‘पूरे हुए वादे, अब हैं नए ईरादे’ यही नारा उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार की उपलब्धि को लेकर पूरे राज्य में इस्तेहार के रूप में चौक-चौराहों पर टंगवा दिया है। अनुमानत इस पर सरकार ने करीब 300 करोड़ रुपए खर्च किए हैं।लेकिन हकीकत देखिए कि कानपुर जैसे शहर में एक गरीबबाप के कंधे पर सरकारी अस्पताल परिसर में बीमार बेटा इलाज के अभाव में दम तोड़ दिया। किस तरह से लोकतंत्र के नाम पर एक शासन व्यवस्था व संविधान प्रदत समान अधिकार के आगोश में गरीब आदमी स्वास्थ्य सुविधाओं के आभाव में दम तोड़ देता है और व्यवस्था ऐसी कि किसी को भी कोई फर्क नहीं पड़ता है।दरअसल, फजलगंज के रहने वाले सुनील के बेटे का बदन बुखार से तप रहा था। इलाज के लिए पिता ने समाजवादी एंबुलेंस को बुलाना चाहा, लेकिन नहीं मिली। अपने ही साधन से बेटे को अस्पताल पहुंचाया तो स्ट्रेचर नहीं मिली। बेटे को कंधे पर लादकर पिता अस्पताल में डॉक्टरों को ढूंढने लगा। काफी देर तक यही सिलसिला चलता रहा, न तो स्ट्रेचर मिली और न ही डॉक्टर। मासूम ने तड़प- तड़प कर पिता के कंधे पर हीदम तोड़ दिया।
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