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Tuesday, 9 August 2016

ताजमहल या तेजोमहालय... क्या है हकीकत?

सोशल मीडिया पर ताजमहल के हिन्दू इमारत होने संबंधी पोस्ट काफी शेयर की जा रही हैं। दरअसल यह मामला उस वक्त उठा जब ‘ताजमहल- सत्यकथा’ नामक पुस्तक का प्रकाशन हुआ। आइये आपको बताते हैं किसने लिखी यह किताब और ताजमहल को हिन्दू इमारत बताने के लिए क्या तर्क दिए गए हैं।ओक ने लिखी थी किताबपुरूषोत्तम नागेश ओक का जन्म उन्हीं की एक पुस्तक में दिए परिचय अनुसार इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ था। श्री ओक ने द्वितीय विश्व युद्ध के समय इंडियननेशनल आर्मी में प्रविष्टि ली, जिसके द्वारा इन्होंने जापानियों के संग अंग्रेज़ों से लड़ाई कीथी। इन्होंने कला में स्नातकोत्तर (एम०ए०) एवं विधि स्नातक (एलएल०बी०) की डिग्रियाँ मुंबई विश्वविद्यालय से ली थीं। सन 1947 से 1953 तक वेहिंदुस्तान टाइम्स एवं द स्टेट्समैन जैसे समाचार पत्रों के रिपोर्टर रहे। 1953 से 1957 तक इन्होंने भारतीय केन्द्रीय रेडियो एवं जन मंत्रालय में कार्य किया। 1957 से 1959 तक उन्होंने भारत के अमरीकी दूतावास में कार्य किया।2007 में हो चुकी है मृत्युश्री ओक की मृत्यु 7 दिसम्बर 2007 को हो गयी। उन्हें पीएन ओक के नाम से भी जाना जाता है।शाहजहां ने किया कब्जा, ताजमहल था शिव मंदिरअपनी पुस्तक ताजमहल: सत्य कथा में, ओक ने यह दावा किया है, कि ताजमहल, मूलत: एक शिव मन्दिर या एक राजपूताना महल था, जिसे शाहजहां ने कब्ज़ा करके एक मकबरे में बदल दिया।ओक कहते हैं, कि कैसे सभी (अधिकांश) हिन्दू मूल की कश्मीर से कन्याकुमारी पर्यन्त इमारतों को किसी ना किसी मुस्लिम शासक या उसके दरबारियों के साथ, फेर-बदल करके या बिना फेरबदल के, जोड़ दिया गया है। उन्होंने हुमायुं का मकबरा, अकबर का मकबरा एवं एतमादुद्दौला के मकबरे, तथा अधिकांश भारतीय हिन्दू ऐतिहासिक इमारतों, यहाँ तक कि काबा, स्टोनहेन्ज व वैटिकन शहर तक हिन्दू मूल के बताये हैं। ओक का भारत में मुस्लिम स्थापत्य को नकारना, मराठी जग-प्रसिद्ध संस्कृति का अत्यन्त मुस्लिम विरोधी अंगों में से एक बताया गया है। के०एन०पणिक्कर ने ओक के भारतीय राष्ट्रवाद में कार्य को भारतीय इतिहास की साम्प्रदायिक समझ बताया है। तपन रायचौधरी के अनुसार, उन्हें संघ परिवार द्वारा आदरणीय इतिहासविद कहा गया है।ओक ने दावा किया है, कि ताज से हिन्दू अलंकरण एवं चिह्न हटा दिये गये हैं और जिन कक्षों में उन वस्तुओं एवं मूल मन्दिर के शिव लिंग को छुपाया गयाहै, उन्हें सील कर दिया गया है। साथ ही यह भी कि मुमताज महल को उसकी कब्र में दफनाया ही नहीं गया था।ताजमहल के हिन्दू शिवमन्दिर होने के पक्ष में ओक के तर्क*.पी०एन० ओक अपनी पुस्तक "ताजमहल ए हिन्दू टेम्पल" में सौ से भी अधिक कथित प्रमाण एवं तर्क देकर दावा करते हैं कि ताजमहल वास्तव में शिव मन्दिर था जिसका असली नाम 'तेजोमहालय' हुआ करता था। ओक साहब यह भी मानते हैं कि इस मन्दिर को जयपुर के राजा मानसिंह (प्रथम) ने बनवाया था जिसे तोड़ कर ताजमहल बनवाया गया। इस सम्बन्ध में उनके निम्न तर्क विचारणीय हैं:*.किसी भी मुस्लिम इमारत के नाम के साथकभी महल शब्द प्रयोग नहीं हुआ है।*.'ताज' और 'महल' दोनों ही संस्कृत मूल के शब्द हैं।*.संगमरमर की सीढ़ियाँ चढ़ने के पहले जूते उतारने की परम्परा चली आ रही हैजैसी मन्दिरों में प्रवेश पर होती है जब कि सामान्यत: किसी मक़बरे में जाने के लिये जूता उतारना अनिवार्य नहीं होता।*.संगमरमर की जाली में 108 कलश चित्रित हैं तथा उसके ऊपर 108 कलश आरूढ़ हैं, हिंदू मन्दिर परम्परा में (भी) 108 की संख्या को पवित्र माना जाता है।*.ताजमहल शिव मन्दिर को इंगित करने वाले शब्द 'तेजोमहालय' शब्द का अपभ्रंश है। तेजोमहालय मन्दिर में अग्रेश्वर महादेव प्रतिष्ठित थे।*.ताज के दक्षिण में एक पुरानी पशुशाला है। वहाँ तेजोमहालय के पालतू गायों को बाँधा जाता था। मुस्लिम कब्र में गौशाला होना एक असंगत बात है।*.ताज के पश्चिमी छोर में लाल पत्थरों के अनेक उपभवन हैं जो कब्र की तामीर के सन्दर्भ में अनावश्यक हैं।*.संपूर्ण ताज परिसर में 400 से 500 कमरे तथा दीवारें हैं। कब्र जैसे स्थान में इतने सारे रिहाइशी कमरों का होना समझ से बाहर की बात है।कोर्ट में रद्द हो गयी थी याचिकाओक ने याचिका भी दायर की थी। जिसमें उन्होंने ताज को एक हिन्दू स्मारक घोषित करतने एवं कब्रों तथा सील्ड कक्षों को खोलने व देखने कि उनमें शिव लिंग या अन्य मंदिर के अवशेष हैं या नहीं की अपील की। सन 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने ओक की इस याचिका को रद्द कर दिया और साथ ही झिड़की भी दी थी कि उनके दिमाग में ताज के लिए कोई कीड़ा है।

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