ज़िना गुनाह-ए-कबीरा है। गुनाह-ए-कबीरा वे होते हैं जिनकी सज़ा आखिरत में जहन्नुम की आग है। आखिरत के अलावा दुनिया में भी अल्लाह तआला ने सबसे बड़े गुनाहों पर सज़ाएं मुकर्रर की हैं। तकरीर करते हुए मुफ्ती तारिक मसूद ने कबीरा गुनाह ज़िना (बलात्कार,अवैध शारीरिक संबंध) करने पर शरियत के हुक्म पर रोशनी डाली।शरियत में ऐसे लोगों के बारे में काफी तफ्सील से बयान किया गया है। असल बात यह है कि बातों से कुछ नहीं होता। अगर समझाने से फर्क पड़ता तो शरियत में ज़िना की सजा सौ कौड़े न होते। बल्कि शरियत कहती जिसने ज़िना किया उसे मोहब्बत से समझा दिया करो। शरियत कहती है जो ज़िना करता पकड़ा गया उसे बीच चौक में खड़ा करके सौ कौड़े मारो। कुरआन के अल्फाज़ों पर गौर करें... यह नहीं कहा कि सौ कौड़े मारें। बल्कि सौकौड़े बीच चौक में मारे जाएं और सजा देते वक्त रहम बिल्कुल भी न किया जाए। जिस वक्त यह कौड़े मारे जाएंगे तो मुसलमानों का बहुत बड़ा मज़मा जमा (एकत्र)होना चाहिए, जो कौड़े लगता हुआ अपनी आंखों से देखे। संगसार करने का हुक्मगैर-शादीशुदा के लिए यहां सौ कौड़े का हुक्म है, वहीं ज़िना करने वाले मर्द-औरत अगर शादी शुदा है तो उसे सौ कौड़े मारने के बजाए पत्थर मार-मारकर हलाक करने का हुक्म है। इस सज़ा को भी सरेआम बीच चौक पर देने का हुक्म शरियत देती है।आग में नंगे जलाए जाएंगे ज़िना करने वाले लोगनबी सल. ने मैराज की रात में नंगे मर्द और नंगी औरतों को देखा, जो आग में जल रहे हैं। आप ने जिबी्रलअलै से पूछा ये कौन लोग हैं। उन्होंने फरमाया- ये आप की उम्मत के वो लोग हैं जो ज़िना करते थे। ज़िना करने वाले मर्द और औरतों को अल्लाह नंगा करके आग में डालेंगे।
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