परिक सामान जैसे बांस, रस्सी, मटका, अगरबत्तियों के साथ-साथ कपड़ा और एक फूंस का आसान खरीदा. इसके बाद ये नौजवान लाश को सुबह तीन बजे एक श्मशान घाट ले गए और मृतक वमन कदम का अंतिम संस्कार कर दिया. अंतिम संस्कार करने वाले नौजवानों के नाम खलील पवने, फहद दबीर, नवाज दबीर, राहील दबीर, शबान खान, मकसूदखान, फारूख खान, मोहम्मद कसम शेख बताए गए हैं.जैसे ही मुकामी लोगों को इस काम की जानकारी मिली तो मुम्ब्रा कलवा के विधायक जितेन्द्र अवहाद ने एक फेसबुक पोस्ट पर उन्हें सैल्यूटकिया. इन नौजवानों के मानवता से पूर्ण इस कामकी मुस्लिम बहुल मुम्ब्रा के निवासियों ने भी तारीफ की है.

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