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Friday, 5 August 2016

क़ुरबानी के मसाइल जानवर को भूका प्यासा ज़भा ना करे।

प्यासा ज़बह न करे_हज़रते मुफ़्ती अमजद अली आज़मी अलैरहमा फरमाते है : क़ुरबानी से पहले उसे चारा पानी दे दे यानि भूका प्यास ज़बह न करे और एक के सामने दूसरे को न ज़बह करे और पहले से छुरितेज़ कर ले ऐसा न हो कि जानवर गिराने के बाद उस के सामने छुरी तेज़ की जाए।
*✍🏽बहरे शरीअत, 3/352*
यहाँ एक अज़ीबो गरीब हिकायत मुलाहजा हो चुनांचे...
हज़रते अबू ज़फ़र अलैरहमा फरमाते है : एक बार में ने ज़बह के लिये बकरी लिटाई इतने में मशहूर बुज़ुर्ग हज़रते अय्यूब सख्तियानी इधर आ निकले, में ने छुरी ज़मीन पर दाल दी और गुफ्त गु में मशगूल हुवा, दरी अस्ना बकरी ने दिवार की जड़ में अपने खुरो से एक गढ़ा खोदा और पाउ से छुरी उस में धकेल दी पर उस पर मिटटी डाल दी ! हज़रते अय्यूब सख्तियानी फरमाने लगे : अरे देखो तो सही ! बकरी ने ये क्या किया ! ये देख कर मेने पुख्ता अज़्म कर लिया कि अब कभी भी किसी जानवर को अपने हाथ से ज़बह नही करूँगा।
*✍🏽हयातुल हैवान, 2/61*
ईस हिकायत से मआज़ल्लाह ये मुराद नही कि ज़बह करना कोई गलत काम है। बस इस तरह के वाक़ीआत बुज़ुर्गो के ग़ालबए हाल पर मब्नी होते है। वरना मसअला येही है कि अपने हाथ स

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